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जोबट की पंचा दरी को देश में मिलेगी पहचान, पेटेंट लेने की तैयारी में प्रशासन

जोबट की पंचा दरी को पूरे देश में पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन इसका पेटेंट लेने की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रशासन ने शासन को पत्र लिखा है.

jobet's dari will get recognition in the country
जोबट की दरी को देश में मिलेगी पहचान
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Published : Nov 30, 2019, 3:34 PM IST

अलीराजपुर। जोबट की पंचा दरी पूरे देश में मशहूर हैं. ये दरी खूबसूरत होने के साथ-साथ लंबे समय तक चलती है. इसी खासियत की वजह से इसे खासा पसंद किया जाता है. इसी के चलते जिला प्रशासन इसका पेटेंट लेने की तैयारी कर रही है. इसके लिए जिला प्रशासन ने शासन को पत्र भी लिखा है. जिससे इस दरी को जिले के नाम से पहचान मिल सके.

जोबट की पंचा दरी को देश में मिलेगी पहचान

कई दिनों में बनकर तैयार होती है पंचा दरी
यह दरी पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती है जोकि केवल जोबट में बनाई जाती है. स्थानीय भाषा में इसे पंचा दरी के नाम से जाना जाता है. पंचा दरी बनाने वाले मजदूर ये काम सीखकर खुश हैं और करीब 30 सालों से ज्यादा समय से ये काम कर रहे हैं. एक पंजा दरी बनाने में कम से कम 3 से 4 दिन लगते है. वहीं दरी का आकार बड़ा होने पर 20 दिनों से ज्यादा का समय भी लगता है.
40 सालों से चल रहा है दरी बनाने का काम
ये दरी पूरी तरह कॉटन से बनाई जाती है और इसमें रंग भी हाथों से भरा जाता है. लगभग 40 सालों से जोबट में पंचा दरी बनाने का काम चल रहा है. इस दरी का पेटेंट होने के बाद देश-विदेश में इस दरी को पहचान मिलेगी और अलीराजपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश का नाम भी रोशन करेगी यह दरी.

अलीराजपुर। जोबट की पंचा दरी पूरे देश में मशहूर हैं. ये दरी खूबसूरत होने के साथ-साथ लंबे समय तक चलती है. इसी खासियत की वजह से इसे खासा पसंद किया जाता है. इसी के चलते जिला प्रशासन इसका पेटेंट लेने की तैयारी कर रही है. इसके लिए जिला प्रशासन ने शासन को पत्र भी लिखा है. जिससे इस दरी को जिले के नाम से पहचान मिल सके.

जोबट की पंचा दरी को देश में मिलेगी पहचान

कई दिनों में बनकर तैयार होती है पंचा दरी
यह दरी पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती है जोकि केवल जोबट में बनाई जाती है. स्थानीय भाषा में इसे पंचा दरी के नाम से जाना जाता है. पंचा दरी बनाने वाले मजदूर ये काम सीखकर खुश हैं और करीब 30 सालों से ज्यादा समय से ये काम कर रहे हैं. एक पंजा दरी बनाने में कम से कम 3 से 4 दिन लगते है. वहीं दरी का आकार बड़ा होने पर 20 दिनों से ज्यादा का समय भी लगता है.
40 सालों से चल रहा है दरी बनाने का काम
ये दरी पूरी तरह कॉटन से बनाई जाती है और इसमें रंग भी हाथों से भरा जाता है. लगभग 40 सालों से जोबट में पंचा दरी बनाने का काम चल रहा है. इस दरी का पेटेंट होने के बाद देश-विदेश में इस दरी को पहचान मिलेगी और अलीराजपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश का नाम भी रोशन करेगी यह दरी.

Intro:एंकर- मध्यप्रदेश के पश्चिमी जिले अलीराजपुर के जोबट की मशहूर पंचा दरी का पेटेंट हो इसको लेकर जिला प्रशासन ने शासन को पत्र भेजा है। अपको बता दे कि पंचा दरी की खासियत है कि ये दरी बहुत खूबसूरत होती है और इसकी सर्विस काफी लंबी होती है और इसी के चलते इस दरी को खासा पसंद किया जाता है। पंचा दरी दरअसल इसलिए नाम पड़ा कि इस दरी को हातो से बनाया जाता है और इसलिए इस दरी को लोकल भाषा मे पंचा दरी कहा जाता है। पंचा दरी को पूरे भारत मे पसंद किया जाता है और यह दरी भारत मे केवल जोबट में बनाई जाती है। लगभग 40 सालो से जोबट में पंचा दरी बनाने का काम चल रहा है ओर अब इस दरी का पेटेंट हो जायेगा तो देश विदेश में इस दरी को पहचान मिलेगी और अलीराजपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश का नाम भी रोशन करेगी यह दरी।



Body:
बाइट1- करम बाई,कारीगर,पंजा दरी
बाइट2- हजरिया भाई, कारीगर,पंजा दरी
बाइट3- इस्माइल खान,सेल्समेन,मप्र हस्तशिल्प विकास निगम लिमिटेड

बाइट4- शीला शुक्ला, जिला परियोजना प्रबंधक, एनआरएलएम,अलीराजपुर


Conclusion:वीओ- हाथो से बनाई जा रही ये पंचा दरी है जो अलीराजपुर जिले के जोबट में मप्र हस्तशिल्प के सेंटर पर बनाई जाती है। लगभग 40 सालो से जोबट में इस दरी को बनाने का काम चल रहा है। पंजा दरी बनाने वाले मजदूर यह काम सीखकर खुश है और करीब 30 सालो से ज्यादा समय से यह काम कर रहे है। कुछ मजदूरों को रोजाना के हिसाब से मजदूरी दी जाती है और कुछ मजदूरों को साइज़ के हिसाब से मजदूरी मिलती है। एक पंजा दरी बनाने में कम से कम 3 से 4 दिन लगते है और दरी का साइज बड़ा होतो 20 दिनो से ज्यादा भी समय लगता है। यह दरी पूरी तरह कॉटन से बनाई जाती है और इसमें रंग भी हाथो से भरा जाता है।

बाइट1- करम बाई,कारीगर,पंजा दरी
बाइट2- हजरिया भाई, कारीगर,पंजा दरी
बाइट3- इस्माइल खान,सेल्समेन,मप्र हस्तशिल्प विकास निगम लिमिटेड

वीओ2- पंजा दरी की खुद की पहचान हो और इस नाम से कोई कॉपी नही कर सके इसको लेकर जिला प्रशासन ने शासन को पत्र भेजा है जिसमे पंजा दरी को पेटेंट करने के लिए निवेदन किया गया है। अगर पंजा दरी का पेटेंट हो जाता है तो प्रदेश के साथ साथ अलीराजपुर जिले का भी नाम रोशन करेगी पंजा दरी।

बाइट4- शीला शुक्ला, जिला परियोजना प्रबंधक, एनआरएलएम,अलीराजपुर।
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