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MP Seat Scan Rajpur: राजपुर सीट पर कांग्रेस-बीजेपी में सीधी टक्कर, लेकिन कांग्रेस भारी, अब तक 9 बार जीती चुनाव

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 29, 2023, 3:50 PM IST

मध्य प्रदेश की विधानसभा में 188 नंबर की राजपुर सीट बड़वानी जिले में आती है. 66 साल पहले वजूद में आई इस सीट को शुरूआत से ही अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया हुआ है. सीट पर अधिकतर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है और अभी भी बरकरार है, लेकिन बीजेपी भी यहां कमजोर नहीं है. इस बार बीजेपी ने यहां पहले प्रत्याशी घोषित करके चुनाव में पहले ताल ठोक दी है. ईटीवी भारत ने इस सीट की एनालिसिस किया तो रिजर्व सीट होने के बाद भी जातीय आधार चुनाव ज्यादा समझ में आया. फिलहाल यहां त्रिकोणीय समीकरण बन रहे हैं.

MP Seat Scan Rajpur
एमपी सीट स्कैन राजपुर

बड़वानी। राजपुर विधानसभा से 2018 में कांग्रेस के बाला बच्चन जीतकर विधायक बने थे. बाला बच्चन कमलनाथ की 15 महीने वाली सरकार में कैबीनेट मंत्री भी रहे हैं. इस पर आदिवासी समाज की संख्या सर्वाधिक है और यही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करती है. आदिवासी के साथ यह सीट किसान बाहुल्य वाली भी मानी जाती है. इसीलिए यहां दो ही विषय चर्चा में रहते हैं. पहला आदिवासी और दूसरा किसानों से जुड़े मामले, लेकिन मुद्दे चर्चा में ही रहते हैं, हल नहीं होते.

राजपुर क्षेत्र का हाल: बड़वानी जिले से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित राजपुर कस्बे की हालत यहां की रूपा नदी देखकर ही लगाया जा सकता है. राजपुर में देखने के लिए पक्की और चमचमाती सड़कें तो हैं और घरों में नल कनेक्शन भी हैं, लेकिन इनमें पानी नहीं आता है. सड़कों पर बेरोजगार अधिक दिखाई देते हैं. राजपुर में विकास की हालत बेहद खराब है. काम कम और क्रेडिट लेने की होड़ अधिक दिखाई देती है. आदिवासियों और किसानों के लिए ढेरों योजनाएं हैं, लेकिन वे यहां जमीनी स्तर पर कम ही दिखाई देती हैं. जनता की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि फिर चाहे किसी भी पार्टी का हो, वो चुनाव जीतने के बाद कम ही नजर आता है. इसलिए वोटिंग परसेंट भी यहां कम ही रहता है.

MP Seat Scan Rajpur
राजपुर सीट के मतदाता

राजपुर सीट पर त्रिकोणीय बना मुकाबला: डेवलपमेंट को लेकर जनता की नाराजगी सरकार से अधिक है. यही कारण है कि पिछले चार चुनावों में से भाजपा सिर्फ एक बार जीत दर्ज कर सकी है. हाल यह है कि 2018 में भाजपा प्रत्याशी के निधन के बाद भी बीजेपी को सहानुभूति नहीं मिली और कांग्रेस के बाला बच्चन ने जीत हासिल की थी. अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है, लेकिन अब जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) ने मामला त्रिकोणीय बना दिया है.

हारे हुए प्रत्याशी को बीजेपी ने दिया दोबारा मौका: राजपुर विधानसभा सीट पर दावेदारों की स्थिति अब एक तरफा है. बीजेपी ने जहां अंतर सिंह पटेल को दोबारा टिकट देकर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बावजूद इसके वे पिछला चुनाव बाला बच्चन से हार गए थे. कांग्रेस उम्मीदवार बाला बच्चन को जहां 85,513 वोट मिले थे, वहीं अंतर पटेल को 84,581 वोट मिले थे. शायद हार का अंतर कम रहा, इसलिए भाजपा ने दोबारा पटेल को अवसर दिया, क्योंकि 2013 के चुनाव में बाला बच्चन ने बीजेपी के देवी सिंह पटेल को 11 हजार से अधिक मतों से हराया था. बाला बच्चन के मुकाबले अंतर सिंह पटेल कमजोर नेता माने जाते हैं, क्योंकि बाला बच्चन दिग्विजय सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और कमलनाथ सरकार में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण महकमों की कमान संभाल चुके हैं. आखिरी बार बीजेपी यहां से 2008 में जीत पाई थी. इसके अलावा 1998, 1990 और 1977 में जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता है. वहीं कांग्रेस ने 2003, 1993, 1985, 1980 में चुनाव जीता है.

MP Seat Scan Rajpur
राजपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

राजपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: वर्ष 1957 में सीट बनी और पहली तीन प्रत्याशी मैदान में थे. कांग्रेस के मांगीलाल तेजसिंह, भारतीय जनसंघ के जलाल और निर्दलीय राओजी मोहकिया. इस चुनाव में कांग्रेस के मांगीलाल तेजसिंह को जीत मिली और उन्होंने 1539 वोट से जनसंघ के जलाल को हराया. 1962 में जनसंघ के देवीसिंह लोयांजी ने कांग्रेस के मांगीलाल तेरसिंह 7606 वोट से हराया. 1967 में कांग्रेस के बी. महाडू ने जनसंघ के डी. एल. पटेल को 1887 वोट से हराकर सीट वापस ले ली. 1972 में कांग्रेस के बाकरु महाड़ू चौहान ने भारतीय जनसंघ के रुपसिंह चौहान को 4025 वोट से हराकर कब्जा कायम रखा. 1977 में जनता पार्टी के वीर सिंह देवी सिंह ने बारकूभाई चौहान को 2065 वोट से हराया.

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

MP Seat Scan Rajpur
साल 2018 का रिजल्ट

जानें 1980 से 1998 तक राजपुर सीट का हाल: 1980 में कांग्रेस के बारकूभाई चौहान ने बीजेपी के मायाभाई सिसाेदिया को 3160 वोट से हराया और 1985 में भी कांग्रेस के बारकूभाई चौहान ने बीजेपी के वीर सिंह को 4772 वोट से हराकर हैट्रिक के अवसर बना दिए, लेकिन 1990 में बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल ने कांग्रेस के चंद्रभाग किराड़े को 12721 वोट से हराकर कांग्रेस की हैट्रिक रोक दी. 1993 में कांग्रेस के बालाराम बच्चन पहली बार इसी सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल को 5945 वोट से हराकर अपना खाता खोला. 1998 में कांग्रेस के बाला बच्चन ने फिर से बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल को 3877 वोट से हराया. 2003 में उमा भारती लहर बनी और बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल ने कांग्रेस के बाला बच्चन को 30001 वोट के बड़े अंतर से हराया.

साल 2008 से 2018 तक का समीकरण: 2008 में बीजेपी के देवी सिंह पटेल ने फिर से कांग्रेस की शकुंतला वास्कले को 8767 वोट से हराया. आखिरकार 2013 में राजपुर (एसटी) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने फिर से बाला बच्चन को उम्मीदवार बनाया और उनका फैसला सही साबित हुआ. बाला बच्चन ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार देवीसिंह पटेल को कुल 11196 वोटों से हरा दिया. 2018 में भी कांग्रेस की जीत जारी रही. इस बार भी कांग्रेस ने उम्मीदवार बाला बच्चन को बनाया. बच्चन ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अंतर सिंह पटेल को 932 वोटों से हराया.

बड़वानी। राजपुर विधानसभा से 2018 में कांग्रेस के बाला बच्चन जीतकर विधायक बने थे. बाला बच्चन कमलनाथ की 15 महीने वाली सरकार में कैबीनेट मंत्री भी रहे हैं. इस पर आदिवासी समाज की संख्या सर्वाधिक है और यही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करती है. आदिवासी के साथ यह सीट किसान बाहुल्य वाली भी मानी जाती है. इसीलिए यहां दो ही विषय चर्चा में रहते हैं. पहला आदिवासी और दूसरा किसानों से जुड़े मामले, लेकिन मुद्दे चर्चा में ही रहते हैं, हल नहीं होते.

राजपुर क्षेत्र का हाल: बड़वानी जिले से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित राजपुर कस्बे की हालत यहां की रूपा नदी देखकर ही लगाया जा सकता है. राजपुर में देखने के लिए पक्की और चमचमाती सड़कें तो हैं और घरों में नल कनेक्शन भी हैं, लेकिन इनमें पानी नहीं आता है. सड़कों पर बेरोजगार अधिक दिखाई देते हैं. राजपुर में विकास की हालत बेहद खराब है. काम कम और क्रेडिट लेने की होड़ अधिक दिखाई देती है. आदिवासियों और किसानों के लिए ढेरों योजनाएं हैं, लेकिन वे यहां जमीनी स्तर पर कम ही दिखाई देती हैं. जनता की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि फिर चाहे किसी भी पार्टी का हो, वो चुनाव जीतने के बाद कम ही नजर आता है. इसलिए वोटिंग परसेंट भी यहां कम ही रहता है.

MP Seat Scan Rajpur
राजपुर सीट के मतदाता

राजपुर सीट पर त्रिकोणीय बना मुकाबला: डेवलपमेंट को लेकर जनता की नाराजगी सरकार से अधिक है. यही कारण है कि पिछले चार चुनावों में से भाजपा सिर्फ एक बार जीत दर्ज कर सकी है. हाल यह है कि 2018 में भाजपा प्रत्याशी के निधन के बाद भी बीजेपी को सहानुभूति नहीं मिली और कांग्रेस के बाला बच्चन ने जीत हासिल की थी. अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है, लेकिन अब जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) ने मामला त्रिकोणीय बना दिया है.

हारे हुए प्रत्याशी को बीजेपी ने दिया दोबारा मौका: राजपुर विधानसभा सीट पर दावेदारों की स्थिति अब एक तरफा है. बीजेपी ने जहां अंतर सिंह पटेल को दोबारा टिकट देकर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बावजूद इसके वे पिछला चुनाव बाला बच्चन से हार गए थे. कांग्रेस उम्मीदवार बाला बच्चन को जहां 85,513 वोट मिले थे, वहीं अंतर पटेल को 84,581 वोट मिले थे. शायद हार का अंतर कम रहा, इसलिए भाजपा ने दोबारा पटेल को अवसर दिया, क्योंकि 2013 के चुनाव में बाला बच्चन ने बीजेपी के देवी सिंह पटेल को 11 हजार से अधिक मतों से हराया था. बाला बच्चन के मुकाबले अंतर सिंह पटेल कमजोर नेता माने जाते हैं, क्योंकि बाला बच्चन दिग्विजय सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और कमलनाथ सरकार में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण महकमों की कमान संभाल चुके हैं. आखिरी बार बीजेपी यहां से 2008 में जीत पाई थी. इसके अलावा 1998, 1990 और 1977 में जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता है. वहीं कांग्रेस ने 2003, 1993, 1985, 1980 में चुनाव जीता है.

MP Seat Scan Rajpur
राजपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

राजपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: वर्ष 1957 में सीट बनी और पहली तीन प्रत्याशी मैदान में थे. कांग्रेस के मांगीलाल तेजसिंह, भारतीय जनसंघ के जलाल और निर्दलीय राओजी मोहकिया. इस चुनाव में कांग्रेस के मांगीलाल तेजसिंह को जीत मिली और उन्होंने 1539 वोट से जनसंघ के जलाल को हराया. 1962 में जनसंघ के देवीसिंह लोयांजी ने कांग्रेस के मांगीलाल तेरसिंह 7606 वोट से हराया. 1967 में कांग्रेस के बी. महाडू ने जनसंघ के डी. एल. पटेल को 1887 वोट से हराकर सीट वापस ले ली. 1972 में कांग्रेस के बाकरु महाड़ू चौहान ने भारतीय जनसंघ के रुपसिंह चौहान को 4025 वोट से हराकर कब्जा कायम रखा. 1977 में जनता पार्टी के वीर सिंह देवी सिंह ने बारकूभाई चौहान को 2065 वोट से हराया.

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

MP Seat Scan Rajpur
साल 2018 का रिजल्ट

जानें 1980 से 1998 तक राजपुर सीट का हाल: 1980 में कांग्रेस के बारकूभाई चौहान ने बीजेपी के मायाभाई सिसाेदिया को 3160 वोट से हराया और 1985 में भी कांग्रेस के बारकूभाई चौहान ने बीजेपी के वीर सिंह को 4772 वोट से हराकर हैट्रिक के अवसर बना दिए, लेकिन 1990 में बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल ने कांग्रेस के चंद्रभाग किराड़े को 12721 वोट से हराकर कांग्रेस की हैट्रिक रोक दी. 1993 में कांग्रेस के बालाराम बच्चन पहली बार इसी सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल को 5945 वोट से हराकर अपना खाता खोला. 1998 में कांग्रेस के बाला बच्चन ने फिर से बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल को 3877 वोट से हराया. 2003 में उमा भारती लहर बनी और बीजेपी के दीवान सिंह विट्‌ठल ने कांग्रेस के बाला बच्चन को 30001 वोट के बड़े अंतर से हराया.

साल 2008 से 2018 तक का समीकरण: 2008 में बीजेपी के देवी सिंह पटेल ने फिर से कांग्रेस की शकुंतला वास्कले को 8767 वोट से हराया. आखिरकार 2013 में राजपुर (एसटी) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने फिर से बाला बच्चन को उम्मीदवार बनाया और उनका फैसला सही साबित हुआ. बाला बच्चन ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार देवीसिंह पटेल को कुल 11196 वोटों से हरा दिया. 2018 में भी कांग्रेस की जीत जारी रही. इस बार भी कांग्रेस ने उम्मीदवार बाला बच्चन को बनाया. बच्चन ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अंतर सिंह पटेल को 932 वोटों से हराया.

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