ईटीवी भारत डेस्क : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो उसे कभी भी कोई कष्ट नहीं होता और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है की भोलेनाथ को शिवरात्रि का व्रत कर जल्दी ही प्रसन्न किया जा सकता है. मान्यताओं के अनुसार मासिक सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष व्रत भगवान शिव को बेहद प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि पर शिव जी को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है. भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सामर्थ्य अनुसार तीनों या कोई भी व्रत करना श्रेयस्कर होता है. सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति मजबूत होती है और चंद्र ग्रह के दोष दूर होते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का पावन व्रत किया जाता है. शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर होता है. शिवरात्रि हर महीने होती है, जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है. भगवान शिव इस दिन अपने भक्तों की अधूरी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. यदि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से व्रत पूजा की जाए तो विशेष पुण्य मिलता है. भगवान शिव केवल सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं जिससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और जिन कन्याओं के विवाह में कोई बाधा आ रही है वो भी दूर होती है.
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शिवरात्रि का व्रत अत्यंत शुभ और फलदाई माना जाता है. जो भी व्यक्ति उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उसे कभी भी कोई कष्ट नहीं होता. मनचाहे वर और शादी में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है. प्राचीन काल में माता लक्ष्मी, रुकमणी आदि देवियों ने भी भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए यह व्रत किए थे. ज्योतिषाचार्य जितेंद्र महाराज ने बताया कि जो भक्त भगवान शिव के लिए शिवरात्रि का व्रत रखेंगे, वो लोग अगले दिन के सूर्योदय तक बिना अन्न के भगवान भोलेनाथ की पूजा-उपासना करेंगे. व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय के बाद ही पारण करेंगे.
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सोमवार-मासिक शिवरात्रि व्रत विधि : मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान गणेश की पूजा करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा- अर्चना अवश्य की जाती है. महादेव और शिव परिवार पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी, शिवगणों की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, दूध या गाय का दूध, दही, शक्कर, शहद, शुद्ध घी, गन्ने के रस आदि से करें. मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर भक्त बेलपत्र, भांग, चंदन, शहद और माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री आदि अर्पित कर पूजा कर सकते हैं धतूरा, बेलपत्र और श्रीफल चढ़ाएं. अब आप शिव जी की धुप-दीप, फल और फूल आदि से पूजा-अर्चना करें. शिव पूजा करते समय आप शिव तांडव स्त्रोत, शिव पुराण, शिवाअष्टक और शिव चालीसा का पाठ करें. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं, लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.
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शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Shivratri subha muhurta) : ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि वैसे तो महाशिवरात्रि का पर्व फरवरी-मार्च में आता है, पंचांग के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 30 मार्च 2022 बुधवार को दोपहर 1:19 बजे से शुरू होकर 31 मार्च को दोपहर 12:22 बजे तक रहेगी. मास शिवरात्रि की पूजा रात के समय की जाती है. शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि की पूजा रात्रि में करना उत्तम माना जाता है इसलिए 31 मार्च 2022, रात 12 बजकर 02 मिनट से देर रात 12 बजकर 48 मिनट के मध्य शिव पूजा का मुहूर्त बना हुआ है.