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बालाघाट: लापरवाही की भेंट चढ़ गया समर्थन मूल्य पर खरीदा गया लाखों का धान, नहीं हुआ परिवहन

बालाघाट में समर्थन मूल्य पर खरीदा गया 9 लाख रुपए का धान बदइंतजामी की भेंट चढ़ गया है और बर्बाद होने की कगार पर है.

घटना स्थल की फोटो
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Published : Mar 26, 2019, 1:11 PM IST

बालाघाट। समर्थन मूल्य पर खरीदा गया 9 लाख रुपए का धान बदइंतजामी की भेंट चढ़ गया है और बर्बाद होने की कगार पर है. पानी में भीगने के कारण हजारों क्विंटल धान अंकुरित हो रहा है. सहकारी समिति के अधिकारियों की लापरवाही इस कदर है कि मोहगांव धपेरा में करीब 9 लाख रुपए की कीमत वाला धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है.

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समिति प्रभारी के मुताबिक, ये स्थिति धान का परिवहन नहीं होने से बनी है. किसानों से खरीदी होने के बाद इस धान का परिवहन नहीं किया गया. इसी का नतीजा है कि धान बारिश और पानी की भेंट चढ़ गया. हालांकि समितियों ने तत्काल तिरपाल डालकर उसे ढंकने का प्रयास किया, लेकिन तेज बारिश ने धान की बोरियों को भिगो दिया.

घटना स्थल की फोटो
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यह वही धान है, जिसके लिए किसानों को टोकन दिया गया है. इसमें धान की खरीदी तब मानी जाएगी, जब वह समिति से भंडारण के लिए गोदाम में पहुंच जाएगी. ऐसी स्थिति में इस धान को बिका हुआ भी नहीं माना जा रहा है. यही वजह है कि इस धान का किसानों को अब तक भुगतान भी नहीं किया गया है. समिति के खरीदी प्रभारी हिसबलाल दशहरे का कहना है कि समिति का काम खरीदी करने का था. उन्होंने कहा कि रखरखाव का प्रयास भी किया गया, लेकिन जिला विपणन अधिकारी ने परिवहन की व्यवस्था नहीं की.


समिति के खरीदी प्रभारी हिसबलाल दशहरे ने बताया कि कई बार सूचना के बाद भी धान को गोदाम नहीं भिजवाया गया. इसी बीच बारिश ने धान को बर्बाद कर दिया, जिसका जिम्मेदार विपणन अधिकारी है. इस मामले में जब विपणन अधिकारी से संपर्क किया गया, तो वह उपलब्ध नहीं हुए. इससे समझा जा सकता है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए नियुक्त अधिकारी कैसे गैर जिम्मेदार बने हुए हैं, साथ ही वह शासन-प्रशासन को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

बालाघाट। समर्थन मूल्य पर खरीदा गया 9 लाख रुपए का धान बदइंतजामी की भेंट चढ़ गया है और बर्बाद होने की कगार पर है. पानी में भीगने के कारण हजारों क्विंटल धान अंकुरित हो रहा है. सहकारी समिति के अधिकारियों की लापरवाही इस कदर है कि मोहगांव धपेरा में करीब 9 लाख रुपए की कीमत वाला धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है.

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समिति प्रभारी के मुताबिक, ये स्थिति धान का परिवहन नहीं होने से बनी है. किसानों से खरीदी होने के बाद इस धान का परिवहन नहीं किया गया. इसी का नतीजा है कि धान बारिश और पानी की भेंट चढ़ गया. हालांकि समितियों ने तत्काल तिरपाल डालकर उसे ढंकने का प्रयास किया, लेकिन तेज बारिश ने धान की बोरियों को भिगो दिया.

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यह वही धान है, जिसके लिए किसानों को टोकन दिया गया है. इसमें धान की खरीदी तब मानी जाएगी, जब वह समिति से भंडारण के लिए गोदाम में पहुंच जाएगी. ऐसी स्थिति में इस धान को बिका हुआ भी नहीं माना जा रहा है. यही वजह है कि इस धान का किसानों को अब तक भुगतान भी नहीं किया गया है. समिति के खरीदी प्रभारी हिसबलाल दशहरे का कहना है कि समिति का काम खरीदी करने का था. उन्होंने कहा कि रखरखाव का प्रयास भी किया गया, लेकिन जिला विपणन अधिकारी ने परिवहन की व्यवस्था नहीं की.


समिति के खरीदी प्रभारी हिसबलाल दशहरे ने बताया कि कई बार सूचना के बाद भी धान को गोदाम नहीं भिजवाया गया. इसी बीच बारिश ने धान को बर्बाद कर दिया, जिसका जिम्मेदार विपणन अधिकारी है. इस मामले में जब विपणन अधिकारी से संपर्क किया गया, तो वह उपलब्ध नहीं हुए. इससे समझा जा सकता है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए नियुक्त अधिकारी कैसे गैर जिम्मेदार बने हुए हैं, साथ ही वह शासन-प्रशासन को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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