बालाघाट। पूरे देश मे रंगों का त्योहार होली बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया, जगह जगह पर लोग होली की मस्ती में सराबोर नजर आए. वहीं होली के अवसर पर ग्रामीण अंचलों में कुछ जगहों पर परंपरागत मेले का आयोजन देखने को मिला. ऐसा ही एक आयोजन बालाघाट जिले के परसवाड़ा तहसील के समीपस्थ ग्राम कुरेन्डा में नजर आया. जहां पर होली के अवसर पर मेले का आयोजन किया गया, इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे. इस अवसर पर एक अनूठी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिली. जिसमें मेले के बीच स्थान पर तकरीबन 25 से 30 फिट ऊंचा एक लकड़ी का खम्भा लगाया गया, उसके ऊपर शीरे पर लाल कपडे में नारियल बांधा गया और लकड़ी के खम्भे पर फिसलन के लिए ग्रीस व आइल का लेपन किया गया. जिसके बाद शुरू हुई अनूठी प्रतिस्पर्धा. इस दौरान मेले में भारी संख्या में पहुंचे लोगों की भीड़ ने फिसलन वाले 25 से 30 फिट ऊंचे खम्भे को चारों तरफ से घेर लिया, फिर शुरू हुआ फिसलन भरे लकड़ी के खम्भे पर चढ़ने का सिलसिला.
मलखम्ब की तरह ही है यह खेल: गौरतलब हो कि इस प्रतिस्पर्धा में लकड़ी के खम्भे के ऊपरी हिस्से पर बांधे गए नारियल को जो तोड़कर लाता है वही विजेता कहलाता है. वैसे इस खेल को मध्यप्रदेश के राजकीय खेल मलखम्ब से जोड़कर देखा जा सकता है, कुछ उसी तरह से युवा इस खम्भे पर चढ़ते नजर आते हैं, हालांकि इसमें खम्भे पर चढ़कर नारियल तोड़कर लाते हैं और पुरस्कार वितरण के साथ प्रतिस्पर्धा का समापन किया जाता है.
फिसलन भरे खम्भे पर जोर आजमाइश: इस अनूठी प्रतिस्पर्धा के शुरू होते ही युवाओं ने फिसलन भरे लकड़ी के खम्भे पर चढ़ना शुरू किया, जिसके बाद नीचे खड़ी कुछ महिलाओं ने उन्हें छड़ी से पीटना शुरू कर दिया. हालांकि महिलाओं की मार के बावजूद भी युवाओं की जोर आजमाइश जारी रही, जिसमें कई बार युवाओं को फिसलकर नीचे गिरते देखा गया. कई बार उतार चढ़ाव के बाद आखिरकर एक युवा दमखम दिखाते हुए फिसलन भरे लकड़ी के खम्भे पर चढ़कर नारियल तोड़ लाया, जिसके बाद उक्त युवक को पुरस्कृत किया गया. प्रतिस्पर्धा के समापन उपरांत लोगों ने मेले का जमकर लुत्फ उठाया.
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सात सालों से जीत रहा पुरस्कार: प्रतिस्पर्धा में पुरस्कार पाने वाले झामसिंह उइके बीते 7 सालों से लगातार पुरस्कार जीत रहें है. हालांकि कोशिश बहुत से युवाओं के द्वारा की जाती है, किन्तु बीते 7 सालों से झामसिंह का रिकार्ड कोई नहीं तोड़ पाया है. झामसिंह ने चर्चा के दौरान खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस प्रतिस्पर्धा में सफल होने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. बीते कई वर्षों से हो रहे इस आयोजन से आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश देने का प्रयास है.
62 वर्षों से हो रहा आयोजन: इस दौरान ग्राम के बुजुर्ग टेकराम राणा ने बताया कि यह आयोजन बीते 62 सालों से लगातार जारी है, उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज वृन्दावन से लट्ठमार होली का स्वरूप लेकर यहां आए और उसी की तर्ज पर यहां यह आयोजन शुरू हुआ. तब से लगातार 62 वर्षों से यह आयोजन जारी है,जो कि आपसी प्रेम, भाईचारे व सामाजिक समरसता का संदेश देता है.