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मेडिकल स्टाफ को दी गई CPR की ट्रेनिंग, कहा- ऑक्सीजन की कमी होने पर मरीज का तुरंत करें इलाज

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Published : Dec 10, 2020, 5:25 PM IST

बैतूज जिला अस्पताल में आज मेडिकल स्टाफ को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई, मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर तुरंत इलाज करने और सीपीआर का इस्तेमाल करने की बात कही.

CPR training given to medical staff
मेडिकल स्टाफ को दी गई CPR की ट्रेनिंग

बैतूल। जिला चिकित्सालय में स्टाफ को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई, जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, इसके लिए जिला चिकित्सालय में ट्रेनिंग में बताया गया कि सीपीआर किसी जानकार व्यक्ति, अस्पताल या समुदाय में अथवा आपातकालीन स्थिति में पेशेवर चिकित्सा सहायक द्वारा दी जा सकती है.

  • सीपीआर की ट्रेनिंग का उद्देश्य

सीपीआर का उद्देश्य मस्तिष्क और हृदय के ऊतकों को बचाए रखने के लिए होता है, ताकि रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बना रहे, सीपीआर ट्रेनिंग में बताया गया, कि सीपीआर देने में डरे नहीं और जितनी जल्दी हो सके शुरू करें, क्योंकि पहले कुछ सेकंड से लेकर 10 मिनट तक का समय बेहद जोखिम भरा होता है. सीपीआर में वयस्कों के लिए दोनों हाथों की हथेलियों का प्रयोग किया जाता है, जबकि बच्चों के लिए सिर्फ एक हाथ और शिशु के लिए केवल दो अंगुलियों का प्रयोग करें,

सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि सीपीआर में 30 दबाव के बाद दो बार मुंह से सांस देने की प्रक्रिया की जाती है, यदि मुंह से सांस नहीं दे पा रहे हैं, तो प्रति मिनट 100 बार की गति से दबाव देना जारी रखें, रीससिटेशन के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय समिति द्वारा सीपीआर दबाव-मुंह से सांस देने का अनुपात (30:2) के अनुसार रखने की सिफारिश की गई है.

ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी डॉ अंकिता सीते ने बताया कि सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ,आरएमओ डॉ एके पांडे ,डॉ रानू वर्मा और डॉ प्रियंका शर्मा की उपस्थिति में डॉ रानू वर्मा स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई, जिसमे में सीपीआर क्या है, सीपीआर कब देना चाहिए, सीपीआर देने से पहले करें जांच-बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं इन बिंदुओं पर ट्रेनिंग दी गई।

बैतूल। जिला चिकित्सालय में स्टाफ को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई, जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, इसके लिए जिला चिकित्सालय में ट्रेनिंग में बताया गया कि सीपीआर किसी जानकार व्यक्ति, अस्पताल या समुदाय में अथवा आपातकालीन स्थिति में पेशेवर चिकित्सा सहायक द्वारा दी जा सकती है.

  • सीपीआर की ट्रेनिंग का उद्देश्य

सीपीआर का उद्देश्य मस्तिष्क और हृदय के ऊतकों को बचाए रखने के लिए होता है, ताकि रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बना रहे, सीपीआर ट्रेनिंग में बताया गया, कि सीपीआर देने में डरे नहीं और जितनी जल्दी हो सके शुरू करें, क्योंकि पहले कुछ सेकंड से लेकर 10 मिनट तक का समय बेहद जोखिम भरा होता है. सीपीआर में वयस्कों के लिए दोनों हाथों की हथेलियों का प्रयोग किया जाता है, जबकि बच्चों के लिए सिर्फ एक हाथ और शिशु के लिए केवल दो अंगुलियों का प्रयोग करें,

सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने बताया कि सीपीआर में 30 दबाव के बाद दो बार मुंह से सांस देने की प्रक्रिया की जाती है, यदि मुंह से सांस नहीं दे पा रहे हैं, तो प्रति मिनट 100 बार की गति से दबाव देना जारी रखें, रीससिटेशन के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय समिति द्वारा सीपीआर दबाव-मुंह से सांस देने का अनुपात (30:2) के अनुसार रखने की सिफारिश की गई है.

ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी डॉ अंकिता सीते ने बताया कि सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ,आरएमओ डॉ एके पांडे ,डॉ रानू वर्मा और डॉ प्रियंका शर्मा की उपस्थिति में डॉ रानू वर्मा स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई, जिसमे में सीपीआर क्या है, सीपीआर कब देना चाहिए, सीपीआर देने से पहले करें जांच-बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं इन बिंदुओं पर ट्रेनिंग दी गई।

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