अनूपपुर। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं. जिन 24 सीटों को लेकर सियासी दलों के बीच सियासी कश्मकश मची हुई है, उन पर इस बार रोचक जंग होने वाली है, क्योंकि सिंधिया समर्थकों की बगावत के बाद इन सीटों पर बीजेपी के लिए टिकट वितरण और रूठों का माना बेहद कठिन काम साबित होता नजर आ रहा है. इन सीटों में अनूपपुर सीट भी शामिल है, जहां उपचुनाव के चलत सियासी सरगर्मी जोरों पर है.
हालांकि बीजेपी इस सीट से कांग्रेस से बीजेपी में गए बिसाहू लाल साहू को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है, जबकि कांग्रेस भी ऐसे उम्मीदवार की तलाश में हो जो बीजेपी के सपनों को चकनाचूर कर सके. कांग्रेस ने बिसाहूलाल साहू पर क्षेत्र की जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और चुनाव में जीत का दावा भी किया. एक तरफ जहां कांग्रेस इस सीट पर जीत का दावा कर रही है तो वहीं बीजेपी का दावा है कि वो इस सीट पर जीत दर्ज करेगी.
सूबे की सियासत में अलग महत्व
अनूपपुर विधानस सभा सीट सूबे की सियात में अपना अलग महत्व रखती है, क्योंकि मध्य प्रदेश उपचुनाव की दिशा और दशा यहीं से बनी है. अनूपपुर क्षेत्र के विधानसभा सीट से जीत कर कांग्रेस के पूर्व विधायक बिसाहू लाल ने ही सबसे पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर कांग्रेस की जड़े खोखली कर दी थीं, जिसके बाद सिंधिया समर्थक 21 विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी के साथ जाकर सरकार बना दी.
कांग्रेस में उम्मीदारों की फेहरिस्त लंबी
बिसाहूलाल साहू ने कांग्रेस पर उपेछा का ओरोप लगाते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था, लेकिन एक बार फिर उन्हें चुनाव जीतने की चुनौती रहेगी, क्योंकि बीजेपी के प्रबल उम्मीदवारों में बिसाहूलाल टॉप पर हैं, वहीं कांग्रेस की तरफ से बिसाहूलाल कुल्हड़, विश्वनाथ सिंह मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि कांग्रेस में दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये चुनाव चेहरों पर नहीं विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा.
सभी दलों का विश्वास करती है जनता
अनूपपुर की जनता ने चुनावी इतिहास में किसी एक दल पर भरोसा नहीं किया और वो बीजेपी-कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों पर भी विश्वास करती आयी है. यही वजह है कि इस सीट पर हर बार रूपरेखा बदलती है. हालांकि इस बार बीजेपी-कांग्रेस दोनों के सामने चुनौती है, क्योंकि जनता में इस बात को लेकर रोष है कि बिसाहूलाल साहू ने बीजेपी का दामन थाम लिया और उन पर पैसे लेने का आरोप भी लगा है, वहीं कांग्रेस में प्रत्याशी को लेकर विरोध के सुर तेज हो गए हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कौन इस सीट पर बाजी मारता है.
सीट पर कांग्रेस का रहा दबदबा
अनूपपुर विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी, जिसके बाद से 2018 तक 10 चुनाव अनूपपुर विधानसभा सीट के लिए हुए.सबसे पहले इस सीट पर जुगल किशोर गुप्ता जनता पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. जबकि 6 बार कांग्रेस से बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर सीट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. एक बार लक्ष्मी आर्मो एवं दो बार भाजपा की तरफ से रामलाल रौतेल विधायक चुने जा चुके हैं.