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बड़वानी: पटेल-पुजारा सम्मेलन का आयोजन, आदिवासियों के साथ मंत्री-सांसद भी रहे मौजूद

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Published : Nov 11, 2020, 1:08 PM IST

बड़वानी के धाबाबावड़ी स्थित शहीद भीमा नायक स्मारक परिसर में आदिवासी समाज के पटेल व पुजारा का सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में विधायक, मंत्री सहित सांसद भी मौजूद रहे.

Patel-Pujara conference held in Barwani
पटेल-पुजारा सम्मेलन

बड़वानी। धाबाबावड़ी स्थित शहीद भीमा नायक स्मारक परिसर में जिले के आदिवासी समाज के पटेल व पुजारा का सम्मान समारोह और सम्मेलन आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल, खरगोन-बड़वानी लोकसभा सांसद गजेंद्र पटेल व राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी भी मौजूद रहे.

सम्मेलन में आगामी 15 नवंबर को आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने और आदिवासी समाज की संस्कृति व परंपरा का संरक्षण बना रहे, इन विषयों पर चर्चा की गई. बिरसा मुंडा जयंती, बिरसा दीवाली के रूप में मनाई जाएगी. आदिवासी समाज के सम्मेलन में पहुंचे राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी ने कहा कि जन जातीय विकास मंच व आदिवासी कल्याण परिषद के बैनर तले जिले में पटेल व पुजारा सम्मेलन आयोजित किया गया.

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बिरसा मुंडा जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाना, और बिरसा दीवाली मनाने की तैयारियों के साथ-साथ गांवों की परिस्थितियों को समझने के लिए आयोजन किया गया है. बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज के उत्थान को लेकर आवाज उठाई थी. लोकसभा सांसद गजेंद्र पटेल ने कहा की आदिवासी समाज मे कई प्रकार की पुरानी परम्पराएं हैं. इसी के चलते झारखण्ड के बिरसा मुंडा ने सामाजिक उत्थान व धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते हुए समाज को संगठित किया. अंग्रेजों से भी लोहा लिया था. इस बार प्रदेश सरकार ने बिरसा मुंडा जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. देश के जनजातिय वीरों के बारे में सरकार सोच रही है यह अच्छा कदम है.

कौन हैं पटेल व पुजारा

आदिवासी समाज प्रकृति पूजक हैं और वन, पर्वत, नदियों तथा सूर्य की आराधना करते हैं. इसके अलावा सामाजिक कार्यक्रम हो या कोई समस्या हो, यह अपने गांव में अपने स्तर से ही उसका निराकरण और निर्णय करते हैं. हर गांव में पटेल के रूप में एक गांव का प्रधान प्रमुख होता है. जिसे गांव के लोग हर तरह के मामलों में आमंत्रित करते हैं, और सुझाव लेते हैं. इसी तरह गांव के पारंपरिक त्योहारों, लोकपर्व व अन्य कार्यक्रमों में पुजारा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, पुजारा अर्थात पूजा करने वाला, जो गांव के हर घर जाकर विधि अनुसार पूजा करता है.

बड़वानी। धाबाबावड़ी स्थित शहीद भीमा नायक स्मारक परिसर में जिले के आदिवासी समाज के पटेल व पुजारा का सम्मान समारोह और सम्मेलन आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल, खरगोन-बड़वानी लोकसभा सांसद गजेंद्र पटेल व राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी भी मौजूद रहे.

सम्मेलन में आगामी 15 नवंबर को आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने और आदिवासी समाज की संस्कृति व परंपरा का संरक्षण बना रहे, इन विषयों पर चर्चा की गई. बिरसा मुंडा जयंती, बिरसा दीवाली के रूप में मनाई जाएगी. आदिवासी समाज के सम्मेलन में पहुंचे राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी ने कहा कि जन जातीय विकास मंच व आदिवासी कल्याण परिषद के बैनर तले जिले में पटेल व पुजारा सम्मेलन आयोजित किया गया.

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बिरसा मुंडा जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाना, और बिरसा दीवाली मनाने की तैयारियों के साथ-साथ गांवों की परिस्थितियों को समझने के लिए आयोजन किया गया है. बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज के उत्थान को लेकर आवाज उठाई थी. लोकसभा सांसद गजेंद्र पटेल ने कहा की आदिवासी समाज मे कई प्रकार की पुरानी परम्पराएं हैं. इसी के चलते झारखण्ड के बिरसा मुंडा ने सामाजिक उत्थान व धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते हुए समाज को संगठित किया. अंग्रेजों से भी लोहा लिया था. इस बार प्रदेश सरकार ने बिरसा मुंडा जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. देश के जनजातिय वीरों के बारे में सरकार सोच रही है यह अच्छा कदम है.

कौन हैं पटेल व पुजारा

आदिवासी समाज प्रकृति पूजक हैं और वन, पर्वत, नदियों तथा सूर्य की आराधना करते हैं. इसके अलावा सामाजिक कार्यक्रम हो या कोई समस्या हो, यह अपने गांव में अपने स्तर से ही उसका निराकरण और निर्णय करते हैं. हर गांव में पटेल के रूप में एक गांव का प्रधान प्रमुख होता है. जिसे गांव के लोग हर तरह के मामलों में आमंत्रित करते हैं, और सुझाव लेते हैं. इसी तरह गांव के पारंपरिक त्योहारों, लोकपर्व व अन्य कार्यक्रमों में पुजारा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, पुजारा अर्थात पूजा करने वाला, जो गांव के हर घर जाकर विधि अनुसार पूजा करता है.

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