बैतूल। टूटी छत, टूटा फर्श, और जमीन पर बारिश का पानी, ये नाजारा है. बैतूल जिले के मालेगांव के सरकारी स्कूल का है. जो प्रशासन की लापरवाही से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जिसकी छत के नीचे शिक्षा की तालीम लेते ये बच्चे किसी भी वक्त हादसे का शिकार हो सकते हैं. क्योंकि इनके पास बैठने के लिए जमीन तो है पर सर छुपाने के लिए मजबूत छत नहीं.
प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि स्कूल शिक्षा सत्र के शुरु होते ही मालेगांव के सरकारी स्कूल की छत टूट गई. स्कूल की छत उड़ जाने की वजह से बच्चो को एक छोटे से कमरे में बिठाया जा रहा है. लेकिन इस कमरे में भी टूटी हुई छत की बल्लिया लटकती रहती है, जिनके गिरते ही किसी वक्त हादसा हो सकता है. वहीं बारिश आते ही छत टूटी होने की वजह से इस कमरे में भी पानी भरने लगता है. लेकिन क्या करे बैठने के लिए बस स्कूल में यही एक कमरा बचता है. जिसके चलते स्कूल के शिक्षक इसी तरह बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर है.
शिक्षकों कहना है कि स्कूल के शुरु होते ही स्कूल भवन की छत टूट गई, जानकारी उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को भी दी है. लेकिन छत की मरम्मत न होने से परेशानी बनी रहती है. स्कूल की छत टूटी होने पर जब बैतूल जिला शिक्षा समन्वयक से सवाल किया गया तो उनकी नीद खुली. कहा बीआरसी अधिकारी को भेजकर स्कूल की जांच कराकर जल्द ही छत की मरमम्त करा दी जाएगी.
अब सवाल यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग इस तरह की लापवाहियों पर ध्यान क्यो नहीं देता. या फिर किसी हादसे के इंतजार में बैठा रहता है. बहरहाल जो भी हो लेकिन जबतक मालेगांव के सरकारी स्कूल छत नहीं बन जाती तब तक ये नौनिहाल इसी तरह बगेर छत के पढ़ने को मजबूर है.