बालाघाट। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले तमाम कारीगर पर भी पड़ रहा है. चैत नवरात्र, श्रावण मास और रक्षाबंधन पर भी कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों कारीगरों को नुकसान उठाना पड़ा. वाराशिवनी के मूर्तीकारों ने मूर्ति को अंतिम रूप देने लगे हैं, लेकिन कोरोना संकट के कराण उनकी जीविका पर भी संकट के बादल मडरा रहे हैं.
कोरोना के कारण पड़ा व्यापार में असर
कारिगर सुरेश ढेकने ने बताया कि, वे दो पीढ़ी मूर्ति बनाने का व्यापार कर रहे है, जिस प्रकार में मेहनत करते हैं, वैसे मुनाफा नहीं होता था और अब कोरोना के कारण सारे समान का रेट तो दोगुना हो गया है, लेकिन मूर्तियों के ऑर्डर नहीं आए, जिसे कारण अब उन्हें परिवार के भर पोषण की चिंता सता रही है. और अब वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
कलर और मिट्टी का भी रेट हुआ दोगुना
फुलवंता बाई ढेकने ने बताया कि, मूर्तियां बनाने के लिए मिट्टी भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है, मिलती है तो रेट दोगुने हो गए हैं, जिस कारण उनके काम में लागत बढ़ती जा रहे है, उसी के साथ घाटा भी बढ़ रहा है. वारासिवनी शहर में करीब 75 घर के कुम्हार हैं, जिनका मुख्य व्यवसाय ही मिट्टी के बर्तन और मुर्तियां बनाना है, लेकिन कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने सभी सार्वजनिक और धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई है, जिस कारण इनकी जीविका पर भी संकट के बादल छा गए हैं.