ईटीवी भारत डेस्क : हर्ष और उल्लास का त्योहार होली इस बार 18 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा, लेकिन उससे पहले होलाष्टक लगते हैं शास्त्रों में होलाष्टक के दौरान शुभ कामों को करना वर्जित बताया गया है. होली का त्योहार जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, आसपास के वातावरण और बाजारों में होली का असर दिखने लगता है. आइये विस्तार से जानते हैं होलाष्टक 2022 के बारे में.
होलाष्टक (Holashtak) शब्द 'होली' और 'अष्टक' से मिलकर बना है. अष्टक शब्द का अर्थ होता है 'आठ' इसलिये होली के आठ दिन पहले की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. विशेषकर उत्तर भारत में होलाष्टक को अशुभ माना जाता है. इन आठ दिनों में सभी मांगलिक (Precaution in holashtak) कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि वर्जित होते हैं.
फाल्गुन की अष्टमी से होता है शुरू
होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक प्रभावी रहता है. साथ ही होलिका दहन के साथ ही यह होलाष्टक समाप्त हो जाता है. वहीं इस साल होलाष्टक गुरुवार 10 मार्च से शुरू होगा, जो होलिकादहन 17 मार्च 2022 गुरुवार तक रहेगा.
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होलिकादहन की होती है शुरुआत
मान्यताओं के अनुसार इसी दिन होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की शुरुआत होती है. होलाष्टक (Holashtak date 10 march 2022) के शुरुआती दिन में ही होलिका दहन के लिए दो गोबर के कंडे (उपले) स्थापित किए जाते हैं, जिसमें से एक कंडे को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है.
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इस कारण वर्जित होते हैं शुभ कार्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को उनके पिता राक्षस हिरण्यकश्यप ने होलिका दहन से पूर्व आठ दिनों तक अनेक प्रकार के कष्ट दिए थे. तभी से हिंदू धर्म में इस समय अशुभ माना जा रहा है. इस अवधि में विशेष रूप से नए मकान का निर्माण, व्यवसाय की शुरुआत आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. साथ ही इन 8 दिनों में किए गए कार्य से कष्ट, विवाह में संबंध विच्छेद होने की संभावना बढ़ जाती है.
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ये है ज्योतिषीय कारण
ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में भी होलाष्टक को अशुभ बताया गया है. इस दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं. इन अष्ट ग्रहों के कुप्रभाव का बुरा असर मानव जीवन पर पड़ता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में नीच राशि के चंद्र यानी वृश्चिक राशि के जातक या चंद्रमा जिनकी कुंडली में छठे या आठवें भाव में है, उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है.
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