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गंगा दशहरा पर इस कुंड में डुबकी लगाने से धुल जाते हैं भक्तों के पाप

गंगा दशहरा पर्व में लोग बड़वानी के गांगली गांव पहुंचते हैं जहां वे गंगा कुंड में श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं. इस स्थान का पौराणिक महत्व है. इस दिन यहां नर्मदा और गंगा मिलते हैं.

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Published : Jun 12, 2019, 7:37 PM IST

गंगा दशहरा पर इस कुंड में लोग लगाते हैं डुबकी

बड़वानी। सनातन धर्म के अनुसार मां गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है और मां गंगा का पवित्र पर्व 'गंगा दशहरा' धूमधाम से मनाया जा रहा है. धार्मिक परंपराओं और मान्‍यताओं वाले इस त्योहार पर श्रद्धालु मां गंगा की भक्ति में लीन हैं. कहते हैं कि आज के दिन गंगा में डुबकी लगाने और दान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इसीलिए, एक तरफ जहां देश भर में भक्त गंगा में डुबकी लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश में भी आज के दिन लोग गांगली गांव के गंगा कुंड में श्रद्धा की डुबकी लगा रहे हैं.

गंगा दशहरा पर इस कुंड में लोग लगाते हैं डुबकी

जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव बसा है. इस गांव में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी है. लोग तट पर पूरी श्रद्धा से पहुंच रहे हैं और कुंड में स्नान कर रहे हैं. हर साल गंगा दशहरा के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी यानि गंगा दशहरा पर मां गंगा नर्मदा से मिलने स्वयं यहां उपस्थित होती हैं. इस स्थान का जिक्र तो शिव पुराण में भी मिलता है.

इस पवित्र स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं की बात करें तो जानकार बाल विधवा ऋषिका की कहानी सुनाते हैं. उनका कहना है कि यहां बाल विधवा ऋषिका पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थीं, लेकिन मूढ़ नाम का असुर उन्हें कामदृष्टि से परेशान कर पूजा-पाठ में विघ्न डालता था. ऋषिका के कठोर तप से आखिरकार एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और कई देवताओं के साथ दर्शन दिए, फिर असुर का संहार कर ऋषिका को वरदान भी दिया. भगवान शिव ने कहा कि उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएंगी. तब उनका नर्मदा से मिलन होगा. साथ ही गंगा ने भी उन्हें आज के दिन यहां आकर श्रद्धालुओं को पावन करने का वरदान दिया था.

इस गंगा कुंड में पानी तो हर समय रहता है, लेकिन गंगा दशहरा से एक दिन पहले से झीरी में पानी की मात्रा अचानक बढ़ जाती है. फिर दो दिनों तक झीरी का पानी नर्मदा की धारा में मिलता है. श्रद्धालुओं का भी कहना है कि हरिद्वार या अन्य जगह जाकर गंगा स्नान करना मुमकिन नहीं हो पाता, इसलिए वे गंगा कुण्ड में परिजनों के साथ स्नान कर लेते हैं.

धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. यही कारण है कि यहां देश भर के श्रद्धालु यहां आकर अपने आप को धन्य समझते हैं.

बड़वानी। सनातन धर्म के अनुसार मां गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है और मां गंगा का पवित्र पर्व 'गंगा दशहरा' धूमधाम से मनाया जा रहा है. धार्मिक परंपराओं और मान्‍यताओं वाले इस त्योहार पर श्रद्धालु मां गंगा की भक्ति में लीन हैं. कहते हैं कि आज के दिन गंगा में डुबकी लगाने और दान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इसीलिए, एक तरफ जहां देश भर में भक्त गंगा में डुबकी लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश में भी आज के दिन लोग गांगली गांव के गंगा कुंड में श्रद्धा की डुबकी लगा रहे हैं.

गंगा दशहरा पर इस कुंड में लोग लगाते हैं डुबकी

जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव बसा है. इस गांव में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी है. लोग तट पर पूरी श्रद्धा से पहुंच रहे हैं और कुंड में स्नान कर रहे हैं. हर साल गंगा दशहरा के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी यानि गंगा दशहरा पर मां गंगा नर्मदा से मिलने स्वयं यहां उपस्थित होती हैं. इस स्थान का जिक्र तो शिव पुराण में भी मिलता है.

इस पवित्र स्थान से जुड़ी पौराणिक कथाओं की बात करें तो जानकार बाल विधवा ऋषिका की कहानी सुनाते हैं. उनका कहना है कि यहां बाल विधवा ऋषिका पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थीं, लेकिन मूढ़ नाम का असुर उन्हें कामदृष्टि से परेशान कर पूजा-पाठ में विघ्न डालता था. ऋषिका के कठोर तप से आखिरकार एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और कई देवताओं के साथ दर्शन दिए, फिर असुर का संहार कर ऋषिका को वरदान भी दिया. भगवान शिव ने कहा कि उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएंगी. तब उनका नर्मदा से मिलन होगा. साथ ही गंगा ने भी उन्हें आज के दिन यहां आकर श्रद्धालुओं को पावन करने का वरदान दिया था.

इस गंगा कुंड में पानी तो हर समय रहता है, लेकिन गंगा दशहरा से एक दिन पहले से झीरी में पानी की मात्रा अचानक बढ़ जाती है. फिर दो दिनों तक झीरी का पानी नर्मदा की धारा में मिलता है. श्रद्धालुओं का भी कहना है कि हरिद्वार या अन्य जगह जाकर गंगा स्नान करना मुमकिन नहीं हो पाता, इसलिए वे गंगा कुण्ड में परिजनों के साथ स्नान कर लेते हैं.

धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. यही कारण है कि यहां देश भर के श्रद्धालु यहां आकर अपने आप को धन्य समझते हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी-गंगा दशहरा पर विशेष
बड़वानी। जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूरी पर उत्तर तट पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव में गंगा दशहरा पर शृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है कारण पुराणों के अनुसार मान्यता है कि आज के दिन जेठ माह की दशमी यानी गंगा दशहरा पर बाल विधवा ऋषिका को गांगली स्थित स्थान पर आने का वरदान दिया था तभी से मां गंगा नर्मदा से मिलने स्वयं यहा उपस्थित होती है।


Body:धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव पुराण में गांगली स्थित गंगा कुंड का उल्लेख होने से इस स्थान की महत्ता और भी बढ़ जाती है। लोग इस प्राचीन कुंड को गंगा कुंड या गंगाझिरा के नाम से जानते है। जानकारों के अनुसार बाल विधवा ऋषिका उक्त स्थान पर भगवान शंकर के पार्थिव शिवलिंग बनाकर नर्मदा किनारे आराधना में लीन रहती थी तभी मूढ़ नामक असुर कामदृष्टि से उस बाल विधवा को परेशान कर पूजा पाठ में विघ्न उत्पन्न करता था । ऋषिका के कठोर तप से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शंकर ने कई देवताओं के साथ दर्शन दिए और ऋषिका को परेशान कर रहे असुर का संहार कर दिया ततपश्चात भगवान शिव ने अन्यय भक्ति प्रदान करने के साथ वरदान दिया कि उनके बनाए पार्थिव शिवलिंग लोकहित में सदैव स्थिर रहेंगे तब से नर्मदा किनारे सैकड़ो शिवलिंग है जो वर्तमान में नर्मदा के पानी मे डूबे हुए है । भगवान शिव ने ऋषिका को कहा कि उनके साथ आई देवी गंगा वैशाख शुक्ल की सप्तमी के दिन इस कुंड में और घाट पर मानव रूप में आएगी और नर्मदा से मिलन होगा साथ ही गंगा ने उन्हें जेठ माह की दशमी यानी गंगा दशहरा पर यहा आकर शृद्धालुओं को पावन करने का वरदान दिया। गंगा कुंड जिसमे कि 12 माह पानी रहता है किंतु गंगा दशहरा के एक दिन पूर्व से अगले दिन तक झीरी में पानी की मात्रा अचानक बढ़ जाती है साथ ही झीरी का पानी नर्मदा में मिलता दो दिन तक। शृद्धालुओं का भी कहना है कि हरिद्वार या अन्य जगह जाकर गंगा स्न्नान करना मुमकिन नही हो पाता है इसलिए आज गंगा कुण्ड में परिजनों के साथ स्नान कर लेते है साथ ही इस कुंड की महिमा अन्य प्रदेशों में भी फैली है जिसके चलते गुजरात और अन्य स्थानों से भी श्रद्धालु नहाने आते है जो अलसुबह से देर रात तक आते रहते है।
बाइट01-राजेन्द्र पांचाल
बाइट02-शंकर
बाइट03-भगवती
बाइट04-गंगाराम
बाइट04-शंकर


Conclusion:जो लोग हरिद्वार जाकर या गंगा नदी में स्न्नान नही कर पाते वह गांगली गांव में स्थित गंगा कुंड में जाकर पवित्र नदी के जल से स्नान कर अपने आप को धन्य समझते है वही धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथो में उल्लेख होने से इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है।
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