उज्जैन । शिप्रा शुद्धीकरण और उज्जैन नगरी को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग को लेकर मंगलनाथ मंदिर के पास अनशन पर बैठे महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज की तबियत शनिवार को अचानक बिगड़ गयी जिसके बाद उनके अनुयायी उन्हें फ्रीगंज स्थित निजी अस्पताल में दिखाने के लिए लाये. अस्पताल में उनकी जांच के बाद डाक्टरों ने उन्हें भर्ती होने की सलाह दी लेकिन संत ज्ञान दास प्राथमिक उपचार लेने के बाद फिर अपने आश्रम लौट आए.
27 दिनों से अनशन पर संत ज्ञानदास
शिप्रा शुद्धि करण की मांग को लेकर 16 नवम्बर से मंगलनाथ रोड पर भगवान अंगारेश्वर मंदिर के पास दादू आश्रम में अनशन पर बैठे संत ज्ञानदास की तबियत बिगड़ गयी. निजी अस्पताल के डॉ ने प्राथमिक जांच में पाया की संत का बीपी कम हो रहा है. डॉ ने उन्हें आराम और हेल्दी फूड लेने की सलाह दी है. दरअसल शिप्रा नदी की दुर्दशा और प्रदूषित हो रही माँ शिप्रा नदी को बचाने के लिए महामंडलेश्वर ज्ञान दास महाराज अपने आश्रम मैं अन्न त्याग कर अनशन कर रहे हैं , वे अभी भी सिर्फ दूध जल और नारियल पानी ही ले रहे है। दरसल ज्ञान दास महाराज की मांग है कि जल्द से जल्द शिप्रा का शुद्धिकरण किया जाए और अवंतिका उज्जैन नगरी को पवित्र नगरी घोषित करते हुए उज्जैन शहर की मांस मदिरा की सभी दुकानों को शहर के बाहर स्थापित किया जाए उज्जैन मैं महाकुंभ का आयोजन भी किया जाता है इसी के चलते इसे पवित्र नगरी घोषित किया जाए वहीं दूसरी ओर शिप्रा शुद्धिकरण का कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाए संत समाज लगातार शिप्रा शुद्धिकरण और उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग पिछले काफी लंबे समय से उठा रहे हैं लेकिन अब तक कोई निराकरण नहीं हुआ है. संत का कहना है कि अभी तक कोई सरकारी अधिकारी हमसे मिलने या शिप्रा नदी के बारे में बात करने नहीं आया है ऐसे में हम पैन अनशन जारी रखेंगे और हमें कुछ होता है तो उसकी जवाबदार प्रशासन की होगी.
डॉ रवि पंथी ने बताया की महराज जी का बीपी कम हो रहा है और उन्हें भर्ती होने और अन्न ग्रहण करने की सलाह दी है.