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डर के साए में तालीम ले रहे मासूम, स्कूल की छत टूटी होने से बनी रहती है हादसे की आशंका

बैतूल जिले के मालेगांव ग्राम के सरकारी स्कूल की छत टूटी होने से बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल की छत की मरमम्त का काम न होने से स्कूल भवन के एक ही कमरे में बैठते है, उसमें भी बारिश आने पर पानी भर जाता है. स्कूल शिक्षा विभाग ने जल्द ही स्कूल की छत बनाने की बात कही है.

स्कूल की टूटी छत
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Published : Aug 1, 2019, 11:32 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 1:08 PM IST

बैतूल। टूटी छत, टूटा फर्श, और जमीन पर बारिश का पानी, ये नाजारा है. बैतूल जिले के मालेगांव के सरकारी स्कूल का है. जो प्रशासन की लापरवाही से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जिसकी छत के नीचे शिक्षा की तालीम लेते ये बच्चे किसी भी वक्त हादसे का शिकार हो सकते हैं. क्योंकि इनके पास बैठने के लिए जमीन तो है पर सर छुपाने के लिए मजबूत छत नहीं.

मालेगांव स्कूल की छत टूटने से डर के साए पढ़ रहे मासूम

प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि स्कूल शिक्षा सत्र के शुरु होते ही मालेगांव के सरकारी स्कूल की छत टूट गई. स्कूल की छत उड़ जाने की वजह से बच्चो को एक छोटे से कमरे में बिठाया जा रहा है. लेकिन इस कमरे में भी टूटी हुई छत की बल्लिया लटकती रहती है, जिनके गिरते ही किसी वक्त हादसा हो सकता है. वहीं बारिश आते ही छत टूटी होने की वजह से इस कमरे में भी पानी भरने लगता है. लेकिन क्या करे बैठने के लिए बस स्कूल में यही एक कमरा बचता है. जिसके चलते स्कूल के शिक्षक इसी तरह बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर है.

शिक्षकों कहना है कि स्कूल के शुरु होते ही स्कूल भवन की छत टूट गई, जानकारी उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को भी दी है. लेकिन छत की मरम्मत न होने से परेशानी बनी रहती है. स्कूल की छत टूटी होने पर जब बैतूल जिला शिक्षा समन्वयक से सवाल किया गया तो उनकी नीद खुली. कहा बीआरसी अधिकारी को भेजकर स्कूल की जांच कराकर जल्द ही छत की मरमम्त करा दी जाएगी.

अब सवाल यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग इस तरह की लापवाहियों पर ध्यान क्यो नहीं देता. या फिर किसी हादसे के इंतजार में बैठा रहता है. बहरहाल जो भी हो लेकिन जबतक मालेगांव के सरकारी स्कूल छत नहीं बन जाती तब तक ये नौनिहाल इसी तरह बगेर छत के पढ़ने को मजबूर है.

बैतूल। टूटी छत, टूटा फर्श, और जमीन पर बारिश का पानी, ये नाजारा है. बैतूल जिले के मालेगांव के सरकारी स्कूल का है. जो प्रशासन की लापरवाही से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जिसकी छत के नीचे शिक्षा की तालीम लेते ये बच्चे किसी भी वक्त हादसे का शिकार हो सकते हैं. क्योंकि इनके पास बैठने के लिए जमीन तो है पर सर छुपाने के लिए मजबूत छत नहीं.

मालेगांव स्कूल की छत टूटने से डर के साए पढ़ रहे मासूम

प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि स्कूल शिक्षा सत्र के शुरु होते ही मालेगांव के सरकारी स्कूल की छत टूट गई. स्कूल की छत उड़ जाने की वजह से बच्चो को एक छोटे से कमरे में बिठाया जा रहा है. लेकिन इस कमरे में भी टूटी हुई छत की बल्लिया लटकती रहती है, जिनके गिरते ही किसी वक्त हादसा हो सकता है. वहीं बारिश आते ही छत टूटी होने की वजह से इस कमरे में भी पानी भरने लगता है. लेकिन क्या करे बैठने के लिए बस स्कूल में यही एक कमरा बचता है. जिसके चलते स्कूल के शिक्षक इसी तरह बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर है.

शिक्षकों कहना है कि स्कूल के शुरु होते ही स्कूल भवन की छत टूट गई, जानकारी उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को भी दी है. लेकिन छत की मरम्मत न होने से परेशानी बनी रहती है. स्कूल की छत टूटी होने पर जब बैतूल जिला शिक्षा समन्वयक से सवाल किया गया तो उनकी नीद खुली. कहा बीआरसी अधिकारी को भेजकर स्कूल की जांच कराकर जल्द ही छत की मरमम्त करा दी जाएगी.

अब सवाल यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग इस तरह की लापवाहियों पर ध्यान क्यो नहीं देता. या फिर किसी हादसे के इंतजार में बैठा रहता है. बहरहाल जो भी हो लेकिन जबतक मालेगांव के सरकारी स्कूल छत नहीं बन जाती तब तक ये नौनिहाल इसी तरह बगेर छत के पढ़ने को मजबूर है.

Intro:बैतूल ।।

आमतौर पर बच्चो को प्राम्भिक शिक्षा के दौरान नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है । लेकिन बैतुल जिले की कोथलकुण्ड पंचायत के मालेगाँव में बच्चे मौत की पाठ शाला में बैठकर नैतिकता का पाठ पढ़ रहे है । गाँव का प्राथमिक स्कूल जो ऊंची पहाड़ी पर स्थित है जिसकी छत स्कूल सत्र प्रारंभ होने के कुछ दिन बाद हवा पानी के कारण उड़ गई बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन इसी क्षतिग्रस्त भवन में स्कूल लगा रहा है । और बच्चे कब अनहोनी का शिकार हो जाये इसकी चिंता किसी को नही है ।Body:ये है भैसदेही तहसील के मालेगांव का प्राथमिक स्कूल है स्कूल पहाड़ी क्षेत्र में बना हुआ है यंहा बारिश और तेज हवा के कारण स्कूल की छत उड़ गई । फिर भी उड़ी हुई छत के नीचे ही स्कूल को लगाया जा रहा है और बच्चो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है । बची हुई स्कूल की छत पर टीन और बल्ली लटकी हुई है जो हवा चलने पर बच्चो पर गिर सकते है फिर भी प्रधान पाठक इसी भवन में स्कूल लगा रहे है ।

इस स्कूल में कुल 71 बच्चे पढ़ते है उन्हें भी यंहा बैठने के लिए उचित व्यवस्था नही है । छत उड़ जाने की वजह से एक छोटे से कमरे में बच्चों को बिठाया जा रहा है । यंहा बारिश की वजह से सांप बिच्छु निकलते रहते है मजबूरी की वजह से बच्चों को इसी वजह से पढ़ाया जा रहा है ।

मामला सामने आने के बाद अब अधिकारी भी नींद से जाग गए और भवन की तत्काल मरम्मत कराने का भरोसा दे रहे है । लेकिन सवाल यह उठता है कि बारिश के पहले ये काम क्यो नही कराया गया । अगर बच्चे किसी अनहोनी का शिकार हो गए तो कौन इसका जिम्मेदार होगा ।Conclusion:एक तरफ शिक्षा के उत्थान को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और है । सरकारी स्कूल भवन जर्जर होते जा रहे हैं इस और शिक्षा अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है जिसके कारण कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है।

बाइट- छाया बिसेन ( शिक्षिका )
बाइट -- रामदास चौकीकर ( प्रधान पाठक )
बाइट -- आई डी बोड़खे ( समन्वयक, जिला शिक्षा केन्द्र बैतुल )
Last Updated : Aug 2, 2019, 1:08 PM IST
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