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परिवहन मंत्रालय ने IRDA प्रोजेक्ट किया लॉन्च

सड़क हादसों को रोकने और इसमें कमी लाने के लिए सड़क भू-तल परिवहन मंत्रालय ने आईआरडीए प्रोजेक्ट लॉन्च किया. जिसमें अनूपपुर जिले को भी शामिल कर लिया गया है. देश में जिन 6 राज्यों को इस प्रोजेक्ट में लिया गया है. यह प्रोजेक्ट मोबाइल ऐप से संचालित होगा. जिसमें यह देखा जाएगा कि हाईवे में जो हादसा हो रहा है, उसकी वजह क्या है.

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Published : Mar 16, 2021, 10:16 PM IST

Ground Floor Transport Ministry Launches IRAD Projects
भू-तल परिवहन मंत्रालय ने आईआरडीए प्रोजेक्ट किए लांच,

अनूपपुर। हाइवे पर हो रहे सड़क हादसों को रोकने और इसमें कमी लाने के लिए सड़क भू-तल परिवहन मंत्रालय ने आईआरडीए प्रोजेक्ट लॉन्च किए. जिसमें अनूपपुर जिले को भी शामिल कर लिया गया है. देश में जिन 6 राज्यों को इस प्रोजेक्ट में लिया गया है. यह प्रोजेक्ट मोबाइल ऐप से संचालित होगा. जिसमें यह देखा जाएगा कि हाईवे पर जो हादसा हो रहा है, उसकी वजह क्या है. इसके लिए अनूपपुर में ज्ञानेंद्र सिंह को रोल आउट मैनेजर के पद दिया गया है. जिला सूचना विज्ञान अधिकारी सुभाष चन्द्र ठाकरे और रोल आउट मैनेजर ने जिले के पुलिस कर्मियों को इस संबंध में ट्रेनिंग दी. ठाकरे ने बताया कि "इस प्रोजेक्ट में पुलिस, परिवहन और हाइवे से जुड़े विभागों को लिया गया है. आईआरएडी एप्लीकेशन दो प्लेटफार्म पर काम करेगा. जिसे आईआईटी मद्रास ने विकसित किया है. और इसका क्रियान्वयन एनआईसी को करना है. हाईवे में सड़क हादसा होने पर इन विभागों की टीम मौके पर पहुंचेगी और मौके की मोबाइल से फोटो खींचकर उसकी आईआरआएडी एप में एंट्री करेगी. साथ ही दस-दस सेकेंड का दो वीडियो बनाकर एप में अपलोड किया जाएगा. इसके बाद भू-तल परिवहन विभाग में बैठे विशेषज्ञ फोटो और वीडियो देखकर यह समीक्षा करेंगे कि सड़क हादसा किस वजह से हुआ.

पुलिस, परिवहन और हाईवे से जुड़े अधिकारी करेंगे मिलकर काम

सड़क हादसे की समीक्षा के लिए मोबाइल ऐप पर कई विकल्प दिए गए हैं. जिसमें यह देखा जाएगा कि यह हादसा ओवरटेकिंग की वजह से हुआ या फिर चालक नशे में था. इतना ही नहीं, वाहन की गति अधिक थी या फिर धुंधिया रोशनी कम होने की वजह से हादसा हुआ. इसके अलावा अन्य कई विकल्प इसमें शामिल किए गए हैं और इन सभी विकल्पों की समीक्षा की जाएगी. जिससे हादसों की वजह जानकर उस में कमी लाई जा सके.

विदेशी के साथ देसी डॉग हुए शामिल, दी जा रही पुलिस की ट्रेनिंग

शुरुआत में पुलिस को दी गई ट्रेनिंग

आईआरएडी प्रोजेक्ट पर काम करने जिन विभागों का चयन किया गया है. उसमें सबसे पहले ट्रेनिंग पुलिस विभाग को दी गई. मोबाइल ऐप के जरिए पुलिस कर्मियों को बताया गया कि इस प्रोजेक्टर पर किस तरह काम करना है. इसके बाद परिवहन और हाइवे से जुड़े विभागों, लोक निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग को ट्रेनिंग दी जाएगी.

अनूपपुर। हाइवे पर हो रहे सड़क हादसों को रोकने और इसमें कमी लाने के लिए सड़क भू-तल परिवहन मंत्रालय ने आईआरडीए प्रोजेक्ट लॉन्च किए. जिसमें अनूपपुर जिले को भी शामिल कर लिया गया है. देश में जिन 6 राज्यों को इस प्रोजेक्ट में लिया गया है. यह प्रोजेक्ट मोबाइल ऐप से संचालित होगा. जिसमें यह देखा जाएगा कि हाईवे पर जो हादसा हो रहा है, उसकी वजह क्या है. इसके लिए अनूपपुर में ज्ञानेंद्र सिंह को रोल आउट मैनेजर के पद दिया गया है. जिला सूचना विज्ञान अधिकारी सुभाष चन्द्र ठाकरे और रोल आउट मैनेजर ने जिले के पुलिस कर्मियों को इस संबंध में ट्रेनिंग दी. ठाकरे ने बताया कि "इस प्रोजेक्ट में पुलिस, परिवहन और हाइवे से जुड़े विभागों को लिया गया है. आईआरएडी एप्लीकेशन दो प्लेटफार्म पर काम करेगा. जिसे आईआईटी मद्रास ने विकसित किया है. और इसका क्रियान्वयन एनआईसी को करना है. हाईवे में सड़क हादसा होने पर इन विभागों की टीम मौके पर पहुंचेगी और मौके की मोबाइल से फोटो खींचकर उसकी आईआरआएडी एप में एंट्री करेगी. साथ ही दस-दस सेकेंड का दो वीडियो बनाकर एप में अपलोड किया जाएगा. इसके बाद भू-तल परिवहन विभाग में बैठे विशेषज्ञ फोटो और वीडियो देखकर यह समीक्षा करेंगे कि सड़क हादसा किस वजह से हुआ.

पुलिस, परिवहन और हाईवे से जुड़े अधिकारी करेंगे मिलकर काम

सड़क हादसे की समीक्षा के लिए मोबाइल ऐप पर कई विकल्प दिए गए हैं. जिसमें यह देखा जाएगा कि यह हादसा ओवरटेकिंग की वजह से हुआ या फिर चालक नशे में था. इतना ही नहीं, वाहन की गति अधिक थी या फिर धुंधिया रोशनी कम होने की वजह से हादसा हुआ. इसके अलावा अन्य कई विकल्प इसमें शामिल किए गए हैं और इन सभी विकल्पों की समीक्षा की जाएगी. जिससे हादसों की वजह जानकर उस में कमी लाई जा सके.

विदेशी के साथ देसी डॉग हुए शामिल, दी जा रही पुलिस की ट्रेनिंग

शुरुआत में पुलिस को दी गई ट्रेनिंग

आईआरएडी प्रोजेक्ट पर काम करने जिन विभागों का चयन किया गया है. उसमें सबसे पहले ट्रेनिंग पुलिस विभाग को दी गई. मोबाइल ऐप के जरिए पुलिस कर्मियों को बताया गया कि इस प्रोजेक्टर पर किस तरह काम करना है. इसके बाद परिवहन और हाइवे से जुड़े विभागों, लोक निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग को ट्रेनिंग दी जाएगी.

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