बालाघाट। जिस तरह से पारस पत्थर की धातु स्पर्श मात्र से सोना बन जाती है, ठीक वैसे ही एक शिक्षक होता है जो चाह ले तो किसी बच्चे का भविष्य भी संवार सकता है. ऐसे ही शिक्षक हैं बलाघाट जिले के बिरसा तहसील अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक स्कूल छपला के शिक्षक अकल सिंह धुर्वे, जिन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए कबाड़ से जुगाड़ निकाला है. कबाड़ की सामग्री से शिक्षा के उपकरण बनाए हैं, वो भी अपने खर्च से. अकल सिंह इन उपकरणों से बच्चों को खेल-खेल खेल में क ख ग से लेकर A B C D तक सिखाते हैं, इसके अलावा वो खेल-खेल खेल में गणित के सवाल का हल भी निकलवा देते हैं.
अकल सिंह धुर्वे 2009 से प्राथमिक शाला छपला में पदस्थ हैं, तब से लेकर आज तक वो इन सब काम में अपने कमाई का 26 हजार रुपए खर्च कर चुके हैं. उन्होंने प्लास्टिक की फूटी हुई पानी की टंकी टीन सेट साइकिल के एक्सल और कार्टून से 8 उपकरण तैयार किए हैं, इनको बनाकर प्रत्येक कक्षा में रखा गया है. इससे बच्चे खेल खेल में पढ़कर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और आगे की पढ़ाई के लिए इनका कई संस्थाओं में चयन भी होता है.
बिरसा तहसील के बीआरसी भी अकल सिंह धुर्वे के कामों से काफी प्रभावित हैं. बीआरसी हेमंत राना बताते हैं कि अकल सिंह के नवाचार के कारण वहां के बच्चों का स्तर बढ़ा है और पालकों में भी पढ़ाई को लेकर जागरुकता आई है.
ये बनाए गए हैं उपकरण
अकल सिंह के उपकरणों की सूची में अक्षर मात्रा उपकरण, संख्या मिलाने वाला उपकरण, पैकेट बॉल उपकरण, शब्द बनाओ उपकरण, चार अक्षर जोड़ने वाला उपकरण और न जाने तमाम ऐसे उपकरण हैं, जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को सरल तरीके से खेल-खेल में ज्ञान मिलता है और इनका भविष्य प्रकाश की तरफ बढ़ता है.
स्कूल को किया गया सुसज्जित
शिक्षक अकल सिह धुर्वे ने उपकरण बनाने के अलावा भी स्कूल की पूरी क्लास को सुसज्जित किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने हाथों से पेंटिंग की है और स्कूल परिसर का पूरा रंग रोगन खुद ही किया है. अकल सिह के प्रयासों से प्राथमिक स्कूल छपाक बच्चों की संख्या के मामले में जिले का नंबर एक स्कूल बन गया है.