बड़वानी। मध्यप्रदेश की बेहद चर्चित मानी जाने वाली बड़वानी विधानसभा 66 साल पहले बनी थी. तब से अब तक यहां हिंदुत्व की विचारधारा बेहद मजबूत है. अब तक हुए 14 में से 11 चुनाव पहले जनसंघ और जनता पार्टी ने जीते और जब बीजेपी अस्तित्व में आई, तो उसने 6 बार जीत दर्ज की. इसमें से 5 बार तो लगातार जीत मिली. वहीं कांग्रेस एक बार ही यह सफलता दोहरा पाई थी. अब इस मौके पर ईटीवी भारत ने किया इस सीट का विस्तारपूर्वक विश्लेषण..
एमपी में 17 नवंबर को मतदान होना है. इस चुनाव के लिए बीजेपी ने प्रेम सिंह पटेल को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने राजन मंडलोई को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि तीन प्रत्याशी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. जो बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.
सीट का राजनैतिक समीकरण: मध्य प्रदेश में 2018 के चुनाव में बड़वानी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रेम सिंह पटेल और कांग्रेस के रमेश पटेल के बीच मुकाबला था. कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी, जबकि बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल जीते और दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी राजन मंडलोई को उन्होंंने 38787 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. इस बात का जिक्र इसलिए सबसे पहले कर रहे हैं कि 2013 को छोड़ दिया जाए तो 1993 से अब तक बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल यहां से विधायक रहे है.
इस बार फिर कांग्रेस दम ठोक रही है. जैसे- जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो बड़वानी का सियासी पारा चढ़ने लगा है. बड़वानी जिले की दोनों हारी हुई सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन इस सीट पर दावेदारों की लंबी कतार है. बड़वानी विधानसभा में सीधे तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है. इस बार दोनों ही पार्टी के पूर्व नेता ही यहां दावा ठोक रहे हैं. भाजपा में घबराहट अधिक है. इस क्षेत्र में जयस ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बना दिया है. यह मामला इतना जमकर गूंज रहा है कि इसे नेताओं के लिए फेस करना मुश्किल हो रहा है. क्षेत्र में बेरोजगारी के अलावा बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है और उच्च शिक्षा का बुरा हाल है. युवाओं के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कॉलेज नहीं है. उद्योगों की मांग उठती है, लेकिन पूरी नहीं होती. युवा रोजगार के लिए दूसरे इलाकों में पलायन के लिए मजबूर हैं.
बड़वानी में कुल कितने मतदाता: अनुसूचित जनजाति आरक्षित विधानसभा सीट बड़वानी में कुल मतदाताओं की बात करें, तो यहां पर कुल 235628 वोटर्स हैं. इनमें पुरुष वोटर्स 118718 हैं, और महिला वोटर्स 116908 हैं, वहीं, अन्य वोटर्स दो हैं.
बड़वानी से जुड़ी खासियत: बड़ का घने जंगल होने की वजह से इस जगह का नाम बड़वानी रखा गया. जानकार बताते हैं, कि एक समय पूरा शहर बड़ से घिरा था. बड़वानी का अर्थ बड़ा का बगीता होता है. अंग्रेजी हुकूमत के समय इस जगह को निमाड़ का पेरिस भी कहा जाता रहा है. बड़वानी में ऐतिहासिक धरोहर है, इसे तीरगोला नाम से जाना जाता है. पर्यटन के लिए ये एक अच्छी जगह है. इस जगह को राजा रणजीत सिंह के बेटे के मरने के बाद बनाया गया था.
बड़वानी विधानसभा का चुनावी इतिहास:1957 में पहली बार सीट बनी और दो ही प्रत्याशी मैदान में थे. इसमें भारतीय जनसंघ पार्टी के गुलाल और कांग्रेस के प्रताप सिंह भीम सिंह थे. इस चुनाव में जनसंघ के गुलान ने कांग्रेस के प्रताप सिंह को 2124 वोट से हराया. 1962 में जनसंघ के दवल नाना ने कांग्रेस के किशन सिंह धीर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा और कांग्रेस को 5144 वोट से हराया. 1967 में फिर से जनसंघ के दवल नाना ने कांग्रेस के आर. फटाला के खिलाफ चुनाव लड़कर उन्हें 1567 वोटों से हराया. 1972 में भी भारतीय जनसंघ की जीत का सिलसिला कायम रहा. बीजेएस के उमरावसिंह पर्वतसिंह ने कांग्रेस के रायसिंह पटेल को 220 वोट से हरा दिया. 1977 में जब जनसंघ ने जनता पार्टी का अवतार लिया तो जीत का सिलसिला नहीं रुका. इस बार जनता पार्टी के प्रत्याशी उमराव सिंह पर्वत सिंह ने कांग्रेस के उमराव सिंह पटेल को 8032 वोट से हराया.
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पांच चुनाव कांग्रेस को मिली बड़वानी विधानसभा में जीत: बड़वानी विधानसभा सीट से एक जीत के लिए तरस रही कांग्रेस को 1980 में पहली जीत मिली. कांग्रेस ने यहां उमराव सिंह फाटला को बीजेपी के उमराव सिंह पर्वत सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा. इसमें कांग्रेस ने बीजेपी प्रत्याशी को 969 वोट से चुनाव हराया। कांग्रेस ने 1985 में भी जीत का सिलसिला कायम रखा. एक बार फिर कांग्रेस के उमराव सिंह फाटला ने बीजेपी के उमराव सिंह पर्वत सिंह को 1036 वोट से हराया। लेकिन तीसरे ही चुनाव में बीजेपी संभल गई. 1990 में बीजेपी के उमराव सिंह पर्वत सिंह ने कांग्रेस के ओंकार पटेल को 15729 वोट से हराकर सीट वापिस अपने कब्जे में ले ली. 1993 में बीजेपी ने पहली बार प्रेम सिंह पटेल को टिकट दी, जबकि कांग्रेस ने उमराव सिंह पटेल पर दांव लगाया.
इस बार भी बीजेपी के उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार को 4072 वोट से हराकर सीट पर कब्जा बरकरार रखा. इसके बाद तो जैसे यह सीट बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल की हो गई. 1998 में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल ने कांग्रेस के सयसिंह पटेल को 1463 वोट से हराया. 2003 में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल ने कांग्रेस के तेरसिंह पटेल को 17844 वोट से हराया. 2008 में फिर से बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल ने कांग्रेस के इंजीनियर राजन हरेसिंह मंडलोई को 14327 वोट से हराया. बीजेपी की जीत का रथ 2013 में तब रुका, जब कांग्रेस ने रमेश पटेल को टिकट दिया.
2013 में, कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश पटेल ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रेमसिंह पटेल को कुल 10527 वोटों से हरा दिया. लेकिन 2018 में बड़वानी (एसटी) विधानसभा सीट फिर से बीजेपी के कब्जे में आ गई. भारतीय जनता पार्टी ने लगातार छटवी बार प्रेमसिंह पटेल को बड़वानी से उम्मीदवार बनाया. प्रेम सिंह ने भी निराश नहीं किया और इस चुनाव में उन्होंने 38787 वोट से जीत दर्ज की. इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई और दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी राजन मंडलोई रहे, जिन्हें कुल 49364 वोट मिले.