बड़वानी। सनातन धर्म के अनुसार मां गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है और मां गंगा का पवित्र पर्व 'गंगा दशहरा' धूमधाम से मनाया जा रहा है. धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं वाले इस त्योहार पर श्रद्धालु मां गंगा की भक्ति में लीन हैं. कहते हैं कि आज के दिन गंगा में डुबकी लगाने और दान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इसीलिए, एक तरफ जहां देश भर में भक्त गंगा में डुबकी लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश में भी आज के दिन लोग गांगली गांव के गंगा कुंड में श्रद्धा की डुबकी लगा रहे हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव बसा है. इस गांव में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी है. लोग तट पर पूरी श्रद्धा से पहुंच रहे हैं और कुंड में स्नान कर रहे हैं. हर साल गंगा दशहरा के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी यानि गंगा दशहरा पर मां गंगा नर्मदा से मिलने स्वयं यहां उपस्थित होती हैं. इस स्थान का जिक्र तो शिव पुराण में भी मिलता है.
इस पवित्र स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं की बात करें तो जानकार बाल विधवा ऋषिका की कहानी सुनाते हैं. उनका कहना है कि यहां बाल विधवा ऋषिका पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थीं, लेकिन मूढ़ नाम का असुर उन्हें कामदृष्टि से परेशान कर पूजा-पाठ में विघ्न डालता था. ऋषिका के कठोर तप से आखिरकार एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और कई देवताओं के साथ दर्शन दिए, फिर असुर का संहार कर ऋषिका को वरदान भी दिया. भगवान शिव ने कहा कि उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएंगी. तब उनका नर्मदा से मिलन होगा. साथ ही गंगा ने भी उन्हें आज के दिन यहां आकर श्रद्धालुओं को पावन करने का वरदान दिया था.
इस गंगा कुंड में पानी तो हर समय रहता है, लेकिन गंगा दशहरा से एक दिन पहले से झीरी में पानी की मात्रा अचानक बढ़ जाती है. फिर दो दिनों तक झीरी का पानी नर्मदा की धारा में मिलता है. श्रद्धालुओं का भी कहना है कि हरिद्वार या अन्य जगह जाकर गंगा स्नान करना मुमकिन नहीं हो पाता, इसलिए वे गंगा कुण्ड में परिजनों के साथ स्नान कर लेते हैं.
धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. यही कारण है कि यहां देश भर के श्रद्धालु यहां आकर अपने आप को धन्य समझते हैं.