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Holi 2023: बालाघाट में महिलाएं पहली बार बना रही हर्बल गुलाल, अच्छी आमदानी कर रही प्राप्त

बालाघाट में स्व-सहायता समूह की महिलाएं पहली बार हर्बल गुलाल बना रही है, इस हर्बल गुलाल से महिलाएं अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही हैं.

Holi 2023
बालाघाट में महिलाएं पहली बार बना रही हर्बल गुलाल
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Published : Mar 6, 2023, 12:53 PM IST

बालाघाट। जिले में स्व-सहायता समूह की महिलाएं रंगों के त्योहार होली की खुशियों को दोगुनी करने अभी से तैयारियों में जुट गई हैं, महिलाओं की ओर से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है. महिलाएं पहली बार गुलाल बना रही है, जिससे एक सप्ताह में अच्छी आमदानी प्राप्त कर रही हैं. दरअसल केमिकल युक्त रंग-गुलाल से त्वचा व स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होती हैं, हर्बल गुलाल के प्राकृतिक रंगों के माध्यम से होने वाले दुष्प्रभाव से भी छुटकारा मिलेगा और हर्बल गुलाल से बढ़िया होली रंगेगी. ये काम बालाघाट जिले के वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है.

Holi 2023
बालाघाट में महिलाएं पहली बार बना रही हर्बल गुलाल

चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन बना रहा हर्बल गुलालः गौरतलब हो कि खैरलांजी तहसील अंतर्गत सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की ओर से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है, जिसमें पालक के पत्ते, बरसीम घास, पलाश के फूल, गेंदा के फूल और उसमें अरारोट पाउडर का उपयोग किए हैं. अभी तक समूह की 6 महिलाओं ने 100 किलोग्राम हर्बल गुलाल तैयार किया है. इसमें 60 किलोग्राम गुलाल बेच भी दिया है. हर्बल गुलाल पीला, हरा, गुलाबी, नारंगी, भगवा सहित अन्य रंग के गुलाल शामिल हैं. महिलाओं ने अभी तक अच्छी खासी आय प्राप्त कर ली गई हैं. समूह की महिला मनीषा पगारे, भूमेश्वरी सुलाखे, तीजा उपवंशी, तारकेश्वरी उपवंशी बताती है कि "गुलाल की जैसे मांग आ रही है, उसी के आधार पर गुलाल बनाया जा रहा है. इसके अलावा वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में सभी तहसीलों में भी गुलाल भिजवाई गई हैं."

Must Read:- हर्बल गुलाल से जुड़ी खबरें

ऐसे बन रहे हैं हर्बल गुलालः समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्हें मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बालाघाट के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया हैं. गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है. अरारोट पाउडर मक्का से बना हुआ है, जो जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करवाया गया है. उन्होंने बताया कि हरे रंग की गुलाल बनाने में पालक, बरसिम घास और पीले रंग में गेंदा, नारंगी रंग के लिए पलाश के फूल का उपयोग किया जा रहा है. इसी प्रकार अन्य रंगों के लिए भी फूलों, सब्जियों, बीट आदि का उपयोग कर रहे है.

महिलाओं ने ये कहाः सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की समूह की छह महिलाओं की ओर से फूलों, बरसिम घास व सब्जियों व अरारोट पाउडर की मदद से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. महिलाएं मांग के अनुसार गुलाल तैयार कर रही है, जिले की सभी तहसीलों सहित जबलपुर जिले में भी गुलाल भिजवाया गया है. ये महिलाएं पहली बार गुलाल तैयार करने से समूह की अन्य महिलाओं को आगामी समय के लिए प्रेरणा मिलेगी. महिलाओं के द्वारा बनाया जाने वाला हर्बल गुलाल केमिकल रहित है, जिसके चलते इसकी डिमांड काफी बढ़ रही है,जिससे महिलाओ को काफी आर्डर मिल रहे है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही हैं.

बालाघाट। जिले में स्व-सहायता समूह की महिलाएं रंगों के त्योहार होली की खुशियों को दोगुनी करने अभी से तैयारियों में जुट गई हैं, महिलाओं की ओर से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है. महिलाएं पहली बार गुलाल बना रही है, जिससे एक सप्ताह में अच्छी आमदानी प्राप्त कर रही हैं. दरअसल केमिकल युक्त रंग-गुलाल से त्वचा व स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होती हैं, हर्बल गुलाल के प्राकृतिक रंगों के माध्यम से होने वाले दुष्प्रभाव से भी छुटकारा मिलेगा और हर्बल गुलाल से बढ़िया होली रंगेगी. ये काम बालाघाट जिले के वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है.

Holi 2023
बालाघाट में महिलाएं पहली बार बना रही हर्बल गुलाल

चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन बना रहा हर्बल गुलालः गौरतलब हो कि खैरलांजी तहसील अंतर्गत सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की ओर से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है, जिसमें पालक के पत्ते, बरसीम घास, पलाश के फूल, गेंदा के फूल और उसमें अरारोट पाउडर का उपयोग किए हैं. अभी तक समूह की 6 महिलाओं ने 100 किलोग्राम हर्बल गुलाल तैयार किया है. इसमें 60 किलोग्राम गुलाल बेच भी दिया है. हर्बल गुलाल पीला, हरा, गुलाबी, नारंगी, भगवा सहित अन्य रंग के गुलाल शामिल हैं. महिलाओं ने अभी तक अच्छी खासी आय प्राप्त कर ली गई हैं. समूह की महिला मनीषा पगारे, भूमेश्वरी सुलाखे, तीजा उपवंशी, तारकेश्वरी उपवंशी बताती है कि "गुलाल की जैसे मांग आ रही है, उसी के आधार पर गुलाल बनाया जा रहा है. इसके अलावा वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में सभी तहसीलों में भी गुलाल भिजवाई गई हैं."

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ऐसे बन रहे हैं हर्बल गुलालः समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्हें मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बालाघाट के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया हैं. गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है. अरारोट पाउडर मक्का से बना हुआ है, जो जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करवाया गया है. उन्होंने बताया कि हरे रंग की गुलाल बनाने में पालक, बरसिम घास और पीले रंग में गेंदा, नारंगी रंग के लिए पलाश के फूल का उपयोग किया जा रहा है. इसी प्रकार अन्य रंगों के लिए भी फूलों, सब्जियों, बीट आदि का उपयोग कर रहे है.

महिलाओं ने ये कहाः सावरी गांव में चिराग महिला आजीविका ग्राम संगठन की समूह की छह महिलाओं की ओर से फूलों, बरसिम घास व सब्जियों व अरारोट पाउडर की मदद से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. महिलाएं मांग के अनुसार गुलाल तैयार कर रही है, जिले की सभी तहसीलों सहित जबलपुर जिले में भी गुलाल भिजवाया गया है. ये महिलाएं पहली बार गुलाल तैयार करने से समूह की अन्य महिलाओं को आगामी समय के लिए प्रेरणा मिलेगी. महिलाओं के द्वारा बनाया जाने वाला हर्बल गुलाल केमिकल रहित है, जिसके चलते इसकी डिमांड काफी बढ़ रही है,जिससे महिलाओ को काफी आर्डर मिल रहे है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही हैं.

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