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सादगी तो इनकी जरा देखिए...बैलगाड़ी पर निकली डॉक्टर की बारात, फीकी पड़ी लग्जरी कारों की चमक

बैतूल की एक शादी उस वक्त चर्चा का विषय बन गई, जब डॉक्टर दूल्हे ने शादी में तमाम तरह की शान-ओ-शौकत को दरकिनार कर बैलगाड़ी से अपनी बारात निकाली. अब डॉक्टर की इस सादगी की हर कोई तारीफ कर रहा है. (Unique wedding in Betul) (Doctor baarat on bullock cart in Betul)

Doctor baarat on bullock cart in Betul
बैतूल बैलगाड़ी पर निकली डॉक्टर की बारात
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Published : Apr 22, 2022, 7:01 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 8:07 PM IST

बैतूल। बदलते दौर में शादी समारोह बेहद खर्चीले और दिखावे से भरे होते हैं, जिसमें ना किसी को महंगाई की फिक्र होती है, ना ही पर्यावरण की और ना ही अपनी पुरातन संस्कृति की. इन सब बोतों को दरकिनार करते हुए ताजा मामला बैतूल से सामने आया है, जहां पेशे से एक डॉक्टर ने अपनी शादी पर समाज को एक अनूठा संदेश दिया. दरअसल, डॉक्टर ने शादी समारोह अपने गांव में आयोजित किया और अपनी दुल्हनिया को लेने बैलगाड़ी पर बैठकर रवाना हुआ. दूल्हा डॉ राजा धुर्वे का कहना है कि अपने सामाजिक, संस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन, उच्च विचार रखने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था. (Unique wedding in Betul) (Doctor baarat on bullock cart in Betul)

बैतूल बैलगाड़ी पर निकली डॉक्टर की बारात

सजी-धजी बैलगाड़ी के आगे फैल है लग्जरी कार: बैतूल के चिचोली ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गांव असाढ़ी की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है, जिसकी वजह है गांव के एक होनहार युवक डॉक्टर राजा धुर्वे की अनूठी शादी. दरअसल, डॉ राजा धुर्वे ने अपने दुल्हेराजा के अवतार में समाज को कभी ना भूलने वाला संदेश दिया और अपनी दुल्हनिया को लेने सजी-धजी बैलगाड़ी में बारात लेकर निकले. बैलगाड़ी को भी ऐसा सजाया गया जिसके सामने लग्जरी कार और बग्घियां भी फीकी दिखाई देती.

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ऐसी बारात देख पाना दुर्लभ: इस अनूठी बारात में डॉ राजा धुर्वे की बैलगाड़ी को खास जनजातीय लोक कलाओं से सजाया गया था, दूल्हे की बैलगाड़ी के पीछे चार बैलगाड़ियो में बच्चों और महिलाओं को बैठाया गया. बारात में जनजातीय लोक नृत्य और लोक वाद्य शामिल थे, जो आज किसी शादी में देख पाना दुर्लभ है. ग्राम असाढ़ी से बैलगाड़ी पर निकला दुल्हा 3 किलोमीटर दूर दूधिया गांव में अपनी दुल्हनियां को लेने पहुंचे तो लोग यह देख कर झूम उठे. आज अपने परम्परागत तौर तरीकों से दूर होते जा रहे आदिवासी समुदाय के लिए ये विवाह एक बड़ा संदेश लेकर सामने आया.

इसलिए निकाली बैलगाड़ी पर बारात: डॉक्टर राजा पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर, शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर है. राजा के मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता, सुलभ और प्रदूषणमुक्त साधन है. साथ ही ये बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता संस्कृति की पहचान है, इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया. दूल्हे का कहना है कि अपने सामाजिक, संस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन, उच्च विचार रखने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.

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सभ्यता संस्कृति को सहेजने का संदेश: आधुनिकता और दिखावे के दौर में डॉक्टर राजा धुर्वे जैसे लोग यूथ आइकॉन कहे जा सकते हैं, जो उच्च शिक्षित और सक्षम होने के बावजूद अपनी सभ्यता संस्कृति को सहेजने और दिखावे की आदत से लोगों को दूर रहने का संदेश दे रहे हैं. उम्मीद की जा सकती है कि दुल्हे का ये अनूठा प्रयास लोगों को अपनी जड़ों की तरफ लौटने के लिए जरूर प्रेरित करेगा.

बैतूल। बदलते दौर में शादी समारोह बेहद खर्चीले और दिखावे से भरे होते हैं, जिसमें ना किसी को महंगाई की फिक्र होती है, ना ही पर्यावरण की और ना ही अपनी पुरातन संस्कृति की. इन सब बोतों को दरकिनार करते हुए ताजा मामला बैतूल से सामने आया है, जहां पेशे से एक डॉक्टर ने अपनी शादी पर समाज को एक अनूठा संदेश दिया. दरअसल, डॉक्टर ने शादी समारोह अपने गांव में आयोजित किया और अपनी दुल्हनिया को लेने बैलगाड़ी पर बैठकर रवाना हुआ. दूल्हा डॉ राजा धुर्वे का कहना है कि अपने सामाजिक, संस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन, उच्च विचार रखने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था. (Unique wedding in Betul) (Doctor baarat on bullock cart in Betul)

बैतूल बैलगाड़ी पर निकली डॉक्टर की बारात

सजी-धजी बैलगाड़ी के आगे फैल है लग्जरी कार: बैतूल के चिचोली ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गांव असाढ़ी की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है, जिसकी वजह है गांव के एक होनहार युवक डॉक्टर राजा धुर्वे की अनूठी शादी. दरअसल, डॉ राजा धुर्वे ने अपने दुल्हेराजा के अवतार में समाज को कभी ना भूलने वाला संदेश दिया और अपनी दुल्हनिया को लेने सजी-धजी बैलगाड़ी में बारात लेकर निकले. बैलगाड़ी को भी ऐसा सजाया गया जिसके सामने लग्जरी कार और बग्घियां भी फीकी दिखाई देती.

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ऐसी बारात देख पाना दुर्लभ: इस अनूठी बारात में डॉ राजा धुर्वे की बैलगाड़ी को खास जनजातीय लोक कलाओं से सजाया गया था, दूल्हे की बैलगाड़ी के पीछे चार बैलगाड़ियो में बच्चों और महिलाओं को बैठाया गया. बारात में जनजातीय लोक नृत्य और लोक वाद्य शामिल थे, जो आज किसी शादी में देख पाना दुर्लभ है. ग्राम असाढ़ी से बैलगाड़ी पर निकला दुल्हा 3 किलोमीटर दूर दूधिया गांव में अपनी दुल्हनियां को लेने पहुंचे तो लोग यह देख कर झूम उठे. आज अपने परम्परागत तौर तरीकों से दूर होते जा रहे आदिवासी समुदाय के लिए ये विवाह एक बड़ा संदेश लेकर सामने आया.

इसलिए निकाली बैलगाड़ी पर बारात: डॉक्टर राजा पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर, शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर है. राजा के मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता, सुलभ और प्रदूषणमुक्त साधन है. साथ ही ये बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता संस्कृति की पहचान है, इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया. दूल्हे का कहना है कि अपने सामाजिक, संस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन, उच्च विचार रखने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.

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Last Updated : Apr 22, 2022, 8:07 PM IST
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