बालाघाट। जिले के परसवाड़ा में किसानों को प्रशासन के कारण परेशान होना पड़ रहा है, विगत वर्ष के करोड़ों की अंतर की राशि अभी तक किसानों को प्राप्त नहीं हुई है. जिसे लेकर किसान संगठन ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें जबलपुर न्यायालय ने बालाघाट जिला प्रशासन को जून महीने तक की अवधि देकर मामलें को निपटाने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही दिसंबर 2019, और जनवरी 2020 में किसानों ने सरकार को जो धान बेची थी उसकी राशि भी सैकड़ों किसानों को अब तक नहीं मिली है. वहीं एक आद किसानों के खाते में राशि आने की खबर किसानों को मिली तो पता चला कि जिस दिन उनके बैंक खाते में राशि आई, उसी दिन बैंक ने उस राशि को वापस अपने खाते में ले लिया. इस मामलें को लेकर जब कई किसान सेवा सहकारी समिति मर्यादित बालाघाट शाखा परसवाड़ा पहुंचे तो इस गोलमाल का पता चला.
जारी कर वापस काट ली राशि
12 मई 2020 को किसानों के बैंक खाते से राशि निकाले जाने की खबर जब किसानों की लगी, तो सैकड़ों की संख्या में किसान एकत्रित होकर कॉपरेटिव बैंक पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि उनके खाते में लंबित धान की बिक्री राशि आई और चले भी गई है, जिसे लेकर किसानों और बैंक प्रबंधन के बीच जमकर नोकझोंक हुई. बैंक के सामने ही किसानों ने गेट बंद कर धरना चालू दिया, मामले को गरमाता देख पुलिस मौके पर पहुंची और मोर्चा संभालते हुए किसी तरह से किसानों को शांत किया वहीं किसानों ने नारेबाजी करते हुए बैंक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.
बैंक पर लगा धोखाधड़ी का आरोप
सभी किसानों ने इकठ्ठा होकर धोकाधड़ी करने का आरोप लगाया और शाखा प्रबंधक से पूछा की जिस राशि को लेकर वह पिछले चार महीनों से प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं. उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और जब वह राशि किसानों के खाते में आई तो बैंक प्रबंधन ने बिना पूछे कैसे उनके खाते से सारी राशि को पार कर दिया, इस मामले को लेकर किसानों में नाराजगी देखने को मिली साथ ही किसानों ने मांग की है कि बैंक प्रबंधन के उपर कानूनी कार्रवाई की जाए और अपराध के रुप में मामला दर्ज किया जाए.
इस मामले में शाखा प्रबंधक सुभाष श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों के खाते में राशि आई और कटी भी , यह बात सही है लेकिन राशि जारी करने का कार्य और आहरण का कार्य जिला मुख्यालय के बैंक प्रबंधन के द्वारा किया गया है. इस संबंध में किसानों के खाते में वापस राशि डालने का काम तेज गति से किया जा रहा है, जो अगले एक या दो दिनों में पूरा हो जाएगा. किसानों ने स्थानीय बैंक के कर्मचारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि यदि एक दो दिन में उनके खाते में राशि वापस नहीं आती है तो वह आंदोलन करेंगे, वहीं किसानों ने बैंक प्रबंधन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लीपापोती की बात कही है. साथ ही किसानों की राशि को कहीं और लगाकर मुनाफा कमाने की बात भी किसानों ने कही है.
किसानों के आरोपों में आखिर कितनी सच्चाई...
मामले को देखते हुए धोखाधड़ी साफ देखने को मिल रही है, क्योंकि एक ओर किसानों के खातें में बेची गई उपज की राशि लंबे समय के बाद डाली गई, जिसे बिना उनकी जानकारी के हटा भी दिया गया, जबकि किसानों से सोसायटी से लिये गये कर्ज की पूरी राशि काटने के बाद ही यह राशि जारी की गई थी. किसानों ने बताया कि कमलनाथ सरकार ने जिन किसानों के कर्ज माफ किए थे, जिन्हें कर्ज माफी का प्रमाण पत्र जारी हो चुका था, उनसें भी शत प्रतिशत कर्ज वसूली की गई है. जिसके चलते किसानों के सामनें मरने की स्थिति पैदा हो गई है, लॉकडाउन के चलते किसानों के हालात बिगड़े हुए हैं बावजूद इसके धोखाधड़ी की जा रही है.
मामले के जानकारों के अनुसार यह गोरखधंधा कॉपरेटिव बैंक द्वारा पूरे बालाघाट जिले में खेला गया है, इस खेल में जिले के हजारों किसानों की उपज की राशि उनके बैंक खाते से बिना किसान के जानकारी के आहरित कर उसका अन्य उपयोग कर बैंक प्रबंधन मुनाफा कमा रहे हैं. यदि जिले के किसान उक्त बैंकों के अपने- अपने खाते चेक करवाएंगे तो यह धोखाधड़ी खुद उजागर हो जाएगी.
आरोपियों के खिलाफ हो कार्रवाई
किसानों के हित की कई लड़ाई लड़ चुके किसान नेता सज्जू ओमप्रकाष पटेल ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि, उनके साथ भी धोखाधड़ी की गई है. जिसमें बैंक अधिकारीयों ने बिना उनकी जानकारी के 12 लाख 11 हजार रूपये की राशि को आहरित कर लिया गया है. यही धोखाधड़ी अन्य किसानों के साथ भी की गई है और ऐसे गैरकानूनी काम को करने वाले बैंक अधिकारियों के खिलाफ कानूनी धराओं में अपराध का मामला दर्ज होना चाहिए, और उनसे किसानों की राशि वापस दिलाई जानी चाहिए.
साथ ही उन्होंने कहा कि चार माह पूर्व की राशि के साथ साथ वर्तमान में सहकारी समितियों में बेचे गए गेहूं की राशि जो किसानों के बैंक खाते में जमा हो चुकी थी, उसे भी बैंक अधिकारीयों ने आहरित कर लिया है. वहीं सरकार से प्राप्त राशि को भी जिला सेवा सहकारी समिति मर्यादित बालाघाट के अधिकारी किसानों के खातों में नहीं डाल रहे हैं, वह करोड़ों की राशि अपने पास रखकर घोटाला कर रहे हैं जो जांच का विषय है और इस मामले में तुरंत जांच हो.
वहीं जब इस मामले में परसवाड़ा शाखा प्रबंधक सुभाष श्रीवास्तव से बात की गई तो वह इस पूरे मामले में गोल-मोल जवाब देते हुए बताया कि मामला सेविंग और क्रेड़ित अकाउन्ट का है. जिसके स्पष्ट न होने से यह विषम परिस्थिति बनी है, शीघ्र ही मामला सुलझाकर किसानों के खातों में राशि वापस डाल दी जाएगी.