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इस शिक्षक ने बनाया कबाड़ से शिक्षा का जुगाड़, आदिवासी बच्चों की सवार रहे तकदीर - Balaghat

बालाघाट जिले के छपला की प्राइमरी स्कूल के एक शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाने के लिए कबाड़ से जुगाड़ निकाला है, जिसमें उन्होंने कबाड़ से कई तरह के उपकरण बनाए हैं, जिससे वो बच्चों को सरल तरीके से पढ़ा रहे हैं.

A teacher from Balaghat created education from junk
शिक्षक ने बनाया कबाड़ से शिक्षा का जुगाड़
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Published : Feb 5, 2020, 7:18 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 8:09 PM IST

बालाघाट। जिस तरह से पारस पत्थर की धातु स्पर्श मात्र से सोना बन जाती है, ठीक वैसे ही एक शिक्षक होता है जो चाह ले तो किसी बच्चे का भविष्य भी संवार सकता है. ऐसे ही शिक्षक हैं बलाघाट जिले के बिरसा तहसील अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक स्कूल छपला के शिक्षक अकल सिंह धुर्वे, जिन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए कबाड़ से जुगाड़ निकाला है. कबाड़ की सामग्री से शिक्षा के उपकरण बनाए हैं, वो भी अपने खर्च से. अकल सिंह इन उपकरणों से बच्चों को खेल-खेल खेल में क ख ग से लेकर A B C D तक सिखाते हैं, इसके अलावा वो खेल-खेल खेल में गणित के सवाल का हल भी निकलवा देते हैं.

शिक्षक ने बनाया कबाड़ से शिक्षा का जुगाड़

अकल सिंह धुर्वे 2009 से प्राथमिक शाला छपला में पदस्थ हैं, तब से लेकर आज तक वो इन सब काम में अपने कमाई का 26 हजार रुपए खर्च कर चुके हैं. उन्होंने प्लास्टिक की फूटी हुई पानी की टंकी टीन सेट साइकिल के एक्सल और कार्टून से 8 उपकरण तैयार किए हैं, इनको बनाकर प्रत्येक कक्षा में रखा गया है. इससे बच्चे खेल खेल में पढ़कर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और आगे की पढ़ाई के लिए इनका कई संस्थाओं में चयन भी होता है.

बिरसा तहसील के बीआरसी भी अकल सिंह धुर्वे के कामों से काफी प्रभावित हैं. बीआरसी हेमंत राना बताते हैं कि अकल सिंह के नवाचार के कारण वहां के बच्चों का स्तर बढ़ा है और पालकों में भी पढ़ाई को लेकर जागरुकता आई है.

ये बनाए गए हैं उपकरण
अकल सिंह के उपकरणों की सूची में अक्षर मात्रा उपकरण, संख्या मिलाने वाला उपकरण, पैकेट बॉल उपकरण, शब्द बनाओ उपकरण, चार अक्षर जोड़ने वाला उपकरण और न जाने तमाम ऐसे उपकरण हैं, जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को सरल तरीके से खेल-खेल में ज्ञान मिलता है और इनका भविष्य प्रकाश की तरफ बढ़ता है.

स्कूल को किया गया सुसज्जित
शिक्षक अकल सिह धुर्वे ने उपकरण बनाने के अलावा भी स्कूल की पूरी क्लास को सुसज्जित किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने हाथों से पेंटिंग की है और स्कूल परिसर का पूरा रंग रोगन खुद ही किया है. अकल सिह के प्रयासों से प्राथमिक स्कूल छपाक बच्चों की संख्या के मामले में जिले का नंबर एक स्कूल बन गया है.

बालाघाट। जिस तरह से पारस पत्थर की धातु स्पर्श मात्र से सोना बन जाती है, ठीक वैसे ही एक शिक्षक होता है जो चाह ले तो किसी बच्चे का भविष्य भी संवार सकता है. ऐसे ही शिक्षक हैं बलाघाट जिले के बिरसा तहसील अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक स्कूल छपला के शिक्षक अकल सिंह धुर्वे, जिन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए कबाड़ से जुगाड़ निकाला है. कबाड़ की सामग्री से शिक्षा के उपकरण बनाए हैं, वो भी अपने खर्च से. अकल सिंह इन उपकरणों से बच्चों को खेल-खेल खेल में क ख ग से लेकर A B C D तक सिखाते हैं, इसके अलावा वो खेल-खेल खेल में गणित के सवाल का हल भी निकलवा देते हैं.

शिक्षक ने बनाया कबाड़ से शिक्षा का जुगाड़

अकल सिंह धुर्वे 2009 से प्राथमिक शाला छपला में पदस्थ हैं, तब से लेकर आज तक वो इन सब काम में अपने कमाई का 26 हजार रुपए खर्च कर चुके हैं. उन्होंने प्लास्टिक की फूटी हुई पानी की टंकी टीन सेट साइकिल के एक्सल और कार्टून से 8 उपकरण तैयार किए हैं, इनको बनाकर प्रत्येक कक्षा में रखा गया है. इससे बच्चे खेल खेल में पढ़कर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और आगे की पढ़ाई के लिए इनका कई संस्थाओं में चयन भी होता है.

बिरसा तहसील के बीआरसी भी अकल सिंह धुर्वे के कामों से काफी प्रभावित हैं. बीआरसी हेमंत राना बताते हैं कि अकल सिंह के नवाचार के कारण वहां के बच्चों का स्तर बढ़ा है और पालकों में भी पढ़ाई को लेकर जागरुकता आई है.

ये बनाए गए हैं उपकरण
अकल सिंह के उपकरणों की सूची में अक्षर मात्रा उपकरण, संख्या मिलाने वाला उपकरण, पैकेट बॉल उपकरण, शब्द बनाओ उपकरण, चार अक्षर जोड़ने वाला उपकरण और न जाने तमाम ऐसे उपकरण हैं, जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को सरल तरीके से खेल-खेल में ज्ञान मिलता है और इनका भविष्य प्रकाश की तरफ बढ़ता है.

स्कूल को किया गया सुसज्जित
शिक्षक अकल सिह धुर्वे ने उपकरण बनाने के अलावा भी स्कूल की पूरी क्लास को सुसज्जित किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने हाथों से पेंटिंग की है और स्कूल परिसर का पूरा रंग रोगन खुद ही किया है. अकल सिह के प्रयासों से प्राथमिक स्कूल छपाक बच्चों की संख्या के मामले में जिले का नंबर एक स्कूल बन गया है.

Intro:बालाघाट।बालाघाट जिले के बिरसा तहसील अंतर्गत ग्राम छपला के शासकीय प्राथमिक स्कूल के शिक्षक अकल सिंह धुर्वे  के द्वारा एक सराहनीय प्रयास की गई  है। शिक्षक द्वारा कबाड़ की सामग्री से शिक्षा के उपकरण बनाए है। इस पर आने वाला खर्च भी उन्होंने स्वयं किया है।  उपकरणों बच्चो को गिनती या गणित के सवाल के हल करने में मदद मिलती हैं। बारहखड़ी सीखाने के लिए भी इस तरह के उपकरण बच्चो के लिए मददगार साबित हो रही है। बच्चे चलते फिरते पढ़ाई कर ज्ञान अर्जित करते है। 


Body:बिरसा तहसील के प्राथमिक शाला छपला के शिक्षक अकल सिंह  धुर्वे 2009 से छापला में पदस्थ है। और यहां की गरीब आदिवासियों के बच्चे पढ़ते हैं उन्होंने प्लास्टिक की फूटी हुई पानी की टंकी टीन सेट साइकिल के एक्सल और कार्टून से 8 उपकरण तैयार किए हैं इनको बनाकर प्रत्येक कक्षा में  रखा गया है इसने बच्चे खेल खेल  में पढ़कर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं इन 10 साल में धुर्वे ने अपने वेतन से ₹26000 रुपए खर्च कर दिए हैं। और यहां से हर वर्ष बच्चे का नवोदय में चयनित होते हैं।

बालाघाट से 110 किमी दूर कान्हा राष्ट्रीय पार्क से लगी बिरसा तहसील के
ग्राम छपला के शासकीय प्राइमरी स्कूल के शिक्षक अकलसिंह धुर्वे ने नवाचार
किया है। बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्होंने कबाड़ की सामग्री से उपकरण बनवाए हैं। इस पर आने वाला खर्च भी उन्होंने ही वहन किया है। उपकरण इस तरह के हैं कि इनसे बच्चों को गिनती या गणित के सवाल हल करने में मदद
मिलती है। बारहखड़ी सिखाने के लिए भी इस तरह के उपकरण बच्चों के लिए
मददगार साबित हो रहे हैं। यहां के शिक्षक अकलसिंह धुर्वे द्वारा बनाए हुए उपकरणों से रोजाना छात्र चलते फिरते पढ़ाई कर नॉलेज प्राप्त करते है।

इसके परिणामस्वरूप स्कूल में 10 सालों से लगातार हर साल दर्ज संख्या में

इजाफा हो रहा है।

शिक्षक अकल सिंह धुर्वे वर्ष 2009 से शासकीय प्राइमरी स्कूल छपला में

पदस्थ है। वे बताते है कि वनांचल की सरकारी स्कूल में गरीब आदिवासियों के

बच्चे पड़ते है। इन बच्चों को निजी स्कूलों की तरह सुविधाएं देने का

प्रयास करते है। इसके लिए कबाड़ की सामग्री जो कोई काम की नहीं रहती उसको

उपयोग में लेकर बच्चों के लिए कामयाब बनाते है। प्लास्टिक की फूटी हुई

पानी की टंकी, टीन शेड, साइकिल के एक्सल और कार्टून से आठ उपकरण तैयार

किए है। इनको बनाकर प्रत्येक क्लास में रखे गए है। जिनसे बच्चे खेल खेल

में पढ़कर ज्ञान अर्जित कर रहे है। इन 10 साल में बच्चों को पढ़ाई से आगे

बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी की सैलरी से 26 हजार रुपए खर्च कर दिए

है।

ये बनाए गए हैं उपकरण

- अक्षर मात्रा उपकरण इससे बच्चे द्वारा मात्राअों का ज्ञान प्राप्त करते है।

- संख्या मिलाने वाला उपकरण।

- तीन अंकों में शब्द जोड़ने वाला उपकरण।

- इकाई से लेकर करोड़ तक संख्या वाला उपकरण।

- संख्या व मात्राअों को जोड़ने वाला ब्लेक बोर्ड।

- पैकेट बोल उपकरण।

- शब्द बनाओ उपकरण।

- बिना मात्रा वाले चार अक्षर जोड़ने वाला उपकरण।

स्कूल को किया सुसज्जित

शिक्षक अकल सिह धुर्वे ने इसके अलावा स्कूल के पूरी क्लास को सुसज्जित

किया गया है। जिसमें उन्होंने अपने हाथों से पेंटिंग की है। इतना ही नहीं

स्कूल में पूरा रंग रोगन वे खुद ही निशुल्क करते है। इनकी मेहनत व लगन से

जिले में शासकीय प्राइमरी स्कूल छपला पढ़ाई से लेकर दर्ज संख्या में नंबर

वन बन गया है। स्कूल के वर्तमान में पहली से लेकर पांचवीं तक 132 दर्ज

संख्या है।



Conclusion:बीआरसी हेमंत राना ने बताया कि  एक नवीप्राथमिक विद्यालय के बच्चों में शिक्षा के प्रति बहुत जागरूक अाई है। पालको  में भी  जागरूकता आई  है।और वहां की जो शैक्षणिक स्तर है उसमें भी बहुत  काफी सुधार आई है।

बाइट।   बीआरसी हेमंत राणा( बिरसा)


बाइट।  अकल सिंह  धुर्वे शिक्षक (छापला)

Last Updated : Feb 7, 2020, 8:09 PM IST
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