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मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी के हालत भी होंगे उत्तराखंड जैसे: मेधा पाटकर - डूब प्रभावित

जिले में डूब प्रभावित लोगों की अफसरों ने शिविर लगाकर समस्याएं सुनीं. नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने कहा कि अगर कुछ नहीं किया गया, तो नर्मदा घाटी के हालात भी उत्तराखंड जैसे होंगे.

शिविर में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर हुई शामिल
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Published : Aug 17, 2019, 2:26 PM IST

बड़वानी। बड़वानी में सरदार सरोवर बांध से प्रभावित राजघाट के दो डूब प्रभावितों की मौत के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अफसरों ने विभाग के रेस्ट हाउस में शिविर लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं. बता दें कि इससे पहले डूब प्रभावितों ने कई बार ऐसे शिविरों की मांग की थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी 2 मौतों के बाद जागे और लोगों की समस्याएं सुनीं. इस शिविर में भू-अर्जन अधिकारी और तहसीलदार के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर भी मौजूद थीं.

डूब प्रभावित लोगों की अफसरों ने शिविर लगाकर सुनी समस्याएं

मेधा पाटकर ने कहा कि राजघाट में गांव और घर डूब रहे हैं, इसके लिए सरकार को प्रदेश की ओर से बात रखकर बांध में पानी बढ़ने से रोकना चाहिए. साथ ही मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि अगर सर्वदलीय सहमति नहीं बनी, तो नर्मदा घाटी के हालात उत्तराखंड जैसे होंगे, इसके लिए प्रदेश के सभी नेता जिम्मेदार होंगे.

मेधा पाटकर ने कहा कि ऐसे कई डूब प्रभावित सामने आए हैं, जिन्हें अभी भी मुआवजा मिलना बाकी है. वहीं कई ऐसे केवट परिवार हैं, जिनका 60 लाख रुपए का मुआवजा सरकार को देना बाकी है. मेधा पाटकर ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को गुजरात में खराब जमीन दी गई, उनके हक की बात भी चल रही है.

बड़वानी। बड़वानी में सरदार सरोवर बांध से प्रभावित राजघाट के दो डूब प्रभावितों की मौत के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अफसरों ने विभाग के रेस्ट हाउस में शिविर लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं. बता दें कि इससे पहले डूब प्रभावितों ने कई बार ऐसे शिविरों की मांग की थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी 2 मौतों के बाद जागे और लोगों की समस्याएं सुनीं. इस शिविर में भू-अर्जन अधिकारी और तहसीलदार के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर भी मौजूद थीं.

डूब प्रभावित लोगों की अफसरों ने शिविर लगाकर सुनी समस्याएं

मेधा पाटकर ने कहा कि राजघाट में गांव और घर डूब रहे हैं, इसके लिए सरकार को प्रदेश की ओर से बात रखकर बांध में पानी बढ़ने से रोकना चाहिए. साथ ही मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि अगर सर्वदलीय सहमति नहीं बनी, तो नर्मदा घाटी के हालात उत्तराखंड जैसे होंगे, इसके लिए प्रदेश के सभी नेता जिम्मेदार होंगे.

मेधा पाटकर ने कहा कि ऐसे कई डूब प्रभावित सामने आए हैं, जिन्हें अभी भी मुआवजा मिलना बाकी है. वहीं कई ऐसे केवट परिवार हैं, जिनका 60 लाख रुपए का मुआवजा सरकार को देना बाकी है. मेधा पाटकर ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को गुजरात में खराब जमीन दी गई, उनके हक की बात भी चल रही है.

Intro:बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध से प्रभावित राजघाट के दो डूब प्रभावितों की मौत के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अफसरों ने विभाग के रेस्ट हाउस में शिविर लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी, जबकि पूर्व में कई बार डूब प्रभावित इस तरह के शिविर लगाने की मांग कर चुके हैं ।Body:इस शिविर में भू अर्जन अधिकारी व तहसीलदार के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर भी मौजूद थे मेधा पाटकर ने कहा कि राजघाट में गांव घर बैठे डूब रहे हैं इसके लिए सरकार को प्रदेश की ओर से बात रखकर बांध में पानी भरने से रोकना चाहिए । मेधा पाटकर ने आरोप लगा कि अगर सर्वदलीय सहमति नहीं बनी तो नर्मदा घाटी के हालत उत्तराखंड जैसे होंगे इसके लिए प्रदेश के सभी नेता जिम्मेदार होंगे साथ ही मेधा पाटकर ने कहा कि शिविर में 15 से 20 परिवार को देखा है करीबन हर एक में कुछ ना कुछ लाभ लेना बाकी है वही 60 लाख की पात्रता जिनकी है ऐसे ही केवट परिवारों के लोग भी छूट है जो सामने आ रहे हैं इन कुछ लोगों को गुजरात में खड़े खरीद खराब जमीन दी गई उनके हक की भी बात बात चल रही है है।Conclusion:नर्मदा के बैक वाटर में दो डूब प्रभावितों की मौत होने के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने अपने विभाग के रेस्ट हाउस में शिविर लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी, जिसमें ऐसे कई डूब प्रभावित सामने आए हैं जिनको अभी भी कुछ ना कुछ मुआवजा मिलना बाकी है साथ ही कई ऐसे केवट परिवार है जिनका 60 लाख रुपए का मुआवजा सरकार को देना बाकी है। मेधा पाटकर ने कहा कि बांध से ज्यादा पानी रोके जाने की स्थिति में उत्तराखंड जैसे हालात हो जाएंगे जिसके प्रदेश के सभी नेता जिम्मेदार होंगे।
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