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एशिया का सबसे बड़ा गौ-अभयारण्य होने के बावजूद हो रही है गायों की दुर्दशा

आगर मालवा जिले में एशिया का सबसे बड़ा कामधेनु गौ-अभयारण्य होने के बावजदू जिले में गाय सुरक्षित नहीं है. सड़क पर हजारों गाय भटक रही है. जिससे राहगीरों को तो परेशानी होती ही है साथ ही आए दिन गाय भी वाहनों की चपेट में आ जाती है.

गौ-अभयारण्य होने के बावजूद भी गायों की हो रही दुर्दशा
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Published : Sep 21, 2019, 7:45 PM IST

आगर मालवा। जिले के सुसनेर के सालरिया गांव में स्थित गायों के संरक्षण के लिए एशिया का सबसे बड़ा गौ- अभयारण्य होने के बावजूद भी यहां गायों की दुर्दशा हो रही है. आलम ये है कि सड़कों पर भूखी प्यासी हजारों गाय घूम रही हैं. राहगीरों को तो परेशानी का सामना करना ही पड़ता है, कई गाय तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में भी आ आती हैं.

गौ-अभयारण्य होने के बावजूद भी गायों की हो रही दुर्दशा

खास बात ये है कि सुसनेर में स्थित कामधेनु गौ-अभयारण्य में छह हजार गाय रखने की क्षमता है, बावजूद इसके गाय बाहर सड़कों पर ऐसे ही भटक रही हैं. जिले में हजारों ऐसी गाये हैं, जो भूखी प्यासी इधर से उधर भटकती रहती हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है.

दिन-रात के समय बीच सड़क पर सैकड़ों की तादात में गायें बैठी रहती हैं. जिससे आये दिन विवाद पैदा होता है. आम नागरिक से लेकर छोटे- बड़े वाहन चालकों को वाहन चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पार्षद मनीष सोलंकी ने बताया कि गायों के सड़क पर होने के कारण वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है. प्रशासन गायों के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाए. वहीं कलेक्टर संजय कुमार ने बताया कि बारिश में अक्सर गाये सूखे स्थान की तलाश में सड़क पर ही आ जाती हैं. उन्होंने कहा कि गौ-अभयारण्य में ज्यादा से ज्यादा 6 हजार गाये रखी जा सकती हैं और मौजूदा वक्त में सुविधा के मुताबिक वहां गाय है,जबकि वहां केवल तीन हजार गाय ही रह रही हैं.

आगर मालवा। जिले के सुसनेर के सालरिया गांव में स्थित गायों के संरक्षण के लिए एशिया का सबसे बड़ा गौ- अभयारण्य होने के बावजूद भी यहां गायों की दुर्दशा हो रही है. आलम ये है कि सड़कों पर भूखी प्यासी हजारों गाय घूम रही हैं. राहगीरों को तो परेशानी का सामना करना ही पड़ता है, कई गाय तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में भी आ आती हैं.

गौ-अभयारण्य होने के बावजूद भी गायों की हो रही दुर्दशा

खास बात ये है कि सुसनेर में स्थित कामधेनु गौ-अभयारण्य में छह हजार गाय रखने की क्षमता है, बावजूद इसके गाय बाहर सड़कों पर ऐसे ही भटक रही हैं. जिले में हजारों ऐसी गाये हैं, जो भूखी प्यासी इधर से उधर भटकती रहती हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है.

दिन-रात के समय बीच सड़क पर सैकड़ों की तादात में गायें बैठी रहती हैं. जिससे आये दिन विवाद पैदा होता है. आम नागरिक से लेकर छोटे- बड़े वाहन चालकों को वाहन चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पार्षद मनीष सोलंकी ने बताया कि गायों के सड़क पर होने के कारण वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है. प्रशासन गायों के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाए. वहीं कलेक्टर संजय कुमार ने बताया कि बारिश में अक्सर गाये सूखे स्थान की तलाश में सड़क पर ही आ जाती हैं. उन्होंने कहा कि गौ-अभयारण्य में ज्यादा से ज्यादा 6 हजार गाये रखी जा सकती हैं और मौजूदा वक्त में सुविधा के मुताबिक वहां गाय है,जबकि वहां केवल तीन हजार गाय ही रह रही हैं.

Intro:आगर मालवा
- राजनीतिक पार्टी चाहे कोई भी हो गायों की भलाई के दावे चुनावी मौसम में राजनीतिक रोटियां सेंकने के काम जरूर आते है लेकिन हकीकत में धरातल पर सारे दावे इन राजनीतिक पार्टियों के दावे खोखले साबित होते है।
जिले में गायो के संरक्षण के लिए बना है एशिया का एक मात्र गौ अभ्यारण्य स्थित है फिर भी जिले में गायों की हो रही दुर्दशा सरकारी दावों की पोल खोलती हुई दिखाई दे रही है। जिले से निकले हाइवे के साथ ही हर एक मार्ग पर गायो के झुंड दिखाई देते है जो राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बने हुवे है।

Body:बता दे कि जिले के सुसनेर में स्थित कामधेनु गो अभ्यारण्य जिसमे 6 हजार गायों को रखने की क्षमता है लेकिन वहां भी 3 हजार के करीब गोवंश ही है। क्षमता से कम गोवंश रखने का कारण संसाधनों की कमी बताया जाता है ऐसे में जिले हजारो ऐसी गाये है जो भूखी प्यासी इधर से उधर भटकती हुई सरकारी दावों की हकीकत बयां करती है। दिन- रात के समय बीच सड़क पर सेकड़ो की तादात में गायें बैठी रहती है जिनमे से कुछ गाये तेज़ रफ़्तार वाहनों की चपेट में आ जाती है जिससे आये दिन विवाद पैदा होता है। आम नागरिक से लेकर छोटे-बड़े वाहन चालकों को वाहन चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Conclusion:पार्षद मनीष सोलंकी ने बताया कि गायो के सड़क पर होने के कारण वाहन चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है प्रशासन गायो के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाए।
कलेक्टर संजय कुमार ने बताया कि बारिश में अक्सर गाये सूखे स्थान की तलाश में सड़क पर ही आ जाती है किसान फसल बचाने के लिए खेतो में फेंसिंग कर देते है इसलिए गायो को चरने की जगह नही मिल पाती है। वही गोअभ्यारण्य में ज्यादा से ज्यादा 6 हजार गाये रखी जा सकती है वर्तमान में वहां जितनी सुविधा है उसके हिसाब से गाये वहां है।
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