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Balaghat News: स्कूल प्रबंधन के लिए गले की फांस बनी टीसी, आखिर क्यों 81 बच्चों ने एक साथ मांगी TC

बालाघाट के एक स्कूल में बच्चों ने स्कूल प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है. स्कूल में एक साथ 81 बच्चों ने टीसी की मांग कर दी. बच्चों की टीसी स्कूल प्रबंधन के लिए गले की फांस बन गई है.

Balaghat News
बच्चों में मांगी टीसी
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Published : Jul 11, 2023, 5:48 PM IST

बालाघाट। जिले की लांजी तहसील से शिक्षा जगत से जुड़ी एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. जहां पढ़ने वाले 81 विद्यार्थियों ने शासकीय हाईस्कूल से एक साथ टीसी की मांग की है. जिससे प्रशासन के सामने अब एक बड़ी आफत खड़ी हो गई है. शासकीय हाईस्कूल बिसोनी में पढ़ाई नहीं होने और शिक्षकों के समय पर नहीं आने का हवाला देते हुए विद्यार्थियों ने दूसरे स्कूल में प्रवेश लेने के लिए स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग है. हालांकि टीसी को लेकर एडमिशन प्रभारी नीलकंठ नगपुरे ने टीसी देने से इंकार करते हुए कहा है कि विद्यार्थी अपने स्कूल प्रधानाध्यापक से टीसी मांगी.

छात्रों के अधिकारों का हनन: वहीं दूसरी ओर इस मामले में क्षेत्रीय महिला नेत्री एवं जिला पंचायत सदस्य "ज्योति उमरे ने इसे विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन बताते हुए हाईस्कूल प्रबंधन से जल्द से जल्द टीसी विद्यार्थियों को देने की बात कही है." शासकीय विद्यालय से इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का टीसी मांगना, शिक्षा विभाग के उच्च पदों पर बैठे जिम्मेदारों के लिए न केवल चिंतनीय विषय है, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता एक गम्भीर मसला नजर आ रहा है. जिससे इस दिशा में कारगर कदम उठाने की नितांत आवश्यकता दिखलाई पड़ रही है.

स्कूल में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं: वहीं अगर बात स्कूल प्रबंधन की करें तो इस पूरे मामले से यही साबित होता है कि जिले में शासकीय विद्यालयों में होने वाली पढ़ाई का स्तर शायद ठीक नही है, तभी तो बच्चे स्कूल की खिलाफत तक उतर आए हैं. जबकि शासकीय स्कूल में कार्यरत शिक्षकों के वेतन की करें तो सरकार शिक्षकों को मोटी तनख्वाह दे रही है, बावजूद इसके स्कूलों से ऐसी तस्वीर निकलकर सामने आना कहीं ना कहीं जिम्मेदारों की अनदेखी का परिणाम है. जो कि जिले के शासकीय स्कूलों को लेकर गंभीर नहीं है. तभी तो इस तरह के मामले सामने आ रहे है.

यहां पढ़ें...

डीईओ ने झाड़ा पल्ला: हालांकि इस पूरे मामले ने अब विभाग के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. बहरहाल यह पूरा मामला विभाग के लिए एक चुनौती से कम नहीं है. अब देखना यह होगा कि विभाग बच्चों की इस मांग को कैसे हैंडल करता है. लेकिन इस बात से कतई इनकार नहीं कि एक साथ स्कूली बच्चों ने अपने स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग करके स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों पर सवालिया निशान खड़े करते हुए यहां की पोल खोल कर रख दी है. फिलहाल "डीईओ का यह कहना कि यह मेरी जानकारी में नहीं है, जानकारी में होगा तो देखेंगे. कहीं ना कहीं इतने बड़े और गंभीर मामले में इस तरह का जवाब देकर जिला शिक्षा अधिकारी भी पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं."

बालाघाट। जिले की लांजी तहसील से शिक्षा जगत से जुड़ी एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. जहां पढ़ने वाले 81 विद्यार्थियों ने शासकीय हाईस्कूल से एक साथ टीसी की मांग की है. जिससे प्रशासन के सामने अब एक बड़ी आफत खड़ी हो गई है. शासकीय हाईस्कूल बिसोनी में पढ़ाई नहीं होने और शिक्षकों के समय पर नहीं आने का हवाला देते हुए विद्यार्थियों ने दूसरे स्कूल में प्रवेश लेने के लिए स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग है. हालांकि टीसी को लेकर एडमिशन प्रभारी नीलकंठ नगपुरे ने टीसी देने से इंकार करते हुए कहा है कि विद्यार्थी अपने स्कूल प्रधानाध्यापक से टीसी मांगी.

छात्रों के अधिकारों का हनन: वहीं दूसरी ओर इस मामले में क्षेत्रीय महिला नेत्री एवं जिला पंचायत सदस्य "ज्योति उमरे ने इसे विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन बताते हुए हाईस्कूल प्रबंधन से जल्द से जल्द टीसी विद्यार्थियों को देने की बात कही है." शासकीय विद्यालय से इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का टीसी मांगना, शिक्षा विभाग के उच्च पदों पर बैठे जिम्मेदारों के लिए न केवल चिंतनीय विषय है, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता एक गम्भीर मसला नजर आ रहा है. जिससे इस दिशा में कारगर कदम उठाने की नितांत आवश्यकता दिखलाई पड़ रही है.

स्कूल में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं: वहीं अगर बात स्कूल प्रबंधन की करें तो इस पूरे मामले से यही साबित होता है कि जिले में शासकीय विद्यालयों में होने वाली पढ़ाई का स्तर शायद ठीक नही है, तभी तो बच्चे स्कूल की खिलाफत तक उतर आए हैं. जबकि शासकीय स्कूल में कार्यरत शिक्षकों के वेतन की करें तो सरकार शिक्षकों को मोटी तनख्वाह दे रही है, बावजूद इसके स्कूलों से ऐसी तस्वीर निकलकर सामने आना कहीं ना कहीं जिम्मेदारों की अनदेखी का परिणाम है. जो कि जिले के शासकीय स्कूलों को लेकर गंभीर नहीं है. तभी तो इस तरह के मामले सामने आ रहे है.

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डीईओ ने झाड़ा पल्ला: हालांकि इस पूरे मामले ने अब विभाग के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. बहरहाल यह पूरा मामला विभाग के लिए एक चुनौती से कम नहीं है. अब देखना यह होगा कि विभाग बच्चों की इस मांग को कैसे हैंडल करता है. लेकिन इस बात से कतई इनकार नहीं कि एक साथ स्कूली बच्चों ने अपने स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग करके स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों पर सवालिया निशान खड़े करते हुए यहां की पोल खोल कर रख दी है. फिलहाल "डीईओ का यह कहना कि यह मेरी जानकारी में नहीं है, जानकारी में होगा तो देखेंगे. कहीं ना कहीं इतने बड़े और गंभीर मामले में इस तरह का जवाब देकर जिला शिक्षा अधिकारी भी पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं."

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