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Ujjain Wrestler Priyanshi उज्जैन की बेटी ने बुल्गारिया में जीता ब्रॉन्ज, एक बेटी के मौत के बाद भी पिता ने नहीं टूटने दिया हौसला

उज्जैन की रेसलर प्रियांशी प्रजापत ने जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. बुल्गारिया में हुई चैम्पियनशिप में उन्होंने 30 देशों के खिलाड़ियों के बीच भारत को मेडल दिलाया है. प्रियांशी का परिवार दो कमरों में रहता है. पिता का ईंट भट्‌टा है. घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. प्रियांशी के पिता पहले रेसलर हुआ करते थे, उनका सपना था की उनकी बेटियां भी रेसरल बनें. Wrestler Priyanshi Prajapat won bronze, Ujjain Priyanshi Defeated Mongolian Player, Wrestler Priyanshi Prajapat won bronze

Priyanshi Won Bronze in Bulgaria
बुल्गारिया में प्रियांशी ने जीता कांस्य पदक
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Published : Aug 28, 2022, 6:32 PM IST

Updated : Aug 28, 2022, 10:52 PM IST

उज्जैन। हाल ही में दक्षिण पूर्व यूरोप के देश बुल्गारिया में हुई जूनियर वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में 30 देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. इसमें भारत देश की 50 किलोग्राम कैटेगिरी में 18 साल की प्रियांशी प्रजापत ने अपनी प्रतिद्वंदी को हराकर देश के नाम ब्रॉन्ज मेडल जीता था. मेडल जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया. प्रियांशी जीत के बाद अपने घर उज्जैन पहुंची, जिसका शानदार स्वागत किया गया. (Wrestler Priyanshi Prajapat won bronze)

बुल्गारिया में प्रियांशी ने जीता कांस्य पदक

मंगोलिया की खिलाड़ी को हराया: प्रियांशी का कहना है कि अब वो देश के नाम गोल्ड मेडल लाने के लिए कड़ी मेहनत करेगी. प्रियांशी के ब्रॉन्ज मेडल जितने के बाद उसके परिवार सहित देश भर से उन्हें शुभकामनाएं और बधाई संदेश मिल रहे हैं. घर में खुशी का माहौल है. प्रियांशी ने मंगोलिया देश की खिलाड़ी बूंखाबट को मात देकर ये मेडल हासिल किया है. वर्ल्ड चैंपियनशिप 15 अगस्त से 21 अगस्त के बीच हुई थी. (Priyanshi Won Bronze in Bulgaria)

प्रियांशी ने कई मेडल अपने नाम किया: प्रियांशी से ईटीवी भारत ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें उनके पिता से ये प्रेरणा मिली है. बचपन से पिता को देख और उनसे सिख वे आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. हमेशा गोल्ड मेडल जीतने का सपना लेकर मैं मैदान में उतरी हूं. ये सफर आगे भी जारी रहेगा. प्रियांशी ने इससे पहले वर्ष 2018 में सेनापती में हुई नेशनल चैंपियनशिप में 2 गोल्ड जीता है. इसके बाद 2019 में हुए खेलों इंडिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, 2020 के खेलों इंडिया में गोल्ड जीता और 2021 में भी गोल्ड जीता और अब 2022 में प्रियांशी ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. प्रियांशी अब पांच सितंबर तक केरला में होने वाली नेशनल टूर्नामेंट खेलने की तैयारियां कर रही हैं. (Ujjain Wrestler Priyanshi)

कैसे प्रियांशी बनी खिलाड़ी: कौन है प्रियांशी के पिता जिस तरह से फिल्म दंगल लोगों को संदेश देना चाहती है कि हमारी छोरियां छोरों से कम है के. ठीक इसी प्रकार की कहानी है महकाल कि नगरी उज्जैन में रहने वाले अपने समय में राष्ट्रीय स्तर पर मैदान में लड़ चुके पहलवान मुकेश प्रजापत की. इनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. मुकेश पहलवान भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं. वे कहते हैं लड़कियों के प्रति समाज की सोच कंजरवेटिव है. उन्होंने आगे कहा कि, एक व्यक्ति का सपना और जुनून, लड़के की चाह, अखाड़े और अखाड़े से बाहर के दांवपेंच, देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना, चैम्पियन बनने के लिए जरूरी अनुशासन और समर्पण जैसी तमाम बातें इस दंगल फिल्म से मैंने समेटी है, और जो सपने मैं पूरे नहीं कर सका वो मेरी बेटियां आज पूरा कर रहीं हैं.

बुल्गारिया में अंतरराष्ट्रीय पहलवान गौरव बालियान ने जीता रजत पदक

मुसीबतों के बाद भी नहीं टूटा हौसला: पहलवान मुकेश की तीन बेटियां और एक बेटा है. पहलवान मुकेश वर्ष 1996 से 97 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मैदान में उतरे थे, और 11 बाद संभाग केसरी के खिताब से नवाजे गए थे. पहलवान मुकेश बताते है वे ईंट भट्ठे पर इंटे बनाने का कार्य करते हैं. आर्थिक स्तिथी ठीक न होने की वजह से वे आगे नहीं खेल पाए, लेकिन जैसे ही घर में बेटियां हुई तो परिस्थितियों में सुधार हुआ. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि देश के नाम मेरी बेटियां मेडल लाएगी. तीनों बेटियों को अपने ही पुश्तैनी अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग देने लगा, लेकिन इस बीच उनकी 12 वर्षीय बेटी श्रष्टि की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई. ये राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी थी. इसके बाद भी उन्होंने ना खुद का और ना ही अपनी दो बेटियों का हौसला टूटने नहीं दिया. पहलवान बताते हैं कि मेरी दोनों बेटियां आज राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही है, जिसमें से प्रियांशी ने 18 वर्ष की उम्र में ब्रॉन्ज हासिल किया है. (Ujjain Priyanshi Defeated Mongolian Player)

उज्जैन। हाल ही में दक्षिण पूर्व यूरोप के देश बुल्गारिया में हुई जूनियर वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में 30 देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. इसमें भारत देश की 50 किलोग्राम कैटेगिरी में 18 साल की प्रियांशी प्रजापत ने अपनी प्रतिद्वंदी को हराकर देश के नाम ब्रॉन्ज मेडल जीता था. मेडल जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया. प्रियांशी जीत के बाद अपने घर उज्जैन पहुंची, जिसका शानदार स्वागत किया गया. (Wrestler Priyanshi Prajapat won bronze)

बुल्गारिया में प्रियांशी ने जीता कांस्य पदक

मंगोलिया की खिलाड़ी को हराया: प्रियांशी का कहना है कि अब वो देश के नाम गोल्ड मेडल लाने के लिए कड़ी मेहनत करेगी. प्रियांशी के ब्रॉन्ज मेडल जितने के बाद उसके परिवार सहित देश भर से उन्हें शुभकामनाएं और बधाई संदेश मिल रहे हैं. घर में खुशी का माहौल है. प्रियांशी ने मंगोलिया देश की खिलाड़ी बूंखाबट को मात देकर ये मेडल हासिल किया है. वर्ल्ड चैंपियनशिप 15 अगस्त से 21 अगस्त के बीच हुई थी. (Priyanshi Won Bronze in Bulgaria)

प्रियांशी ने कई मेडल अपने नाम किया: प्रियांशी से ईटीवी भारत ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें उनके पिता से ये प्रेरणा मिली है. बचपन से पिता को देख और उनसे सिख वे आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. हमेशा गोल्ड मेडल जीतने का सपना लेकर मैं मैदान में उतरी हूं. ये सफर आगे भी जारी रहेगा. प्रियांशी ने इससे पहले वर्ष 2018 में सेनापती में हुई नेशनल चैंपियनशिप में 2 गोल्ड जीता है. इसके बाद 2019 में हुए खेलों इंडिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, 2020 के खेलों इंडिया में गोल्ड जीता और 2021 में भी गोल्ड जीता और अब 2022 में प्रियांशी ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. प्रियांशी अब पांच सितंबर तक केरला में होने वाली नेशनल टूर्नामेंट खेलने की तैयारियां कर रही हैं. (Ujjain Wrestler Priyanshi)

कैसे प्रियांशी बनी खिलाड़ी: कौन है प्रियांशी के पिता जिस तरह से फिल्म दंगल लोगों को संदेश देना चाहती है कि हमारी छोरियां छोरों से कम है के. ठीक इसी प्रकार की कहानी है महकाल कि नगरी उज्जैन में रहने वाले अपने समय में राष्ट्रीय स्तर पर मैदान में लड़ चुके पहलवान मुकेश प्रजापत की. इनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. मुकेश पहलवान भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं. वे कहते हैं लड़कियों के प्रति समाज की सोच कंजरवेटिव है. उन्होंने आगे कहा कि, एक व्यक्ति का सपना और जुनून, लड़के की चाह, अखाड़े और अखाड़े से बाहर के दांवपेंच, देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना, चैम्पियन बनने के लिए जरूरी अनुशासन और समर्पण जैसी तमाम बातें इस दंगल फिल्म से मैंने समेटी है, और जो सपने मैं पूरे नहीं कर सका वो मेरी बेटियां आज पूरा कर रहीं हैं.

बुल्गारिया में अंतरराष्ट्रीय पहलवान गौरव बालियान ने जीता रजत पदक

मुसीबतों के बाद भी नहीं टूटा हौसला: पहलवान मुकेश की तीन बेटियां और एक बेटा है. पहलवान मुकेश वर्ष 1996 से 97 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मैदान में उतरे थे, और 11 बाद संभाग केसरी के खिताब से नवाजे गए थे. पहलवान मुकेश बताते है वे ईंट भट्ठे पर इंटे बनाने का कार्य करते हैं. आर्थिक स्तिथी ठीक न होने की वजह से वे आगे नहीं खेल पाए, लेकिन जैसे ही घर में बेटियां हुई तो परिस्थितियों में सुधार हुआ. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि देश के नाम मेरी बेटियां मेडल लाएगी. तीनों बेटियों को अपने ही पुश्तैनी अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग देने लगा, लेकिन इस बीच उनकी 12 वर्षीय बेटी श्रष्टि की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई. ये राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी थी. इसके बाद भी उन्होंने ना खुद का और ना ही अपनी दो बेटियों का हौसला टूटने नहीं दिया. पहलवान बताते हैं कि मेरी दोनों बेटियां आज राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही है, जिसमें से प्रियांशी ने 18 वर्ष की उम्र में ब्रॉन्ज हासिल किया है. (Ujjain Priyanshi Defeated Mongolian Player)

Last Updated : Aug 28, 2022, 10:52 PM IST
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