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इंदल उत्सव का विरोध का आदिवासी संगठनों ने किया विरोध

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Published : Jan 3, 2021, 1:56 PM IST

बड़वानी में पलसूद तहसील के मटली गांव में प्रदेश सरकार द्वारा 3 दिवसीय इंदल उत्सव का आयोजन किया गया. लेकिन कार्यक्रम का स्वरुप छोटा होने से आदिवासी संगठनों ने इस जनजाति कार्यक्रम का विरोध करना शुरु कर दिया.

Protest against indal festival
इंदल उत्सव का विरोध

बड़वानी। जिले के पलसूद तहसील के मटली गांव में प्रदेश सरकार द्वारा 3 दिवसीय इंदल उत्सव का आयोजन किया गया. इस आयोजन में प्रदेश के जनजाति वर्ग से विधायक और सांसद पहुंचने वाले थे. पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के निधन के चलते राजकीय शोक के चलते कार्यक्रम का स्वरुप छोटा कर दिया गया. जिसकी वजह से आदिवासी संगठनों ने इस जनजाति कार्यक्रम का विरोध करना शुरु कर दिया.

जनजातीय वर्ग के संगठन का विरोध प्रदर्शन
प्रदेश सरकार द्वारा जहां प्रतिवर्ष मटली में इंदलदेव की पूजा अर्चना कर उत्सव मनाया जाता है. वहीं इस बार कुछ आदिवासी संगठनों ने इसका विरोध भी किया है. उनका कहना है कि इंदल देव की पूजा हर वर्ष नहीं की जाती, जबकि आदिवासी समाज के नागरिक द्वारा 5 वर्ष 10 वर्ष के अंतराल में मन्नत के रूप में पूजा कब प्रावधान है. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा हठ धर्मिता पूर्वक आदिवासी संस्कृति के विपरीत इंदल उत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर आदिवासी संस्कृति खिलवाड़ कर रही है.
क्या है इंदल उत्सव?
जनजातीय समाज अपने समाज और सुख समृद्धि की कामना से अनेक धार्मिक अनुष्ठान करता है. जंगल में निवास करने वाली जनजातियां प्रकृति की उपासक रही है. इसी क्रम में पश्चिम निमाड़ी की भेल भाला पटेलिया आदि जनजातीय मनोकामना पूर्ति अमान मन्नत पूरी होने के उपरांत इंदल पूजा करती आई है. कुटुंब की सुख समृद्धि और पशुओं के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए समाज द्वारा इंदल दो की पूजा की जाती है.

बड़वानी। जिले के पलसूद तहसील के मटली गांव में प्रदेश सरकार द्वारा 3 दिवसीय इंदल उत्सव का आयोजन किया गया. इस आयोजन में प्रदेश के जनजाति वर्ग से विधायक और सांसद पहुंचने वाले थे. पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के निधन के चलते राजकीय शोक के चलते कार्यक्रम का स्वरुप छोटा कर दिया गया. जिसकी वजह से आदिवासी संगठनों ने इस जनजाति कार्यक्रम का विरोध करना शुरु कर दिया.

जनजातीय वर्ग के संगठन का विरोध प्रदर्शन
प्रदेश सरकार द्वारा जहां प्रतिवर्ष मटली में इंदलदेव की पूजा अर्चना कर उत्सव मनाया जाता है. वहीं इस बार कुछ आदिवासी संगठनों ने इसका विरोध भी किया है. उनका कहना है कि इंदल देव की पूजा हर वर्ष नहीं की जाती, जबकि आदिवासी समाज के नागरिक द्वारा 5 वर्ष 10 वर्ष के अंतराल में मन्नत के रूप में पूजा कब प्रावधान है. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा हठ धर्मिता पूर्वक आदिवासी संस्कृति के विपरीत इंदल उत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर आदिवासी संस्कृति खिलवाड़ कर रही है.
क्या है इंदल उत्सव?
जनजातीय समाज अपने समाज और सुख समृद्धि की कामना से अनेक धार्मिक अनुष्ठान करता है. जंगल में निवास करने वाली जनजातियां प्रकृति की उपासक रही है. इसी क्रम में पश्चिम निमाड़ी की भेल भाला पटेलिया आदि जनजातीय मनोकामना पूर्ति अमान मन्नत पूरी होने के उपरांत इंदल पूजा करती आई है. कुटुंब की सुख समृद्धि और पशुओं के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए समाज द्वारा इंदल दो की पूजा की जाती है.

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