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आगर मालवा में गहराया जल संकट, बूंद- बूंद के लिए करना पड़ता है संघर्ष - water crisis

आगर मालवा में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि ग्रामीणों को एक-एक बूंद के लिए लोगों का संघर्ष करना पड़ रहा है. यहां पानी भरने के लिए महिलाओं को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.

आगर मालवा
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Published : Apr 25, 2019, 12:13 AM IST

आगर मालवा। जिले में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि ग्रामीणों को एक-एक बूंद के लिए लोगों का संघर्ष करना पड़ रहा है. क्षेत्र में पानी भरने के लिए एकमात्र निजी ट्यूबवैल है. जिस पर पानी भरने के लिए महिलाओं को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.

बूंद-बूंद के लिए जद्दोजहद करती महिलाएं

आगर मालवा के परसुखेड़ी गांव में पीने के पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. गांव के छ: सात हैंडपम्प पर पानी के लिए महिला पहुंचती है तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है . पानी की समस्या दूर करने के लिए ट्यूबवेल की पाइपलाइन है जिस पर से पूरा गांव पानी भरता है. लेकिन यहां पानी भरना किसी युद्ध करने से कम नहीं है. पानी भरने की होड़ में यहा अक्सर महिलाओं में झगड़ा हो जाता है.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के सरपंच सचिव ने गर्मियों के दिनों में जलापूर्ति के लिए कोई प्रबंध नहीं किया है. सरपंच पानी की समस्या का समाधान करना तो दूर उनकी इस समस्या को देखने भी नहीं आते हैं.

आगर मालवा। जिले में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि ग्रामीणों को एक-एक बूंद के लिए लोगों का संघर्ष करना पड़ रहा है. क्षेत्र में पानी भरने के लिए एकमात्र निजी ट्यूबवैल है. जिस पर पानी भरने के लिए महिलाओं को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.

बूंद-बूंद के लिए जद्दोजहद करती महिलाएं

आगर मालवा के परसुखेड़ी गांव में पीने के पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. गांव के छ: सात हैंडपम्प पर पानी के लिए महिला पहुंचती है तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है . पानी की समस्या दूर करने के लिए ट्यूबवेल की पाइपलाइन है जिस पर से पूरा गांव पानी भरता है. लेकिन यहां पानी भरना किसी युद्ध करने से कम नहीं है. पानी भरने की होड़ में यहा अक्सर महिलाओं में झगड़ा हो जाता है.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के सरपंच सचिव ने गर्मियों के दिनों में जलापूर्ति के लिए कोई प्रबंध नहीं किया है. सरपंच पानी की समस्या का समाधान करना तो दूर उनकी इस समस्या को देखने भी नहीं आते हैं.

Intro:जिला मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम परसुखेड़ी में जलसंकट को लेकर हालात भयावह हो रहे है। पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ रहा है इतना ही नही स्थिति इतनी विकट हो गई है की एकमात्र निजी ट्यूबवैल पर पानी भरने के दौरान महिलाओं के बीच जमकर झगड़ा व अभद्रता तक होती है। इस प्रकार की स्थिति निर्मित होने के बाद भी ग्राम पंचायत, पीएचई तथा जिला प्रशासन द्वारा जलसंकट की स्थिति से निपटने के कोई इंतजाम नही किये गए है।


Body:बता दे ग्राम परसुखेड़ी में तकरीबन 950 मतदाता वाले इस गांव में जलसंकट गहरा गया है। गांव के 6-7 हैंडपम्प पूर्ण रूप से बंद हो चुके है वही गांव के लोग पेयजल के लिए नलजल योजना के तहत बनी पानी की टंकी के ऊपर निर्भर थे लेकिन पिछले एक माह से इस बड़ी टंकी में पानी नही भरे जाने के कारण गांव के एक भी घर के नल से पानी नही टपका है। इस गांव में बद्रीलाल नामक एक ग्रामीण ने 3 किमी दूर अपने खेत पर स्थित ट्यूबवेल की पाइपलाइन अपने गांव तक बिछा रखी है जहा से पूरा गांव पानी भरता है। इस जगह पर दिनभर महिलाये पानी भरने के लिए लड़ती रहती। इनकी बोलचाल की लड़ाई मारपीट में भी तब्दील हो जाती। एक तरह से ये लोग पानी के लिए जमकर संघर्ष कर रहे है। पीएचई विभाग गांवों में पानी उपलब्ध करवाने में बिल्कुल अक्षम साबित हो रहा है। नलजल योजना के तहत जो टंकी बनी है उस टंकी में परसुखेड़ी तालाब के पास स्थित सरकारी कुवे से पानी भरा जाता है लेकिन तालाब के पानी का अन्य लोगो द्वारा दोहन किये जाने के चलते इस कुवे में शुद्ध पानी के आंतरिक स्त्रोत बन्द हो गए है जिसके कारण गांव की टंकी में पानी नही भरे जाने के कारण ग्रामीणों के घरों तक पानी नही पहुंच पा रहा है।


Conclusion:ग्रामीण शांतिबाई सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सरपंच सचिव के द्वारा जलापूर्ति के लिए कोई प्रबंध नही किये गए है। सरपंच पानी की समस्या का समाधान करना तो दूर उनकी इस समस्या को देखने भी नही आते है। जब इस संबंध में सरपंच से चर्चा करने के लिए ग्राम पंचायत पहुंचे तो वहां पर ताला लटका मिला।

बाइट- सभी बाइट ग्रामीणों की
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