ETV Bharat / state

मेधा पाटकर के साथ डूब प्रभावित और किसानों ने किया प्रदर्शन, कृषि बिल वापस लेने की उठाई मांग

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय से जुड़े संगठनों ने 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' के नेतृत्व में बड़वानी कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि बिल को वापस लेने की भी मांग की है.

Demonstration of farmers
किसानों का प्रदर्शन
author img

By

Published : Nov 6, 2020, 3:18 PM IST

बड़वानी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय से जुड़े संगठनों ने 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' के नेतृत्व में विशाल रैली निकाली और कलेक्ट्रेट कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही प्रधानमंत्री और सीएम के नाम एसडीएम धनश्याम धनगर को ज्ञापन सौंपा. एनबीए के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शन के दौरान मेधा पाटकर ने कहा, केंद्र सरकार ने कृषि संबंधी तीन कानून पारित किए हैं, वे संसद में पूरी बहस के बिना पारित कर दिए गए हैं. किसान संगठनों से चर्चा न करते हुए, अलोकतांत्रिक प्रक्रिया से देश के किसानों पर थोपे गए हैं.

एनबीए के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन

'शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा'

मेधा पाटकर ने कहा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कंपनियों का राज होने से शासन और समाज के अधिकार छीने जाएंगे. खेती आज भी नुकसान और घाटे का सौदा बनकर रह गई है. हम इन तीन कानूनों का पुरजोर विरोध करते हुए केंद्र शासन से यह मांग करते हैं कि, इन तीनों कानूनों को वापस किया जाए और राज्य सरकार, राजस्थान, केरल, छतीसगढ़ जैसे किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंधनकारक बनाने वाले निर्णय व कानून, संपूर्ण कर्जमुक्ति और खेती-प्रकृति की हर उपज का सही दाम लाने वाले कानून पारित किए जाएं.

किसान विरोधी है कानून

एनबीए नेत्री ने कहा कि, केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए तीनों कानून किसान विरोधी हैं. किसानों के साथ खेत मजदूर, पशुपालक, मछुवारे, कृषि आधरित छोटे उद्योग सभी पर इसका असर पड़ेगा. साथ ही आम जनता की अन्नसुरक्षा, जो कि सस्ते दाम पर अनाज मिलने से ही प्राप्त होती है, वह भी समाप्त होगी.

ये भी पढ़ें: मोहन भागवत अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के नैतिक चरित्र पर भी ध्यान दें- दिग्विजय सिंह


'तीनों कानून किसान, स्वास्थ्य व किसान विरोधी'

मेधा पाटकर ने कहा, पहला कानून, जो कृषक उपज व्यापर एवं वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) अधिनियम-2020 के नाम से कृषि उपज मंडी समिति के खेती उपज खरीदी के अधिकार पर आंच लाकर निजी मंडियों को टैक्स और उपज खरीदी की छूट देता है, वो मंडीयों का आधार किसानों से छीन लेगा. आज मंडियों में जो भी कमियां हैं, उन्हें खत्म करने के बदले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक प्रकार से खत्म हो जाएगा. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) या कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) से MSP पर खरीद की व्यवस्था भी नाकाम होती जाएगी.

किसान को फसल के नहीं मिलेंगे सही दाम

एनबीए नेत्री ने कहा, दूसरा कानून कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वाशन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 का बड़ा नाम धारण किया है. प्रत्यक्ष में यह कानून बड़ी कंपनियों को अनेक दलालों और उत्पादक कंपनियों के द्वारा किसानों के साथ अनुबंधित खेती की स्वतंत्रता देता है. इससे कंपनियां अपनी पसंद के बीज, दवाईयां और खाद किसानों को बेचकर उन्हें उपज बिक्री के लिए बंधक बनाएगी. समय आने पर खेती उपज की गुणवत्ता का मुद्दा बनाकर ये कंपनियां उपज सही दाम पर खरीदने से इंकार करेंगी. ऐसे अनुबंधों में वहन, मजदूरी आदि पर खर्च बढ़ाकर कंपनियां किसानों को कम दाम देती रही हैं और कर्ज में बंधकर खेत जमीन ही छीनती है. इस कानून में कोई विवाद हुआ तो कोर्ट में जाने से मना करते हुए किसानों को उपविभागीय अधिकारी द्वारा ही सुलझाने का निर्देश दिया गया है. ऐसे ही अनुबंधों से आहत गुजरात के किसानों ने पिछले साल कानूनी और मैदानी कड़ा संघर्ष पेप्सिको के खिलाफ करके जीत हासिल करनी पड़ी थी. ऐसा संघर्ष क्या हर किसान कर पायेगा ? नहीं.

farmers in Collectorate premises led by NBA
एनबीए के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन

'अन्नसुरक्षा को धोखे में लाने वाला कानून'

मेधा पाटकर ने कहा कि तीसरा कानून, आवश्यक वस्तु (संसोधन) अधिनियम 2020 नाम से है, जो अतिआवश्यक वस्तुओं की अन्नसुरक्षा ही धोखे में लाने वाला कानून है. इससे 1955 से बने कानून में बदलाव लाकर दलहन, तिलहन, अनाज, प्याज, आलू आदि की जमाखोरी की, कुछ शर्तों के साथ दी गई छोटी बड़ी कंपनियां व पूंजीनिवेशकों बड़ी ‘लूट की छूट’ साबित होगी, जब तक दाम अनाज के दो गुना और प्याज, आलू के दो गुना नहीं बढ़ेंगे जब तक शासन हस्तक्षेप नहीं करेगी. इससे निश्चित ही, कम दाम पर खरीदी और अधिक से अधिक दाम पर खाद्यान्न की बिक्री होगी तो गरीब ही क्या, मध्यमवर्गीय भी नहीं खरीद पाएंगे, ये अतिआवश्यक चीजें हैं. इतने सारे हथकंडे मात्र अब करोड़पति कंपनियों को खेती क्षेत्र में उतरकर मुनाफा और संपत्ति कमाने के लिए ही है, यह हम सब जानते हैं.

तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग

प्रदर्शन करते हुए मेधा ने कहा कि तीनों कानूनों का सख्त विरोध दर्ज करके इन्हें वापस लेने की मांग करते हैं. साथ ही बिजली विधेयक 2020 के द्वारा आप, प्रधानमंत्री जी अब बिजली की किसानों को दी जा रही सब्सिडी रद्द करना चाहते हैं. पूरे निजीकरण से इस क्षेत्र को भी बड़े उद्योगपतियों के हाथ सौंपना चाहते हैं. किसानों को इससे 10 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेचोगे, खेती और व्यापार के बीच फर्क नहीं करोगे तो क्या किसान खेती-सिंचाई कर पाएंगे ? नहीं. हमारी खेती आज से अधिक घाटा भुगतते हुए हमारे हाथ से बेची या छीनी जाएगी. हम इस बिजली बिल वापसी की मांग करते हैं. हम नहीं मानेंगे कि किसानी अन्य उद्योगों की बराबरी कर सकती है. अगर आप मानते हैं तो किसानों की उपज को भी उद्योग के उत्पादनों बराबर दाम दीजिए अन्यथा बिजली बिल रद्द कीजिए.

जन आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार कंपनीकरण 'आत्मनिर्भर भारत’ नहीं 'बाजार और पूंजीनिर्भर गांव' बनाकर देश की प्राकृतिक संपदा और अन्न सुरक्षा पर बड़ा आघात करेगा. आप पुनर्विचार के लिए 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय’ के साथ चर्चा करना चाहेंगे तो हम तैयार हैं, नहीं तो हम जन आंदोलन और तेज करेंगे.

बड़वानी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय से जुड़े संगठनों ने 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' के नेतृत्व में विशाल रैली निकाली और कलेक्ट्रेट कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही प्रधानमंत्री और सीएम के नाम एसडीएम धनश्याम धनगर को ज्ञापन सौंपा. एनबीए के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शन के दौरान मेधा पाटकर ने कहा, केंद्र सरकार ने कृषि संबंधी तीन कानून पारित किए हैं, वे संसद में पूरी बहस के बिना पारित कर दिए गए हैं. किसान संगठनों से चर्चा न करते हुए, अलोकतांत्रिक प्रक्रिया से देश के किसानों पर थोपे गए हैं.

एनबीए के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन

'शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा'

मेधा पाटकर ने कहा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कंपनियों का राज होने से शासन और समाज के अधिकार छीने जाएंगे. खेती आज भी नुकसान और घाटे का सौदा बनकर रह गई है. हम इन तीन कानूनों का पुरजोर विरोध करते हुए केंद्र शासन से यह मांग करते हैं कि, इन तीनों कानूनों को वापस किया जाए और राज्य सरकार, राजस्थान, केरल, छतीसगढ़ जैसे किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंधनकारक बनाने वाले निर्णय व कानून, संपूर्ण कर्जमुक्ति और खेती-प्रकृति की हर उपज का सही दाम लाने वाले कानून पारित किए जाएं.

किसान विरोधी है कानून

एनबीए नेत्री ने कहा कि, केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए तीनों कानून किसान विरोधी हैं. किसानों के साथ खेत मजदूर, पशुपालक, मछुवारे, कृषि आधरित छोटे उद्योग सभी पर इसका असर पड़ेगा. साथ ही आम जनता की अन्नसुरक्षा, जो कि सस्ते दाम पर अनाज मिलने से ही प्राप्त होती है, वह भी समाप्त होगी.

ये भी पढ़ें: मोहन भागवत अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के नैतिक चरित्र पर भी ध्यान दें- दिग्विजय सिंह


'तीनों कानून किसान, स्वास्थ्य व किसान विरोधी'

मेधा पाटकर ने कहा, पहला कानून, जो कृषक उपज व्यापर एवं वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) अधिनियम-2020 के नाम से कृषि उपज मंडी समिति के खेती उपज खरीदी के अधिकार पर आंच लाकर निजी मंडियों को टैक्स और उपज खरीदी की छूट देता है, वो मंडीयों का आधार किसानों से छीन लेगा. आज मंडियों में जो भी कमियां हैं, उन्हें खत्म करने के बदले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक प्रकार से खत्म हो जाएगा. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) या कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) से MSP पर खरीद की व्यवस्था भी नाकाम होती जाएगी.

किसान को फसल के नहीं मिलेंगे सही दाम

एनबीए नेत्री ने कहा, दूसरा कानून कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वाशन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 का बड़ा नाम धारण किया है. प्रत्यक्ष में यह कानून बड़ी कंपनियों को अनेक दलालों और उत्पादक कंपनियों के द्वारा किसानों के साथ अनुबंधित खेती की स्वतंत्रता देता है. इससे कंपनियां अपनी पसंद के बीज, दवाईयां और खाद किसानों को बेचकर उन्हें उपज बिक्री के लिए बंधक बनाएगी. समय आने पर खेती उपज की गुणवत्ता का मुद्दा बनाकर ये कंपनियां उपज सही दाम पर खरीदने से इंकार करेंगी. ऐसे अनुबंधों में वहन, मजदूरी आदि पर खर्च बढ़ाकर कंपनियां किसानों को कम दाम देती रही हैं और कर्ज में बंधकर खेत जमीन ही छीनती है. इस कानून में कोई विवाद हुआ तो कोर्ट में जाने से मना करते हुए किसानों को उपविभागीय अधिकारी द्वारा ही सुलझाने का निर्देश दिया गया है. ऐसे ही अनुबंधों से आहत गुजरात के किसानों ने पिछले साल कानूनी और मैदानी कड़ा संघर्ष पेप्सिको के खिलाफ करके जीत हासिल करनी पड़ी थी. ऐसा संघर्ष क्या हर किसान कर पायेगा ? नहीं.

farmers in Collectorate premises led by NBA
एनबीए के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन

'अन्नसुरक्षा को धोखे में लाने वाला कानून'

मेधा पाटकर ने कहा कि तीसरा कानून, आवश्यक वस्तु (संसोधन) अधिनियम 2020 नाम से है, जो अतिआवश्यक वस्तुओं की अन्नसुरक्षा ही धोखे में लाने वाला कानून है. इससे 1955 से बने कानून में बदलाव लाकर दलहन, तिलहन, अनाज, प्याज, आलू आदि की जमाखोरी की, कुछ शर्तों के साथ दी गई छोटी बड़ी कंपनियां व पूंजीनिवेशकों बड़ी ‘लूट की छूट’ साबित होगी, जब तक दाम अनाज के दो गुना और प्याज, आलू के दो गुना नहीं बढ़ेंगे जब तक शासन हस्तक्षेप नहीं करेगी. इससे निश्चित ही, कम दाम पर खरीदी और अधिक से अधिक दाम पर खाद्यान्न की बिक्री होगी तो गरीब ही क्या, मध्यमवर्गीय भी नहीं खरीद पाएंगे, ये अतिआवश्यक चीजें हैं. इतने सारे हथकंडे मात्र अब करोड़पति कंपनियों को खेती क्षेत्र में उतरकर मुनाफा और संपत्ति कमाने के लिए ही है, यह हम सब जानते हैं.

तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग

प्रदर्शन करते हुए मेधा ने कहा कि तीनों कानूनों का सख्त विरोध दर्ज करके इन्हें वापस लेने की मांग करते हैं. साथ ही बिजली विधेयक 2020 के द्वारा आप, प्रधानमंत्री जी अब बिजली की किसानों को दी जा रही सब्सिडी रद्द करना चाहते हैं. पूरे निजीकरण से इस क्षेत्र को भी बड़े उद्योगपतियों के हाथ सौंपना चाहते हैं. किसानों को इससे 10 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेचोगे, खेती और व्यापार के बीच फर्क नहीं करोगे तो क्या किसान खेती-सिंचाई कर पाएंगे ? नहीं. हमारी खेती आज से अधिक घाटा भुगतते हुए हमारे हाथ से बेची या छीनी जाएगी. हम इस बिजली बिल वापसी की मांग करते हैं. हम नहीं मानेंगे कि किसानी अन्य उद्योगों की बराबरी कर सकती है. अगर आप मानते हैं तो किसानों की उपज को भी उद्योग के उत्पादनों बराबर दाम दीजिए अन्यथा बिजली बिल रद्द कीजिए.

जन आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार कंपनीकरण 'आत्मनिर्भर भारत’ नहीं 'बाजार और पूंजीनिर्भर गांव' बनाकर देश की प्राकृतिक संपदा और अन्न सुरक्षा पर बड़ा आघात करेगा. आप पुनर्विचार के लिए 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय’ के साथ चर्चा करना चाहेंगे तो हम तैयार हैं, नहीं तो हम जन आंदोलन और तेज करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.