बड़वानी। सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जबकि इस समय नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान से 10 मीटर ऊपर पहुंच चुका है और कई गांव टापू बन चुके हैं. ओमकारेश्वर, इंदिरा सागर जल परियोजनाओं से छोड़े गए पानी के चलते एक-दो दिन में जलस्तर बढ़ने से कई गांव जलमग्न हो जाएंगे, लेकिन ग्रामीण अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और अपना बसेरा छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने नर्मदा किनारे बसे डूब प्रभावित कुकरा गांव का दौरा किया, टापू बन चुके इस गांव को बढ़ते जलस्तर ने डुबाना शुरू कर दिया है. कुकरा में अभी 40 परिवार रह रहे हैं, जबकि डूबने का खतरा उनके सर पर है, यहां बच्चे बढ़ते जलस्तर से अंजान होकर खेलकूद में व्यस्त हैं, वहीं महिलाएं भी अभी सरकार से उचित न्याय की आस लगाए बैठी हैं.
डूब प्रभावित दयाराम का कहना है कि कुकरा में मंदिर, मकान और दुकान सब डूब गए हैं और जो बचे हैं, ऊपरी कछार के पानी को छोड़ने से वे भी डूब जाएंगे. डूब के मुहाने पर अब भी कुकरा के लोगों को सरकार से मुआवजे की आस है डूब दयाराम का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस लड़ाई में उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. वहीं एक अन्य प्रभावित दिलकौर का कहना है कि हाल ही में नर्मदा के बैक वाटर को नाव से पार करते समय करंट लगने से 2 की मौत हो चुकी है, अगर उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वे भी मरने के लिए तैयार हैं. कुकरा में दिखावे के लिए प्रशासन ने अस्थाई चौकी बना रखी लेकिन, यहां रहता कोई नहीं.
बड़वानी जिले में नर्मदा किनारे बसे कई गांव सरदार सरोवर बांध के पानी में डूबने की कगार पर हैं. टापू बने ये गांव जलस्तर बढ़ने से जल्द ही डूब जाएंगे, लेकिन यहां के लोग बिना किसी डर के सरकार से मुआवजे की आस में अपने घर छोड़ेने को तैयार नहीं हैं. इन डूब प्रभावितों को यहां से सुरक्षित निकालना जिला प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.