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आगर: एक बार फिर से निराश हुए लोग, फोरलेन सड़क का सपना रह गया अधूरा - ग्रीनबेल्ट

उज्जैन से कोटा तक फोरलेन सड़क के निर्माण अब नहीं हो सकेगा. क्योंकि सुसनेर से लेकर कोटा तक को ग्रीनबेल्ट घोषित कर दिया गया है, जिसके कारण इस तरफ से कोई भी बड़ी सड़क नहीं निकल सकती है.

उज्जैन से कोटा सड़क मार्ग
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Published : Mar 11, 2019, 1:16 PM IST

आगर। सालों से फोरलेन सड़क की राह देख रहे क्षेत्रवासियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगने वाली है. दरअसल सुसनेर से लेकर कोटा तक को ग्रीनबेल्ट घोषित कर दिया गया है, जिसके कारण इस तरफ से कोई भी बड़ी सड़क नहीं निकल सकती है. बता दें कि कोटा तक फोरलेन सड़क बनाई जानी थी.

उज्जैन से कोटा सड़क मार्ग


बता दें कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही क्षेत्रवासियों द्वारा उम्मीद जताई जा रही थी कि उज्जैन से कोटा तक फोरलेन सड़क के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन अब उनकी तमाम उम्मीदों पर ग्रीनबेल्ट की छाया पड़ती हुई नजर आ रही है. जो फोरलेन सड़क उज्जैन व्हाया आगर, सुसनेर, झालावाड़ होते हुए कोटा तक जानी थी, वही सड़क अब ग्रीनबेल्ट के चक्कर में उज्जैन, तनोडिया, आगर व्हाया बडौद होते हुए राजस्थान की सीमा से गुजरती हुई वापस मंदसौर जिले के गरोठ में जाकर मिलेगी. इस परिवर्तन से क्षेत्रवासियों को फोरलेन सड़क का लाभ नहीं मिल पायेगा.


ट्रक यूनियन के अध्यक्ष लियाकत खान ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि यह फोरलेन बनने के बाद यातायात संतुलित रहेगा. सड़क संकरी होने की वजह से हो रही दुर्घटनाएं भी कम होंगी, लेकिन अब जब फोरलेन सड़क नहीं बनेगी, तो निश्चित ही कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. शहर के राजकुमार मालवीय ने कहा कि वर्षों से फोरलेन सड़क की राह तक रहे क्षेत्रवासियों को फोरलेन की सौगात मिलनी चाहिए. इस सड़क का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.

आगर। सालों से फोरलेन सड़क की राह देख रहे क्षेत्रवासियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगने वाली है. दरअसल सुसनेर से लेकर कोटा तक को ग्रीनबेल्ट घोषित कर दिया गया है, जिसके कारण इस तरफ से कोई भी बड़ी सड़क नहीं निकल सकती है. बता दें कि कोटा तक फोरलेन सड़क बनाई जानी थी.

उज्जैन से कोटा सड़क मार्ग


बता दें कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही क्षेत्रवासियों द्वारा उम्मीद जताई जा रही थी कि उज्जैन से कोटा तक फोरलेन सड़क के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन अब उनकी तमाम उम्मीदों पर ग्रीनबेल्ट की छाया पड़ती हुई नजर आ रही है. जो फोरलेन सड़क उज्जैन व्हाया आगर, सुसनेर, झालावाड़ होते हुए कोटा तक जानी थी, वही सड़क अब ग्रीनबेल्ट के चक्कर में उज्जैन, तनोडिया, आगर व्हाया बडौद होते हुए राजस्थान की सीमा से गुजरती हुई वापस मंदसौर जिले के गरोठ में जाकर मिलेगी. इस परिवर्तन से क्षेत्रवासियों को फोरलेन सड़क का लाभ नहीं मिल पायेगा.


ट्रक यूनियन के अध्यक्ष लियाकत खान ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि यह फोरलेन बनने के बाद यातायात संतुलित रहेगा. सड़क संकरी होने की वजह से हो रही दुर्घटनाएं भी कम होंगी, लेकिन अब जब फोरलेन सड़क नहीं बनेगी, तो निश्चित ही कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. शहर के राजकुमार मालवीय ने कहा कि वर्षों से फोरलेन सड़क की राह तक रहे क्षेत्रवासियों को फोरलेन की सौगात मिलनी चाहिए. इस सड़क का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.

Intro:वर्षो से फोरलेन सड़क की राह देख रहे क्षेत्रवासियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगने वाली है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आरम्भ करने की हलचल होने तथा यह स्टेट हाइवे नेशनल हाइवे में आने के बाद से ही क्षेत्रवासियों द्वारा उम्मीद जताई जा रही थी कि उज्जैन से कोटा तक फोरलेन सड़क निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा लेकिन अब क्षेत्रवासियों की तमाम उम्मीदों पर ग्रीनबेल्ट की छाया पड़ती हुई नजर आ रही है। जो फोरलेन सड़क उज्जैन व्हाया आगर, सुसनेर, झालावाड़ होते हुवे कोटा तक जानी थी वही सड़क अब ग्रीनबेल्ट के चक्कर मे उज्जैन, तनोडिया, आगर व्हाया बडौद होते राजस्थान की कुछ सीमा से गुजरती हुई वापस मंदसौर जिले के गरोठ में जाकर मिलेगी। इस परिवर्तन से क्षेत्रवासियों को फोरलेन सड़क का लाभ नही मिल पायेगा।


Body:बता दे कि उज्जैन से आगर होते हुवे कोटा तक फोरलेन सड़क बनाई जानी थी इसके लिए पूर्व में सर्वे कार्य भी पूर्ण हो चुका था वही सड़क कहा से कहा तक बनाई जानी है इसको लेकर चिन्हांकन का कार्य भी हो चुका था। प्रशासन की और से जमीन अधिग्रहण को लेकर दावे-आपत्ति बुलाने की प्रक्रिया भी आरम्भ की जाने वाली थी। इस बात को लेकर क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर थी कि अब उन्हें फोरलेन सड़क की सौगात मिलेगी लेकिन उनकी इस सारी खुशी पर ग्रीनबेल्ट ने पानी फेर दिया। बता दे कि कोटा तक बनने वाले इस मार्ग को सुसनेर से लेकर कोटा तक ग्रीनबेल्ट घोषित कर दिया गया है जिसके कारण इस तरफ से कोई भी बड़ी सड़क नही निकल सकती है इसीलिए बड़ा बदलाव करते हुवे इस सड़क को बडौद से गरोठ की और डाइवर्ट कर दिया। यह भी बता दे कि तनोडिया से आगर व बडौद होते हुवे गरोठ तक बनने वाली फोरलेन सड़क निर्माण के लिए डीपीआर भी बुला ली गई है। केवल टेंडर व विज्ञप्ति के कार्य शेष है यह सारी प्रक्रिया जल्द ही पूर्ण कर सड़क के निर्माण कार्य भी आरम्भ कर दिया जाएगा।


Conclusion:उल्लेखनीय ही कि उज्जैन से आगर होते मप्र की आखरी सीमा चँवली तक 130 किमी लंबा मार्ग टू लेन बना हुआ है। इस पूरे मार्ग पर प्रतिदिन दर्जनों छोटी-बड़ी दुर्घटनाये होती है। यातायात का दबाव भी इस मार्ग पर बहुत ज्यादा रहता है। हजारो की संख्या में वाहन यहां से निकलते है इतना ट्रैफिक होने के चलते दुर्घटनाए भी होती है जिसके कारण साल भर में सेंकडो लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुवे ही इस मार्ग को फोरलेन बनाया जाना था लेकिन ग्रीनबेल्ट के चलते क्षेत्रवासियों से यह सौगात छीन गई है। ट्रक यूनियन के अध्यक्ष लियाकत खान ने बताया की उन्हें उम्मीद थी कि यह फोरलेन बनने के बाद यातायात संतुलित रहेगा, दुर्घटनाओ में कम होंगी लेकिन अब जब फोरलेन नही बनेगा तो निश्चित ही कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। शहर के राजकुमार मालवीय ने कहा कि वर्षो से फोरलेन सड़क की राह तक रहे क्षेत्रवासियों को फोरलेन की सौगात मिलनी चाहिए। इस सड़क का राजनीतीकरण नही होना चाहिए।
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