बालाघाट। मध्यप्रदेश में सक्रिय वेदर सिस्टम के चलते कई जिलों में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश का दौर जारी है. बालाघाट में भी गुरुवार रात से लगातार बारिश जारी है. इसके चलते आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. वहीं बेमौसम बारिश के खलल ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. इस समय बालाघाट में खेतों में धान की फसल लगी हुई है. खेती का कार्य तेज गति से चल रहा है. ऐसे में अचानक मौसम ने करवट बदली और बेमौसम बारिश ने इस खेती के कार्य मे व्यवधान पैदा किया है.
खेतों में खड़ी धान की फसल : खेतों में लगी धान की फसल प्रभावित हुई है. हालांकि जिले में कुछ जगहों पर धान की कटाई हो चुकी है, लेकिन कहीं कहीं खेतों में फसल खड़ी है. इसके अलावा खेतो में कटी हुई फसल के साथ धान के बोझे भी पड़े हुए हैं. बीती रात से हुई हल्की मध्यम बारिश से धान की फसल भीग चुकी है. बता दें कि बालाघाट जिला समूचे मध्यप्रदेश में धान की फसल के लिए विख्यात है. यहां पर धान की अलग-अलग किस्मों की पैदावार होती है. जिसमें सबसे खास है चिन्नौर धान, जिसका चावल खुशबूदार और बहुत ही मुलायम होता है.
किसानों की बढ़ी चिंता : बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों का कहना है कि खेत मे कटाई की गई धान की फसल तथा धान के बोझे (बंडल) पूरी तरह से पानी मे भीग गए हैं. कुछ जगहों पर कटी हुई फसल पानी मे डूब चुकी है. जिससे फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है. इसको लेकर किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं. किसानों ने बताया कि अगले कुछ दिनों तक मौसम का यही हाल रहा तो धान अंकुरण होने की स्थिति में आ जायेगा. भीगे हुए धान का कलर बदल जायेगा, जिससे किसान को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिलेगा.
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मुआवजे की दरकार : गुरुवार देर रात से जिले में हो रही बारिश ने खेती के कार्य मे व्यवधान पैदा किया है. इसके साथ ही किसानों के सामने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब उसकी लागत तथा उसकी मेहनत का वाजिब दाम मिल पायेगा. हालांकि किसान अपनी फसल की स्थिति देख खुद मायूस हो गया है, ऐसे में अब किसान शासन प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि नुकसानी का विधिवत आकलन करते हुए प्रशासन उन्हें उचित मुआवजा दिलाने की कार्रवाई जल्द करे, ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके.