बैतूल। घोड़ाडोंगरी तहसील मुख्यालय में 5 साल पहले स्वीकृत हुआ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (Soil Testing Lab ) भवन 3 साल से लोकार्पण की बाट जोह रहा है. यहां ना तो भवन का लोकार्पण हुआ है और ना ही इसके लिए कोई स्टाफ नियुक्त किया गया है, जिसके चलते भवन महज शोपीस बनकर रह गया है. अब इसमें दरारें भी पड़ने लगी है, लेकिन बिल्डिंग विभाग को हैंडओवर हो चुकी है, जो खराब हो रही है.
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन के माध्यम से मिट्टी नमूनों का परीक्षण और उसकी उत्पादन क्षमता का पता लगाया जाना था. इसके साथ ही पोषक तत्व में कमी जानकर किसानों को सलाह दी जानी थी, जिससे वह पोषक तत्व की कमी को दूर कर अच्छी फसल प्राप्त कर सकें, मगर लाखों रुपए की लागत से तैयार किया गया यह भवन स्टाफ की कमी और लोकार्पण नहीं होने से महज शोपीस बनकर रह गया है, जो दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है.
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बिल्डिंग हो रही बर्बाद
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की नवीन बिल्डिंग रख-रखाव के अभाव में दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. भवन परिसर के आस-पास बड़ी मात्रा में गाजर घास उग आई है. साथ ही बिल्डिंग में लगी सामग्री में भी टूट-फूट होना शुरू हो गया है. सिर्फ इतना ही नहीं मुख्य द्वार की टाइल्स टूट चुकी है. वहीं दीवारों में भी दरारें आ गई हैं.
मशीनें हो रही खराब
भवन में लगाई गई लाखों रुपए की मशीनें, बैटरी सहित अन्य जरूरी उपकरण धूल खाकर खराब हो रहे हैं. विभाग की लापरवाही के चलते ना तो किसानों को इसका लाभ मिल पा रहा है और ना ही शासन के पैसों का सही उपयोग हो पा रहा है.
किसान नरेंद्र उईके का कहना है, 3 साल पहले कृषि विभाग द्वारा किसानों से मिट्टी नमूने एकत्रित किए गए थे, जिसे वह जिले में भेजकर जमीन की उर्वरा शक्ति के बारे में जानकारी दिया करते थे, लेकिन मृदा परीक्षण प्रयोगशाला(Soil Testing Lab ) का लोकार्पण नहीं होने से मिट्टी का परीक्षण नहीं हो पा रहा है. वहीं किसान मंगल मर्सकोले का कहना है कि, उन्हें मालूम नहीं था कि घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में जमीन का नमूना एकत्रित किया जाता है. अगर ऐसा हो जाता है, तो किसानों को बहुत लाभ होगा. सरकार को जल्द से जल्द इसे प्रारंभ कराया जाना चाहिए.
क्या कहते हैं अधिकारी?
वरिष्ठ कृषि विकास विस्तार अधिकारी ने बताया कि तकनीकी स्टाफ की कमी होने के चलते अभी कार्य चालू नहीं हुआ है. यहां पर एसएडीओ, एडीओ, लिपिक और चपरासी का पद हैं, लेकिन अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है.