अशोकनगर। रतलाम से लगभग 7 दिनों से पैदल यात्रा कर अशोकनगर पहुंचे 2 श्रमिक सत्येंद्र सिंह और लाखन गौड़ से ईटीवी भारत ने बात की वो रतलाम में पुलिया निर्माण का कार्य करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया और वो फंस गए. लगातार सरकार की हर नई नीति का इंतजार करते रहे हैं, कि लॉकडाउन खुलने पर वे किसी साधन से अपने घर पहुंचेंगे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी, मजबूरी में दोनों ने पैदल ही अपने घर पहुंचने का फैसला किया.
राज्य सरकार ने अन्य प्रदेशों से मजदूरों को लाने की योजना तो बनाई, लेकिन हकीकत ये है कि, वो अपने ही राज्य के मजदूरों को उनके जिलों तक पहुंचाने में नाकाम रही. राज्य सरकार के पास मजदूरों की काउंटिंग ही सही नहीं है. लॉकडाउन के बाद इन लोगों के पास जो भी पैसे थे, वो खानपान में खर्च हो गए, तो मजबूरी के चलते वो रतलाम से कटनी की ओर पैदल ही चल पड़े. श्रमिकों ने बताया कि, रास्ते में कई जिले पड़े, जहां प्रशासन के लोगों ने एवं समाजसेवियों ने उन्हें खाना खिलाया, लेकिन कोई भी साधन उपलब्ध नहीं करा पाए.
वहीं श्रमिकों ने बताया की, कल जब वो गुना पहुंचे तो पूरे दिन खाना नहीं मिला. मजदूरों द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर भी ये शिकायत दर्ज कराई गई है, लेकिन इससे भी इन मजदूरों को कोई राहत नहीं मिली. नवीन बस स्टैंड पर पहुंचे इन मजदूरों की मुलाकात जब शहर के समाजसेवी अमित राय से हुई, तो अपनी भूख की समस्या मजदूरों द्वारा बताई गई, तो उन्होंने मजदूरों को खाने का प्रबंध कराया गया. तहसीलदार इसरार खान भी मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने मजदूरों को नगद दो-दो हजार रुपए देकर मानवता का परिचय दिया. साथ ही तहसीलदार ने देहात थाना टीआई एमएल भावर को फोन लगाकर अपने जिले की सीमा से बाहर तक पहुंचाने का प्रबंध करवाया.