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जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं ग्रामीण, जिला प्रशासन ने मूंदी आंखें - River crosses on life palm

बड़वानी जिले के कुछ ग्रामीण अपनी जान हथेली पर रखकर हर रोज नदी पार करते हैं. ताकि दूसरे किनारे लगे बाजार से जरुरत की चीजों लाई जा सके.लेकिन प्रशासन अभी तक नदी पर एक पुल नहीं बनवा सका है.

बिना पुलिया के नदी पार करते ग्रामीण
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Published : Aug 19, 2019, 12:37 PM IST

बड़वानी। भारी बरिश से नदी- नाले सभी उफान पर हैं, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. पानी का तेज बहाव कभी भी खतरे का सबब बन सकता है. बावजूद इसके जिला प्रशासन ने अपनी आंखें मूंद ली हैं.

उफान पर नदी, फिर भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते ग्रामीण

जिले के कुछ ग्रामीण अपनी जान हथेली पर रखकर हर रोज नदी पार करते हैं. ताकि दूसरे किनारे लगे बाजार से जरुरत की चीजों लाई जा सके. बड़वानी जिले के तिल्लीखेत समेत कई गांवों के लोगों को पुल ना होने से भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां ग्रामीणों को पानसेमल अनुभाग तक पहुंचने के लिए एक उफनती नदी को पार करना पड़ता है. जिसमें कई ग्रामीण रस्सियों के सहारे, तो कई तैरकर ही नदी पार करने को मजबूर हैं. ऐसे में हमेसा हादसों का डर बना रहता है.

ग्रामीण रामसिंह ने बताया कि पानसेमल जाने के लिए हर दिन नदी को पार करना पड़ता है. जब नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है, तो उसे पार कर पाना मुश्किल हो जाता है. रामसिंह ने बताया कि नदी पर पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके बाबजूद प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

एक और ग्रामीण ने बताया कि पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और सरपंच को अवगत कराया है. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. ग्रामीणों ने बताया कि यदि कोई बीमार हो जाए अस्पताल पहुंचाने के लिए जान पर खेलकर नदी पार करते हैं.

बड़वानी। भारी बरिश से नदी- नाले सभी उफान पर हैं, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. पानी का तेज बहाव कभी भी खतरे का सबब बन सकता है. बावजूद इसके जिला प्रशासन ने अपनी आंखें मूंद ली हैं.

उफान पर नदी, फिर भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते ग्रामीण

जिले के कुछ ग्रामीण अपनी जान हथेली पर रखकर हर रोज नदी पार करते हैं. ताकि दूसरे किनारे लगे बाजार से जरुरत की चीजों लाई जा सके. बड़वानी जिले के तिल्लीखेत समेत कई गांवों के लोगों को पुल ना होने से भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां ग्रामीणों को पानसेमल अनुभाग तक पहुंचने के लिए एक उफनती नदी को पार करना पड़ता है. जिसमें कई ग्रामीण रस्सियों के सहारे, तो कई तैरकर ही नदी पार करने को मजबूर हैं. ऐसे में हमेसा हादसों का डर बना रहता है.

ग्रामीण रामसिंह ने बताया कि पानसेमल जाने के लिए हर दिन नदी को पार करना पड़ता है. जब नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है, तो उसे पार कर पाना मुश्किल हो जाता है. रामसिंह ने बताया कि नदी पर पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके बाबजूद प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

एक और ग्रामीण ने बताया कि पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और सरपंच को अवगत कराया है. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. ग्रामीणों ने बताया कि यदि कोई बीमार हो जाए अस्पताल पहुंचाने के लिए जान पर खेलकर नदी पार करते हैं.

Intro:बड़वानी जिले में आजादी के दशकों बाद भी कुछ ऐसे क्षेत्र है जो सरकार के खोखले दांवों की पोल खोलते नजर आते है आज भी लोग अपनी जान हथेली पर लेकर रोज मौत से आंख मिचौली करते है । आप जो वीडियो देख रहे है उसमें न तो यह किसी खेल का हिस्सा है और नही किसी प्रकार का स्टंट जी हां चाहे बीमारी में डॉ को दिखाना हो या हाट बाजार से जरूरत का सामान खरीदना हो बरसात में ग्रामीणों के लिए रिस्क लेना ही एकमात्र तरीका है, सैकड़ो लोगो की जिंदगी रस्सियों के सहारे टिकी हुई है।
Body:केंद्र हो या राज्य सरकार उनके विकास के दावे धरातल पर कितने सही साबित हो रहे हैं उसकी बानगी बड़वानी जिले के पानसेमल अनुभाग में खेतिया से 20 किमी दूर चार गांव तिल्लीखेत,मोगरापानी,ओखा पानी,कामठ्या के 3 हजार परिवार करीब 150 फिट ऊंचे नाले पर तार और रस्सी के सहारे नाले पार करते धावड़ी आना ग्रामीणों की दिनचर्या का हिस्सा है।
पानसेमल अनुभाग के एक गांव के लोग पुलिया नहीं होने के कारण उफनते नाले को तार और रस्सी के सहारे जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं।
इस गांव और पानसेमल अनुविभाग के बीच इस नाले ने लक्ष्मण रेखा खींच दी है। इस नाले को पार कर ग्रामीण आम दिनों में आवाजाही कर लेते हैं लेकिन बारिश में नाला उफनने के बाद इसे पार करना मुश्किल हो जाता है।
इसलिए नाले को पार करने के लिए ग्रामीणों ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर एक किनारे से दूसरे किनारे तक तार और रस्सी बांधी है। इसी के सहारे ग्रामीण 150 फीट से अधिक लंबा उफनता नाला जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं।
बाइट01-रामसिंह-ग्रामीण
बाइट- सस्तिया पटेल-ग्रामीण
Conclusion:बड़वानी जिले में आज भी आदिवासी अंचलों में लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम है , विकास किस चिड़िया का नाम है यहां के ग्रामीणों को पता नही। बरसात के दिनों में पानसेमल अनुविभाग के लोग चाहे बीमारी हो और जरूरत की चीजों हो जान हथेली पर लेकर घर से निकलना पड़ता है।
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