बैतूल। अगर जिले में ज्यादातर दुर्घटनाओं के मामलों को करीब से देखें तो कहीं ना कहीं सड़क दुर्घटनाओं का सीधा जिम्मेदार पीडब्ल्यूडी विभाग ही रहता है, क्योंकि जिले की ज्यादातर सड़कों में भारी तकनीकी खामियां मिल जाएगी. तमाम तकनीकी खामियों और प्रशासनिक लापरवाही के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं. किंतु हैरानी इस बात की होती है कि ऐसी तमाम लापरवाही और दुर्घटनाओं के बाद भी जिले के बड़े अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहते हैं.
आमला-बोरदेही मार्ग में दरारें: बीते कुछ वर्षों पहले बैतूल से नागदेव मंदिर मोरखा तक करोड़ों रुपए की लागत से इस मार्ग को बनाया गया था, विभाग की अनदेखी और सड़क ठेकेदार की लापरवाही से लगभग 35 किलोमीटर के इस मार्ग में कई जगहों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं. इससे यह मार्ग दोपहिया वाहन चालकों के लिए बेहद खतरनाक होता जा रहा है. इसके अलावा अन्य बड़े वाहनों के लिए भी सड़क में पड़ी यह दरारें दुर्घटना का सबब बन सकती हैं. जैसा कि लोगों ने हमें बताया है कि इसकी खबर स्थानीय एवं जिला अधिकारियों को भी दी जाती है किंतु कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते यहां अक्सर छोटे बड़े हादसे होते रहते हैं.
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अधिकारी बोले- बना रहा हूं हेलीपैड: जिलेभर में तकनीकी खामियों के साथ बनी सड़कें और दुर्घटनाओं के अंदेशे को लेकर जब पीडब्ल्यूडी के जिला अधिकारी मोहन सिंह डेहरिया से बात की गई तो उन्होंने बेहद अटपटे लहजे में बताया कि, "मैं अभी सीएम साहब के लिए हेलीपैड बना रहा हूं. सड़क का क्या करूं. उन्होंने इसके लिए स्थानीय पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर से बात करने की सलाह जरूर दे डाली. आमला में पदस्थ पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर आरपी कारपेंटर से बात की गई तो उन्होंने बैतूल जिला अधिकारी से बात करने की सलाह दी. बैतूल पीडब्लू विभाग के जिला अधिकारी डेहरिया की बातों के लहजे से साफ पता चला कि आम जनता की फिक्र बाद में देखी जाएगी, पहले सीएम साहब का हेलीपैड बनाना ज्यादा जरूरी है.