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जल संरक्षण के बाद स्वच्छता की अलख जगा रहा सोलर विलेज बाचा - village bancha of ghoda dongri tehsil

बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील में आने वाला गांव बाचा, देश विदेश में सोलर विलेज के नाम से मशहूर है. पहले सोलर विलेज और अब वॉटर विलेज बन चुके बाचा को देखने देश-विदेश से लोग आ रहे हैं.

village Bancha of Ghoondongri tehsil
घोड़ाडोंगरी तहसील का गांव बाचा
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Published : Aug 19, 2020, 3:51 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 7:56 PM IST

बैतूल। देश में स्वच्छता के प्रति जागरुकता की एक नई लहर उठने लगी है. शहरों के साथ ही अब गांव में भी ग्रामीण स्वच्छता के प्रति जागरुक हो रहे हैं. बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील का बाचा, देश-विदेश में सोलर विलेज के नाम से मशहूर है. पहले सोलर विलेज और अब वॉटर विलेज बन चुके बाचा को देखने देश-विदेश से लोग आ रहे हैं.

स्वच्छता की अलख जगा रहा सोलर विलेज का गांव बाचा

सोलर एवं वॉटर विलेज के नाम से जाने जाने के बाद अब स्वच्छ गांव के रूप में भी गांव बाचा को जाना जाने लगा है. 74 घरों के इस गांव में ग्रामीण सड़कों पर कचरा नहीं फेंकते हर घर के सामने एक डस्टबिन रखी हुई है. ग्रामीण इस डस्टबिन में ही अपने घरों का कचरा एकत्रित करते हैं और बाद में इसे कचरे को नष्ट कर देते हैं. गांव में प्रवेश करते ही गांव की स्वच्छ सड़कें देख लोग गांव की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

सामूहिक प्रयास का नतीजा

गांव का हर व्यक्ति गांव को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देता है. गांव के युवा ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करते हैं. गांव बाचा के लोगों ने ये साबित कर दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से कुछ भी असंभव नहीं है. अगर सभी मिलकर प्रयास करें तो दुनिया को प्रदूषण, बिजली और पानी की समस्याओं से बाहर निकाला जा सकता है.

वाटर हार्वेस्टिंग

सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के अलावा घोड़ाडोंगरी तहसील के गांव बाचा में सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हैं, जिससे बारिश के पानी की एक बूंद को भी सहेजा जा रहा है. ग्रामीणों ने जल संरक्षण के लिए अपने घरों के पीछे सोकपिट भी बनाए पानी जमीन में समा सके. मध्यप्रदेश का गांव बाचा देश का ऐसा पहला गांव बन गया है, जहां हर घर में बिना लागत का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना है.

Management of water drainage in Bancha village
गांव बाचा में पानी के निकासी का प्रबंध

चूल्हा जलाने नहीं काटते पेड़, सोलर चूल्हें पर पकाते हैं खाना

घोड़ाडोंगरी तहसील का गांव बाचा देश का पहला ऐसा गांव है, जहां किसी घर में लकड़ी का चूल्हा नहीं है. ग्रामीण चूल्हा जलाने के लिए पेड़ नहीं काटते हैं. एलपीजी सिलेंडर उपयोग नहीं करते हैं. गांव के सभी 74 घरों में सिर्फ सौर चलित चूल्हे पर खाना पकता है.

ग्रामीण ने 20 रुपए में तैयार किया डस्टबिन

गांव के युवा अनिल उइके ने बताया गांव में हर घर के सामने एक डस्टबिन रखी गई है. मात्र 20 रुपए के खर्च में इस डस्टबिन को तैयार किया गया है. ग्रामीण इस डस्टबिन में ही अपने घरों का कचरा डालते हैं. कोई भी ग्रामीण सड़क पर कचरा नहीं फेंकता. भारत भारती के सचिव मोहन नागर की प्रेरणा से जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग बनाए गए और पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण सोलर चूल्हे पर खाना बनाते हैं.

bancha village
गांव बाचा

देश को बांचा गांव से लेनी चाहिए प्रेरणा

घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र का गांव बाचा एक आदर्श है. यहां के ग्रामीण बहुत ही जागरूक है. ग्रामीण सड़कों का कचरा नहीं फेंकते जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं. देश के अन्य गांवों को गांव बाचा से प्रेरणा लेना चाहिए.

बैतूल। देश में स्वच्छता के प्रति जागरुकता की एक नई लहर उठने लगी है. शहरों के साथ ही अब गांव में भी ग्रामीण स्वच्छता के प्रति जागरुक हो रहे हैं. बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील का बाचा, देश-विदेश में सोलर विलेज के नाम से मशहूर है. पहले सोलर विलेज और अब वॉटर विलेज बन चुके बाचा को देखने देश-विदेश से लोग आ रहे हैं.

स्वच्छता की अलख जगा रहा सोलर विलेज का गांव बाचा

सोलर एवं वॉटर विलेज के नाम से जाने जाने के बाद अब स्वच्छ गांव के रूप में भी गांव बाचा को जाना जाने लगा है. 74 घरों के इस गांव में ग्रामीण सड़कों पर कचरा नहीं फेंकते हर घर के सामने एक डस्टबिन रखी हुई है. ग्रामीण इस डस्टबिन में ही अपने घरों का कचरा एकत्रित करते हैं और बाद में इसे कचरे को नष्ट कर देते हैं. गांव में प्रवेश करते ही गांव की स्वच्छ सड़कें देख लोग गांव की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

सामूहिक प्रयास का नतीजा

गांव का हर व्यक्ति गांव को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देता है. गांव के युवा ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करते हैं. गांव बाचा के लोगों ने ये साबित कर दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से कुछ भी असंभव नहीं है. अगर सभी मिलकर प्रयास करें तो दुनिया को प्रदूषण, बिजली और पानी की समस्याओं से बाहर निकाला जा सकता है.

वाटर हार्वेस्टिंग

सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के अलावा घोड़ाडोंगरी तहसील के गांव बाचा में सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हैं, जिससे बारिश के पानी की एक बूंद को भी सहेजा जा रहा है. ग्रामीणों ने जल संरक्षण के लिए अपने घरों के पीछे सोकपिट भी बनाए पानी जमीन में समा सके. मध्यप्रदेश का गांव बाचा देश का ऐसा पहला गांव बन गया है, जहां हर घर में बिना लागत का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना है.

Management of water drainage in Bancha village
गांव बाचा में पानी के निकासी का प्रबंध

चूल्हा जलाने नहीं काटते पेड़, सोलर चूल्हें पर पकाते हैं खाना

घोड़ाडोंगरी तहसील का गांव बाचा देश का पहला ऐसा गांव है, जहां किसी घर में लकड़ी का चूल्हा नहीं है. ग्रामीण चूल्हा जलाने के लिए पेड़ नहीं काटते हैं. एलपीजी सिलेंडर उपयोग नहीं करते हैं. गांव के सभी 74 घरों में सिर्फ सौर चलित चूल्हे पर खाना पकता है.

ग्रामीण ने 20 रुपए में तैयार किया डस्टबिन

गांव के युवा अनिल उइके ने बताया गांव में हर घर के सामने एक डस्टबिन रखी गई है. मात्र 20 रुपए के खर्च में इस डस्टबिन को तैयार किया गया है. ग्रामीण इस डस्टबिन में ही अपने घरों का कचरा डालते हैं. कोई भी ग्रामीण सड़क पर कचरा नहीं फेंकता. भारत भारती के सचिव मोहन नागर की प्रेरणा से जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग बनाए गए और पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण सोलर चूल्हे पर खाना बनाते हैं.

bancha village
गांव बाचा

देश को बांचा गांव से लेनी चाहिए प्रेरणा

घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र का गांव बाचा एक आदर्श है. यहां के ग्रामीण बहुत ही जागरूक है. ग्रामीण सड़कों का कचरा नहीं फेंकते जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं. देश के अन्य गांवों को गांव बाचा से प्रेरणा लेना चाहिए.

Last Updated : Aug 19, 2020, 7:56 PM IST
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