जबलपुर: जबलपुर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जब जबलपुर से फ्लाइट्स ही नहीं उड़ानी थी तो फिर 450 करोड़ खर्च करके क्यों नई टर्मिनल बिल्डिंग बनाई गई? हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जबलपुर में लगातार घटती एयर कनेक्टिविटी पर जवाब मांगा है. निजी विमानन कंपनियों से भी कहा गया है कि वे जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी के बारे में विचार करें.
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जबलपुर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और निजी विमानन कंपनियों से इस मामले में जवाब मांगा कि आखिर में जबलपुर से अपनी फ्लाइट्स बंद क्यों कर रही हैं? आज इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.
निजी कंपनियों ने कहा, वे आर्टिकल 12 के तहत स्वतंत्र व्यापार करने के लिए काम करती हैं
जनहित याचिका की पैरवी कर रहे वकील उमेश उपाध्याय ने बताया कि निजी कंपनियों ने कहा कि वे आर्टिकल 12 के तहत स्वतंत्र व्यापार करने के लिए काम करती हैं. वे सरकार के उपक्रम नहीं हैं. लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि यह जनहित का मामला है, इसलिए आपको विचार करना होगा. वहीं दूसरी तरफ सरकार से जवाब मांगा गया कि जब जबलपुर से हवाई यात्राओं की गुंजाइश नहीं थी तो फिर एयरपोर्ट में 450 करोड़ रुपये क्यों बर्बाद किया गया? इस मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर के लिए नियत की गई है.
एक समय में जबलपुर से 15 से ज्यादा फ्लाइटें संचालित होती थीं
जबलपुर में एक समय 15 से ज्यादा फ्लाइटें चलती थी. जबलपुर से मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली, भोपाल, इंदौर व बिलासपुर सभी तरफ के लिए विमानें उड़ान भरती थीं लेकिन आज की स्थिति में केवल पांच फ्लाइट्स ही बची हैं. धीरे-धीरे करके बाकी सभी फ्लाइट्स बंद हो गई. जबलपुर जो कभी इंदौर, ग्वालियर और भोपाल के साथ हवाई यात्राओं के मामले में कदमताल मिलाकर चल रहा था, उसमें अब बहुत पीछे रह गया है.