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बारिश के इंतजार में अन्नदाता, इंद्रदेव को मनाने के लिए कर रहे टोने-टोटके

बीते कई दिनों से जिले में बारिश न होने के चलते किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. अब इंद्रदेव को मनाने के लिए किसान टोने-टोटकों सहित पूजा पाठ का सहारा ले रहे हैं.

Farmers waiting for rain in balaghat
इंद्रदेव को मनाने टोने-टोटकों का सहारा
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Published : Aug 4, 2020, 7:54 PM IST

बालाघाट। मध्यप्रदेश के कई जिलों समेत बालाघाट जिले के कई क्षेत्रों में किसान बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए हुए हैं. कई सप्ताह से बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसल चौपट होने की कगार पर है. खेतों में रोपे गए पौधे सूख गए हैं, तो वहीं जमीन पानी नहीं मिलने से सूख चुकी है और दरारें पड़ गई हैं. इस बार खेती के लिहाज से सावन का महीना प्यासा ही साबित हुआ है. बारिश के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ग्रामीण किसान इंद्र देवता को मनाने पूजा पाठ और टोने टोटके का सहारा ले रहे हैं.

जिले में इस साल औसत से काफी कम बारिश दर्ज की गई है. अमूमन सावन का महीना बेहतर बारिश के लिए माना जाता है, लेकिन इस साल सावन का महीना भी प्यासा ही साबित हुआ है. ऐसे में पिछले कई सप्ताह से ग्रामीण किसान खेतों में रोपाई कार्य करके बारिश का इंतजार ही कर रहे हैं. वहीं बारिश नहीं होने से लोग चिपचिपी और उमस भरी गर्मी से भी हलाकान है. ऐसे में ग्रामीण बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी, गांव में बाजे गाजे के साथ फेरी और पूजा पाठ के अलावा टोने टोटके को भी आजमा रहे हैं. हाल ही में बालाघाट से 15 किलोमीटर दूर धपेरा मोहगांव में बारात निकालकर बारिश के लिए ग्रामीणों ने देवी देवता की पूजा की.

Farmers waiting for rain in balaghat
इंद्रदेव को मनाने टोने-टोटकों का सहारा
बार-बार आसमान में काले बादल छाने के बाद भी बारिश दगा दे रही है. जिसके चलते किसानों का सब्र टूटते जा रहा है. वहीं खेतों में बर्बाद होती फसल को देखकर निराश किसान अपनी किस्मत को कोसते हुए बारिश के लिए तरस रहे हैं. कोरोना काल के संकट में किसानों ने अपने खेतों में बेहतर फसल के उत्पादन का सपना संजोया था, लेकिन मानसून की बेरुखी ने इन किसानों को झकझोर दिया है.
Farmers waiting for rain in balaghat
बारिश के इंतजार में अन्नदाता

सावन का महीना जाने को है, लेकिन बारिश नहीं हो रही है. वहीं कोरोना के चलते महानगरों से अपने गांव आए प्रवासी मजदूर भी खेती पर निर्भर होकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन इनके भी सपने चकनाचूर होते दिख रहे हैं. असिंचित इलाकों के ऐसे हजारों किसान भी अभी बाकी है, जो बारिश के इंतजार में बुवाई और रोपाई का कार्य तक शुरू नहीं कर पाए हैं. यदि जल्द ही बारिश नहीं होती है तो यकीनन अन्नदाता की उम्मीद पूरी तरह टूट जाएगी. अब देखना है कि खेती के लिहाज से प्यासा साबित होने वाले सावन के बाद किसानों पर मानसून मेहरबान होता है या नहीं.

बालाघाट। मध्यप्रदेश के कई जिलों समेत बालाघाट जिले के कई क्षेत्रों में किसान बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए हुए हैं. कई सप्ताह से बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसल चौपट होने की कगार पर है. खेतों में रोपे गए पौधे सूख गए हैं, तो वहीं जमीन पानी नहीं मिलने से सूख चुकी है और दरारें पड़ गई हैं. इस बार खेती के लिहाज से सावन का महीना प्यासा ही साबित हुआ है. बारिश के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ग्रामीण किसान इंद्र देवता को मनाने पूजा पाठ और टोने टोटके का सहारा ले रहे हैं.

जिले में इस साल औसत से काफी कम बारिश दर्ज की गई है. अमूमन सावन का महीना बेहतर बारिश के लिए माना जाता है, लेकिन इस साल सावन का महीना भी प्यासा ही साबित हुआ है. ऐसे में पिछले कई सप्ताह से ग्रामीण किसान खेतों में रोपाई कार्य करके बारिश का इंतजार ही कर रहे हैं. वहीं बारिश नहीं होने से लोग चिपचिपी और उमस भरी गर्मी से भी हलाकान है. ऐसे में ग्रामीण बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी, गांव में बाजे गाजे के साथ फेरी और पूजा पाठ के अलावा टोने टोटके को भी आजमा रहे हैं. हाल ही में बालाघाट से 15 किलोमीटर दूर धपेरा मोहगांव में बारात निकालकर बारिश के लिए ग्रामीणों ने देवी देवता की पूजा की.

Farmers waiting for rain in balaghat
इंद्रदेव को मनाने टोने-टोटकों का सहारा
बार-बार आसमान में काले बादल छाने के बाद भी बारिश दगा दे रही है. जिसके चलते किसानों का सब्र टूटते जा रहा है. वहीं खेतों में बर्बाद होती फसल को देखकर निराश किसान अपनी किस्मत को कोसते हुए बारिश के लिए तरस रहे हैं. कोरोना काल के संकट में किसानों ने अपने खेतों में बेहतर फसल के उत्पादन का सपना संजोया था, लेकिन मानसून की बेरुखी ने इन किसानों को झकझोर दिया है.
Farmers waiting for rain in balaghat
बारिश के इंतजार में अन्नदाता

सावन का महीना जाने को है, लेकिन बारिश नहीं हो रही है. वहीं कोरोना के चलते महानगरों से अपने गांव आए प्रवासी मजदूर भी खेती पर निर्भर होकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन इनके भी सपने चकनाचूर होते दिख रहे हैं. असिंचित इलाकों के ऐसे हजारों किसान भी अभी बाकी है, जो बारिश के इंतजार में बुवाई और रोपाई का कार्य तक शुरू नहीं कर पाए हैं. यदि जल्द ही बारिश नहीं होती है तो यकीनन अन्नदाता की उम्मीद पूरी तरह टूट जाएगी. अब देखना है कि खेती के लिहाज से प्यासा साबित होने वाले सावन के बाद किसानों पर मानसून मेहरबान होता है या नहीं.

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