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अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने नाम सौंपा ज्ञापन, चार सूत्रीय रखी मांग

बैतूल जिले के अस्थायी आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को एनएचएम के तहत नियमित किए जाने की मांग को लेकर कोविड-19 स्वास्थ्य संगठन ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

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Published : Oct 5, 2020, 3:03 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 3:26 PM IST

Ayush doctors and paramedical staff
सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने नाम सौंपा ज्ञापन

बैतूल। कोविड-19 के अंतर्गत कार्यरत सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित किए जाने और कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना, कोविड-19 कर्मवीर योद्धा कल्याण योजना में शामिल करने की मांग की जा रही है. इसकी के तहत शनिवार को कोविड-19 स्वास्थ्य संगठन ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. इसके साथ ही एक्सटेंशन को हमेशा के लिए खत्म करके नेशनल स्वास्थ्य मिशन के तहत नियमित या संविदा संवर्ग में विलय किए जाने की मांग की है.

Ayush doctors and paramedical staff
आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ

चार सूत्रीय मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश सिंह रघुवंशी ने बताया कि, कोविड- 19 संक्रमण की रोकथाम में काम कर रहे अस्थायी आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ सरकार यूज एंड थ्रो जैसा व्यवहार कर रही है. इसके विरोध में जिले के अंतर्गत सभी ब्लॉकों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम में लगे हुए आयुष डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने रघुवंशी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम पर अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है.

Ayush doctors and paramedical staff
सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने नाम सौंपा ज्ञापन

आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की अस्थायी भर्ती

संगठन का कहना है कि, कोविड-19 में काम कर रहे सभी आयुष डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ ने जिस प्रकार अपनी जान को हथेली में रखकर सभी क्षेत्रों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, लेकिन सरकार सभी कोरोना योद्धाओं को घर का रास्ता दिखाने की कोशिश कर रही है, जो कोरोना योद्धा का अपमान करने जैसा है. कोरोना योद्धाओं ने ऐसे समय में सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर बनाने में सहयोग दिया है, जब जिले में पहले से मौजूद परमानेंट डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना के डर से रिजाइन देकर जा रहे थे. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. इस समय सरकार ने एनएचएम के माध्यम से रिक्त पदों पर अस्थायी तौर पर शैक्षणिक योग्यता के अनुसार अप्रैल महीने में तीन माह के लिए आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की थी. इस दौरान हर कोरोना योद्धा ने तन- मन से संक्रमित मरीजों से सीधे संपर्क में रहकर उनका उपचार किया है.

आयुष चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ की मांगे

रघुवंशी ने कहा कि, हर जगह बाहर से आने जाने वाले लोगों का स्क्रीनिंग, सैंपलिंग लेने का कार्य भी इन कोरोना योद्धाओं ने किया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जुलाई महीने में सभी कर्मचारियों का तीन माह के लिए कार्य अवधि में वृद्धि कर दिया गया और वह अवधि सितम्बर को समाप्त हुई है, जिसके बाद विभाग ने फिर से 1 माह का एक्सटेंशन पत्र जारी कर दिया. जिसके बाद अब सभी कोरोना संक्रमण में कार्य कर आयुष चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ में काम के प्रति मनोबल कम हो रहा है. सभी कोरोना योद्धाओं ने सरकार से मांग की है कि, सभी स्टाफ के बार- बार एक्सटेंशन को हमेशा के लिए खत्म करके नेशनल स्वास्थ्य मिशन के तहत नियमित या फिर संविदा संवर्ग में विलय किया जाए. जिससे आने वाले समय में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने में तन मन से कार्य करेंगे.

अभी तक नहीं मिली प्रोत्साहन राशि

रघुवंशी ने बताया कि, मुख्यमंत्री ने कहा था कि, हम सभी कोरोना योद्धाओं को 10 हजार प्रोत्साहन राशि के रूप में देंगे, लेकिन आज दिनांक तक किसी भी कोरोना योद्धाओं के खाते में वह राशि नहीं आई है. सरकार ने कर्मवीर योजना लागू की है, उसमें भी इन सभी कोरोना योद्धा को सम्मिलित किया जाए.

मांगों का निराकरण नहीं होने पर करेंगे हड़ताल

रघुवंशी ने बताया की, पूरे मध्य प्रदेश के 51 जिलों में एक साथ कोविड-19 में कार्य कर रहे हैं. स्थायी आयुष चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ ने सरकार को अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन दिया है. 15 दिन के भीतर सरकार द्वारा मांगों को नहीं मानने और संतोषजनक जवाब ना मिलने की स्थिति में संपूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ सभी आयुष चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे. साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ने पर समस्त जवाबदारी सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की होगी.

बैतूल। कोविड-19 के अंतर्गत कार्यरत सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित किए जाने और कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना, कोविड-19 कर्मवीर योद्धा कल्याण योजना में शामिल करने की मांग की जा रही है. इसकी के तहत शनिवार को कोविड-19 स्वास्थ्य संगठन ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. इसके साथ ही एक्सटेंशन को हमेशा के लिए खत्म करके नेशनल स्वास्थ्य मिशन के तहत नियमित या संविदा संवर्ग में विलय किए जाने की मांग की है.

Ayush doctors and paramedical staff
आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ

चार सूत्रीय मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश सिंह रघुवंशी ने बताया कि, कोविड- 19 संक्रमण की रोकथाम में काम कर रहे अस्थायी आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ सरकार यूज एंड थ्रो जैसा व्यवहार कर रही है. इसके विरोध में जिले के अंतर्गत सभी ब्लॉकों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम में लगे हुए आयुष डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने रघुवंशी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम पर अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है.

Ayush doctors and paramedical staff
सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने नाम सौंपा ज्ञापन

आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की अस्थायी भर्ती

संगठन का कहना है कि, कोविड-19 में काम कर रहे सभी आयुष डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ ने जिस प्रकार अपनी जान को हथेली में रखकर सभी क्षेत्रों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, लेकिन सरकार सभी कोरोना योद्धाओं को घर का रास्ता दिखाने की कोशिश कर रही है, जो कोरोना योद्धा का अपमान करने जैसा है. कोरोना योद्धाओं ने ऐसे समय में सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर बनाने में सहयोग दिया है, जब जिले में पहले से मौजूद परमानेंट डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना के डर से रिजाइन देकर जा रहे थे. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. इस समय सरकार ने एनएचएम के माध्यम से रिक्त पदों पर अस्थायी तौर पर शैक्षणिक योग्यता के अनुसार अप्रैल महीने में तीन माह के लिए आयुष डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की थी. इस दौरान हर कोरोना योद्धा ने तन- मन से संक्रमित मरीजों से सीधे संपर्क में रहकर उनका उपचार किया है.

आयुष चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ की मांगे

रघुवंशी ने कहा कि, हर जगह बाहर से आने जाने वाले लोगों का स्क्रीनिंग, सैंपलिंग लेने का कार्य भी इन कोरोना योद्धाओं ने किया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जुलाई महीने में सभी कर्मचारियों का तीन माह के लिए कार्य अवधि में वृद्धि कर दिया गया और वह अवधि सितम्बर को समाप्त हुई है, जिसके बाद विभाग ने फिर से 1 माह का एक्सटेंशन पत्र जारी कर दिया. जिसके बाद अब सभी कोरोना संक्रमण में कार्य कर आयुष चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ में काम के प्रति मनोबल कम हो रहा है. सभी कोरोना योद्धाओं ने सरकार से मांग की है कि, सभी स्टाफ के बार- बार एक्सटेंशन को हमेशा के लिए खत्म करके नेशनल स्वास्थ्य मिशन के तहत नियमित या फिर संविदा संवर्ग में विलय किया जाए. जिससे आने वाले समय में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने में तन मन से कार्य करेंगे.

अभी तक नहीं मिली प्रोत्साहन राशि

रघुवंशी ने बताया कि, मुख्यमंत्री ने कहा था कि, हम सभी कोरोना योद्धाओं को 10 हजार प्रोत्साहन राशि के रूप में देंगे, लेकिन आज दिनांक तक किसी भी कोरोना योद्धाओं के खाते में वह राशि नहीं आई है. सरकार ने कर्मवीर योजना लागू की है, उसमें भी इन सभी कोरोना योद्धा को सम्मिलित किया जाए.

मांगों का निराकरण नहीं होने पर करेंगे हड़ताल

रघुवंशी ने बताया की, पूरे मध्य प्रदेश के 51 जिलों में एक साथ कोविड-19 में कार्य कर रहे हैं. स्थायी आयुष चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ ने सरकार को अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन दिया है. 15 दिन के भीतर सरकार द्वारा मांगों को नहीं मानने और संतोषजनक जवाब ना मिलने की स्थिति में संपूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ सभी आयुष चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे. साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ने पर समस्त जवाबदारी सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की होगी.

Last Updated : Oct 5, 2020, 3:26 PM IST
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