बैतूल। बैतूल में एक ऐसा परिवार है जो अपनी मानव सेवा के लिए पहचाना जाता है. बैतूल में अब से 24 साल पहले कुछ समाजसेवियों ने गरीब मरीजों, बीमारों और उनके परिजनों के लिए एक योजना की शुरूआत की थी. जिसने बीते 24 सालो में 87 लाख से भी ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाया है. इस परिवार में हर धर्म हर सम्प्रदाय के लोग पूरे 24 साल से अपना योगदान दे रहे हैं. इसका नाम है अंकुरित आहार परिवार(Betul sprout diet parivar). आइए आपको बताते हैं इस परिवार के कौन हैं सदस्य और वो क्या करतें हैं.
कैसे हुई थी इसकी शुरूआत: अंकुरित आहार परिवार नाम की एक संस्था पिछले 24 साल से लगातार जिला अस्पताल में सुबह मरीजों और उनके परिजनों को पोष्टिक आहार के रूप में अंकुरित आहार वितरित कर रही है. एक जनवरी 2023 अंकुरित आहार परिवार 25वें साल में प्रवेश कर रहा है. 1 जनवरी 1999 के दिन बैतूल के केवल 7 सदस्यों के साथ शुरू हुए इस मानव सेवा मिशन से आज हजारों लोग जुड़ चुके हैं.
पोषक तत्वों से बना अंकुरित आहार: बैतूल में अब से 24 साल पहले कुछ समाजसेवियों और पत्रकारों ने गरीब मरीजों, बीमारों के लिए एक योजना की शुरुआत की थी. जिसने बीते 24 सालो में लाखों मरीजों को फायदा पहुंचाया है. समाजसेवियों ने यहां जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले आम और खास मरीजों की सेवा के लिए अपनी समाज सेवा की खास मिसाल पेश की है. हर सुबह साढ़े 8 बजते ही यहां शुरू हो जाता है सेवा का सिलसिला. यहां पिछले 24 सालों से हर सुबह बिना नागा किए समाजसेवी मरीजों को पोषक तत्वों से बना अंकुरित आहार वितरित कर रहा है.
सुबह ठीक 8.30 बजे मिलता है नाश्ता: हर दिन यहां जिला अस्पताल में करीब 500 मरीजों को सुबह साढ़े 8 बजते ही अंकुरित आहार बांटना शुरू कर दिया जाता है. पोषक तत्वों से बने आहार को लेकर सेवाकर्मी सबसे पहले 8 बजे अस्पताल पहुंचते हैं, फिर सेवाभावना के लिए छोटी सी प्रार्थना की जाती है. उसके बाद 1 दर्जन से ज्यादा सेवाभावी सदस्य साथ लाए आहार को दोनों में भरकर हर वार्ड में पहुंचकर मरीज और उनके परिजनों को अंकुरित आहार बांटते हैं. सेवाभावी सदस्यों का यह कारवा बढ़ता ही जा रहा है. ठंड हो गर्मी हो या बारिश हो अंकुरित आहार बांटने का यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है. हालाकि कोविड के दौरान बीच में यह कार्य रुक गया था. इसके लिए शादी की सालगिरह, बर्थडे, पुण्यतिथि लोग अस्पताल में ही मानते हैं. अपने परिजनों की खास तिथियों पर नाम मात्र का शुल्क 500 रूपये देकर लोग इस योजना में शमिल हो जाते हैं.
अंकुरित आहार वितरण समिति के 20 साल पूरे, हर दिन करते हैं जनसेवा
24 साल से चल रही योजना: आहार योजना की खूबी यही है कि सेवाभावियों की सेवा का यह संकल्प आज तक टुटा नहीं है. समय की पाबंदी इस परिवार की खास पहचान है. तभी तो अस्पताल का सरकारी नाश्ता मरीजों और उनके परिजनों को मिले या न मिले अंकुरित आहार परिवार की यह सौगात हर दिन वक्त पर हर मरीज के बिस्तर तक पहुंच जाती है. दरअसल यह परिवार हर दिन के लिए अपना मेन्यू तैयार कर लेता है. पोष्टिक आहार के रूप में कभी मुंग तो कभी चना तो कभी सोयाबीन जैसा अनाज भिगो कर उसे अंकुरित कर उसे हल्का चटपटा बनाकर परोसा जाता है. योजना की सफलता का अंदाजा इसी से लगता है की 24 साल से चल रही योजना में आज भी काफी दिन की एडवांस बुकिंग है(ankurit aahar pariwar in Betul). जाहिर है एक अच्छी पहल ने प्रेरणादायी शक्ल अख्तियार कर ली. लोग जुटते गए और कारवा बनता चला गया.