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गंगा दशहरा के दिन गंगा और नर्मदा का होता है मिलन, पौराणिक ग्रंथों में मिलता है उल्लेख - Ganga Dussehra in Barwani

बड़वानी के गांगली गांव में एक गंगा कुंड है. मान्यता है कि, यहां गंगा दशहरा के दिन गंगा मैया नर्मदा से मिलने आती हैं.

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गंगा दशहरा के दिन गंगा और नर्मदा का होता है मिलन
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Published : Jun 1, 2020, 9:07 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 4:47 PM IST

बड़वानी। आज गंगा दशहरा है ,आज गंगा जी धरती पर आई थीं. साथ ही ऐसी मान्यता है कि, आज ही के दिन गंगा और नर्मदा का मिलन भी हुआ था. जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव बसा है. जहां पर गंगा कुंड है. जिसमें गंगा जी अवतरित होकर नर्मदा से मिलती हैं. ऐसा नर्मदा पुराण और शिव पुराण में भी उल्लेख मिलता है. आज के दिन इस गंगा कुंड पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है, लोग दूर-दूर से पुण्य लाभ लेने के लिए यहां आते हैं.

गंगा दशहरा के दिन गंगा और नर्मदा का होता है मिलन
मान्यता है कि, जेष्ठ माह की दशमी यानि गंगा दशहरा पर मां गंगा, नर्मदा से मिलने स्वयं यहां उपस्थित होती हैं. इस पवित्र स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं की बात करें तो, जानकार बताते हैं कि एक अंधी महिला को गंगा स्नान की इच्छ हुई, उसको मां गंगा ने सपने में इस स्थान का पता बताया. जिसके बाद महिला ने इस कुंड में स्नान किया, तो उसकी आंखों की ज्योती लौट आई.

इसके अलावा इस गंगा से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है कि, यहां बाल विधवा तपस्विनी पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थी, लेकिन मूढ़ नाम के एक असुर ने कामदृष्टि से उसे परेशान करना शुरू कर दिया. तपस्विनी के कठोर तप से आखिर एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और असुर का संहार कर तपस्विनी को वरदान दिया. भगवान शिव ने कहा कि, उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएंगीं, तब उनका नर्मदा से मिलना होगा.

वैसे तो इस गंगा कुंड में पानी 12 महीने रहता है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि, गंगा दशहरे से एक दिन पहले कुंड में पानी की मात्रा बढ़ जाती है. फिर दो दिनों तक इसका पानी नर्मदा की धारा से मिलता है.

धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. लिहाजा यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं. इस स्थान पर गंगा दशहरा के पावन पर्व पर मेला लगता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस आयोजन को रद्द कर दिया गया है.

बड़वानी। आज गंगा दशहरा है ,आज गंगा जी धरती पर आई थीं. साथ ही ऐसी मान्यता है कि, आज ही के दिन गंगा और नर्मदा का मिलन भी हुआ था. जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव बसा है. जहां पर गंगा कुंड है. जिसमें गंगा जी अवतरित होकर नर्मदा से मिलती हैं. ऐसा नर्मदा पुराण और शिव पुराण में भी उल्लेख मिलता है. आज के दिन इस गंगा कुंड पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है, लोग दूर-दूर से पुण्य लाभ लेने के लिए यहां आते हैं.

गंगा दशहरा के दिन गंगा और नर्मदा का होता है मिलन
मान्यता है कि, जेष्ठ माह की दशमी यानि गंगा दशहरा पर मां गंगा, नर्मदा से मिलने स्वयं यहां उपस्थित होती हैं. इस पवित्र स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं की बात करें तो, जानकार बताते हैं कि एक अंधी महिला को गंगा स्नान की इच्छ हुई, उसको मां गंगा ने सपने में इस स्थान का पता बताया. जिसके बाद महिला ने इस कुंड में स्नान किया, तो उसकी आंखों की ज्योती लौट आई.

इसके अलावा इस गंगा से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है कि, यहां बाल विधवा तपस्विनी पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थी, लेकिन मूढ़ नाम के एक असुर ने कामदृष्टि से उसे परेशान करना शुरू कर दिया. तपस्विनी के कठोर तप से आखिर एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और असुर का संहार कर तपस्विनी को वरदान दिया. भगवान शिव ने कहा कि, उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएंगीं, तब उनका नर्मदा से मिलना होगा.

वैसे तो इस गंगा कुंड में पानी 12 महीने रहता है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि, गंगा दशहरे से एक दिन पहले कुंड में पानी की मात्रा बढ़ जाती है. फिर दो दिनों तक इसका पानी नर्मदा की धारा से मिलता है.

धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. लिहाजा यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं. इस स्थान पर गंगा दशहरा के पावन पर्व पर मेला लगता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस आयोजन को रद्द कर दिया गया है.

Last Updated : Jun 5, 2020, 4:47 PM IST
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