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खस्ताहाल सड़क से आवागमन कर रहे ग्रामीण, आजादी के बाद अब तक नहीं बदले हालात

स्वतंत्र भारत के सात दशक बीत जाने के बाद भी बैगा समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है, जिसकी सुध लेने के बजाए जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे हैं.

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Published : Nov 26, 2020, 6:20 PM IST

villagers are not getting facilities
ग्रामीणों को नहीं मिल रही सुविधा

बालाघाट। आदिवासी बाहुल्य वन ग्रामों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का धरातल पर कार्य सिफर ही साबित हो रहा है. वनग्रामों में रहने वाले बैगा आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा योजनाएं तो बनाई गई है, जो अब तक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाई है. हालात यह है कि, स्वतंत्र भारत के 7 दशक बीत जाने के बाद भी बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं इन तक नहीं पहुंच पा रही है. आज भी बैगा आदिवासी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ही जीवन गुजारने को मजबूर हैं.


नाटा ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले पंडाटोला और डंडईझोला गांव के बैगा परिवारों को आज भी पथरीला रास्ता तय करना पड़ रहा है. जहां पंडाटोला गांव से एक नाले को पार कर 2 किमी की दूरी पर डंडईझोला गांव पहुंचा जाता है. पंडाटोला गांव की कुल जनसंख्या तकरीबन 500 है. वहीं यहां पर लगभग 200 बैगा आदिवासी निवास करते हैं. ग्रामीणो द्वारा बार-बार गुहार लगाए जाने के बाद भी ना ही पुल और ना ही सड़को का निर्माण किया जा रहा है.


बारिश में टप्पू के सामान बनाकर रह जाता है डंडईझोला

बुजुर्ग महिला गंतोबाई ने बताया कि, नाटा ग्राम पंचायच से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करने पर डंडईझूला गांव आता है. यहां तक पहुंचने के लिए दो नालों को पार करना होता है. बारिश के दिनों में तो डंडईझोला गांव के हालात खराब हो जाते है. ऐसे समय नाली में पानी भर जाने से स्कूली बच्चे कई महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते है.


पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों का कहना है कि, नाटा ग्राम पंचायत से डंडईझोला गांव तक जाने के लिए दो पुल पार करना पड़ता है, जिनमें से एक तो काफी निचला पुल है. वहीं दूसरी ओर पंडाटोला से डंडईझोला तक पहुंचने के लिए पुल ही नहीं है. रास्ता खराब होने के चलते यहां पर आए-दिन दुर्घटनाएं भी घटित होती हैं.

घुमावदार रास्ते से पहुंचते है मुख्यालय

ग्रामीण बताते है कि, बारिश के दिनों में जब दोनों नाले उफान पर आ जाते हैं, तो डंडईझोला गांव से चनई होते हुए कुल 18 किलोमीटर का घुमावदार रास्ता पार करना पड़ा है. ऐसी स्थिति में अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो अस्पताल पहुंचने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

मुख्य मार्ग तक हो ग्रामीण सड़कों का निर्माण

बैगा समाज के लोगों का कहना है कि, डंडईझोला गांव से नाटा ग्राम पंचायत तक दो पुलों का शीघ्र ही निर्माण किया जाए. इसी के साथ तहसील मुख्यालय से जाने वाले मंडला मार्ग, प्रधानमंत्री सड़क योजना को जोड़ा जाए, जिससे यहां के ग्रामीणों को कम से कम आवागमन करने में किसी तरह की समस्याओं का सामना ना करना पड़े.

गर्मियों में होती हैं पीने के पानी की समस्या

बैगा आदिवासी महिला प्रेमवती ने बताया कि, पंडाटोला गांव में हैडपंप लगभग 3-4 महीने से बंद पड़ा है, जिससे उन्हें लगातार पीने के पानी की समस्या हो रही है. गर्मियों में तो परेशानी और बढ़ जाती है. कई बार शिकायत करने के बावजूद भी जिम्मेदार सुध लेने के बजाए लापवाही बरत रहे है.

बच्चों के लिए आश्रम का हो निर्माण

ग्रामीणों का कहना है कि, बच्चों के लिए आश्रम की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे बैगा समाज के बच्चों को समुचित शिक्षा प्राप्त हो सकें

पहले भी की जा चुकी है शिकायत

ग्रामीणों का कहना है कि, यहां पर सड़क और पुल निर्माण सहित अन्य समस्याओं को लेकर पहले ही कलेक्टर को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन आज तक सड़क और पुल का निर्माण नहीं किया गया. जनप्रतिनिधियों से भी बार-बार आश्वासन ही मिला.

बालाघाट। आदिवासी बाहुल्य वन ग्रामों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का धरातल पर कार्य सिफर ही साबित हो रहा है. वनग्रामों में रहने वाले बैगा आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा योजनाएं तो बनाई गई है, जो अब तक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाई है. हालात यह है कि, स्वतंत्र भारत के 7 दशक बीत जाने के बाद भी बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं इन तक नहीं पहुंच पा रही है. आज भी बैगा आदिवासी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ही जीवन गुजारने को मजबूर हैं.


नाटा ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले पंडाटोला और डंडईझोला गांव के बैगा परिवारों को आज भी पथरीला रास्ता तय करना पड़ रहा है. जहां पंडाटोला गांव से एक नाले को पार कर 2 किमी की दूरी पर डंडईझोला गांव पहुंचा जाता है. पंडाटोला गांव की कुल जनसंख्या तकरीबन 500 है. वहीं यहां पर लगभग 200 बैगा आदिवासी निवास करते हैं. ग्रामीणो द्वारा बार-बार गुहार लगाए जाने के बाद भी ना ही पुल और ना ही सड़को का निर्माण किया जा रहा है.


बारिश में टप्पू के सामान बनाकर रह जाता है डंडईझोला

बुजुर्ग महिला गंतोबाई ने बताया कि, नाटा ग्राम पंचायच से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करने पर डंडईझूला गांव आता है. यहां तक पहुंचने के लिए दो नालों को पार करना होता है. बारिश के दिनों में तो डंडईझोला गांव के हालात खराब हो जाते है. ऐसे समय नाली में पानी भर जाने से स्कूली बच्चे कई महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते है.


पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों का कहना है कि, नाटा ग्राम पंचायत से डंडईझोला गांव तक जाने के लिए दो पुल पार करना पड़ता है, जिनमें से एक तो काफी निचला पुल है. वहीं दूसरी ओर पंडाटोला से डंडईझोला तक पहुंचने के लिए पुल ही नहीं है. रास्ता खराब होने के चलते यहां पर आए-दिन दुर्घटनाएं भी घटित होती हैं.

घुमावदार रास्ते से पहुंचते है मुख्यालय

ग्रामीण बताते है कि, बारिश के दिनों में जब दोनों नाले उफान पर आ जाते हैं, तो डंडईझोला गांव से चनई होते हुए कुल 18 किलोमीटर का घुमावदार रास्ता पार करना पड़ा है. ऐसी स्थिति में अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो अस्पताल पहुंचने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

मुख्य मार्ग तक हो ग्रामीण सड़कों का निर्माण

बैगा समाज के लोगों का कहना है कि, डंडईझोला गांव से नाटा ग्राम पंचायत तक दो पुलों का शीघ्र ही निर्माण किया जाए. इसी के साथ तहसील मुख्यालय से जाने वाले मंडला मार्ग, प्रधानमंत्री सड़क योजना को जोड़ा जाए, जिससे यहां के ग्रामीणों को कम से कम आवागमन करने में किसी तरह की समस्याओं का सामना ना करना पड़े.

गर्मियों में होती हैं पीने के पानी की समस्या

बैगा आदिवासी महिला प्रेमवती ने बताया कि, पंडाटोला गांव में हैडपंप लगभग 3-4 महीने से बंद पड़ा है, जिससे उन्हें लगातार पीने के पानी की समस्या हो रही है. गर्मियों में तो परेशानी और बढ़ जाती है. कई बार शिकायत करने के बावजूद भी जिम्मेदार सुध लेने के बजाए लापवाही बरत रहे है.

बच्चों के लिए आश्रम का हो निर्माण

ग्रामीणों का कहना है कि, बच्चों के लिए आश्रम की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे बैगा समाज के बच्चों को समुचित शिक्षा प्राप्त हो सकें

पहले भी की जा चुकी है शिकायत

ग्रामीणों का कहना है कि, यहां पर सड़क और पुल निर्माण सहित अन्य समस्याओं को लेकर पहले ही कलेक्टर को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन आज तक सड़क और पुल का निर्माण नहीं किया गया. जनप्रतिनिधियों से भी बार-बार आश्वासन ही मिला.

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