आगर। इन्दौर रियासत की महारानी देवी अहिल्याबाई ने आगर जिलें के सुसनेर में कई जगहों पर शिव मंदिरो का निर्माण कराया था. वर्तमान में ये सभी मंदिर शासन के आधिपत्य में होकर धर्मस्व विभाग के अधीन है. कंठाल नदी के तट पर बसा हुआ एक अतिप्राचीन नीलकण्ठेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन होने के बाद भी सालों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है साथ ही इस मंदिर के लिए 26 बीघा शासकीय जमीन भी अतिक्रमणकारीयों के कब्जें में है. इस जमीन को मुक्त कराने के लिए मंदिर की पुजारन विधवा महिला रूकमाबाई और परिजन सालों से प्रशासन से मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक मंदिर परिसर और कृषि की भूमि अतिक्रमण से मुक्त नही हो पायी है.
देवी अहिल्याबाई ने कराई थी मंदिर की स्थापना, 26 बीघा शासकीय भूमि अतिक्रमण का शिकार - नीलकंठेश्वर
देवी अहिल्याबाई ने कई जिलों में मंदिर की स्थापना कराई थी, सभी मंदिर शासन के आधिपत्य में होने के बावजूद मंदिर की स्थिति जर्जर है. साथ ही 26 बीघा शासकीय भूमि लोगो के कब्जे में है, विधवा पुजारन ने जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए शासन से मांग की है.
आगर। इन्दौर रियासत की महारानी देवी अहिल्याबाई ने आगर जिलें के सुसनेर में कई जगहों पर शिव मंदिरो का निर्माण कराया था. वर्तमान में ये सभी मंदिर शासन के आधिपत्य में होकर धर्मस्व विभाग के अधीन है. कंठाल नदी के तट पर बसा हुआ एक अतिप्राचीन नीलकण्ठेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन होने के बाद भी सालों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है साथ ही इस मंदिर के लिए 26 बीघा शासकीय जमीन भी अतिक्रमणकारीयों के कब्जें में है. इस जमीन को मुक्त कराने के लिए मंदिर की पुजारन विधवा महिला रूकमाबाई और परिजन सालों से प्रशासन से मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक मंदिर परिसर और कृषि की भूमि अतिक्रमण से मुक्त नही हो पायी है.
इस मंदिर के आसपास ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, जयेश्वर महादेव मंदिर, मनकामनेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है। इस कारण से इसे पुराने समय में शिव का बाग भी कहा जाता था। ये सभी मंदिर भी धर्मस्व विभाग के उदासीनता का शिकार बने हुएं है।
यहां पर है मंदिर की शासकीय जमीन, जो लोगा के कब्जे में है
मंदिर की पुजारन विधवा महिला रूकमाबाई और उनके बैटे दिनेश शर्मा ने बताया की 26 बीघा शासकीय भूमि नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के नाम से अलग-अलग जगहों पर शासकीय रिकार्ड में दर्ज है। इनमें से इन्दौर कोटा राजमार्ग पर मंदिर के नाम की करीब 10 बीघा भुमि कृषि उपज मण्डी के कब्जे में है। इसके अलावा पुलिस थाने के सामने व सुसनेर से राजमार्ग को जोडने वाले बायपास मार्ग पर व मंदिर के आसपास की जमीन शासन के रिकार्ड में दर्ज है, इस बात की जानकारी प्रशासन के जिम्मैदारो को भी है। किन्तु मंदिर की पुजारन विधवा महीला के होने के कारण मंदिर की जमीन को कब्जे से मुक्त कराने की कोई ठोस पहल आज तक नही हो पाई है। हां दो वर्ष पूर्व न्यायालय में चल रहे एक प्रकरण में न्यायाधीश के द्वारा 10 बीघा जमीन जरूर मुक्त करवाई गई है।
धुमधाम से निकलती है नीलकंठेश्वर की शाही सवारी
शिव भक्त मंडल के तत्वाधान में पिछले 60 वर्षो से नीलकंठेश्वर महादेव की शाही सवारी बडी धुमधाम के राजसी ठाठ-बाट से निकाली जाती है। इसी मंदिर से पिछले 15 सालों से बोलबम कावड संघ के द्वारा 300 किमी दूर ओंकारेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने के लिए कावड यात्रा भी निकाली जाती आ रही है। शिव भक्त मंडल के अध्यक्ष कैलाशनारायण बजाज ने बताया कि कई बार प्रशासन को लिखित रूप से अवगत भी कराया, किन्तु फिर भी धर्मस्व विभाग के द्वारा इस मंदिर की और ध्यान नहीं दिया जा रहा है।Conclusion:देवी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित इस मंदिर का जीणोद्धार करवाए जाने की मांग शिव भक्त मंडल के अध्यक्ष कैलाश नारायण बजाज और क्षेत्रिय साहित्यकार डॉक्टर रामप्रताप भावसार सुसनेरी ने की है। उन्हाने कहां कि यह मंदिर अतिप्राचीन होने के साथ ही सालों से श्रृद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। प्रशासन को इस और ध्यान देकर श्रृद्धालुओं की आस्था का सम्मान करना चाहिए।
विज्युअल व फोटो-
मेला ग्राउण्ड में कंठाल नदी के किनारे स्थित नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का।
नीलकंठेश्वर महादेव की पूजा करते हुएं श्रद्धालु।
धर्मस्व विभाग के अधीन है मंदिर, फिर भी उपेक्षा का शिकार।
मन्दिर की जमीन पर कब्जे के दस्तावेज बताते हुवे पुजारी महिला व बेटा।
बाईट- दिनेश शर्मा, पुजारी नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर सुसनेर।
बाईट- कैलाश नारायण बजाज, अध्यक्ष- शिव भक्त मंडल सुसनेर।
बाईट- डॉक्टर रामप्रताप भावसार सुसनेरी, क्षेत्रिय साहित्यकार सुसनेर।