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Mahakal Bhasmarti Entry Ban: कोरोना की तीसरी लहर के कारण नहीं मिलेगा भस्म आरती में प्रवेश, सभी परमिशन निरस्त की गई

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Published : Dec 24, 2021, 2:04 PM IST

Updated : Dec 24, 2021, 6:04 PM IST

उज्जैन के महाकाल मंदिर से भक्तों के लिए एक निराश करने वाली खबर आई है. तीसरी लहर की आहट और बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से मंदिर में भोर में होने वाली भस्म आरती (Mahakal Bhasmarti Entry Ban) में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. मंदिर परिसर में प्रवेश को लेकर भी नई गाइडलाइन जारी की गई है.

entry Ban of Bhasma Aarti in Ujjain Mahakal temple
उज्जैन महाकाल मंदिर में भस्म आरती में प्रवेश पर रोक

उज्जैन। मध्यप्रदेश में रोजाना आ रहे कोरोना के नए मामलों को लेकर सरकार चिंतित है, संभावित खतरे को देखते हुए रात 11 से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. कोविड संक्रमण Mahakal Bhasmarti Entry Ban) का महाकाल के भक्तों पर भी असर पड़ा है, अब शिव भक्तों को भस्म आरती में प्रवेश नहीं मिलेगा. सभी परमिशन निरस्त कर दी गई हैं जोकि भक्तों लिए दूसरी बार निराशाजनक खबर है.

आज से सभी बुकिंग निरस्त

उज्जैन महाकाल मंदिर में आगामी आदेश तक अब श्रद्धालू भस्म आरती में प्रवेश नही कर सकेंगे. आज से जो भी बुकिंग हैं वो कोरोना कर्फ्यू के कारण निरस्त की जाएंगी. मंदिर के प्राशासक गणेश धाकड ने कहा श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह बड़ा निर्णय लिया गया है. विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल की ही भस्म आरती होती है. यहां हजारों की संख्या में भक्त रोजाना रात 2 बजे से लाइन में लगकर बाबा महाकाल के दर्शन लाभ के लिए आते हैं.

भस्म आरती प्रवेश पर दोबारा रोक

उज्जैन महाकाल मंदिर में कोविड के कारण करीब 17 माह से बंद श्रद्धालुओं को 11 सितम्बर से प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जिसके बाद अब दौबारा भस्म आरती में प्रवेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है.

भस्म आरती के बारे में जानिये

मंदिर के मुख्य पुजारी आशीष गुरु बताते हैं कि भस्ममार्ति का एक और नाम मंगला आरती भी दिया गया है. मंगला आरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते हैं. बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते है, नाशवान का संदेश देने के लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते हैं, गाय के गौबर का जो उबला होता है, उसकी भस्म बाबा को अर्पण की जाती है. बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो 5 मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाती है, ये 5 मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं. इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पुजारी ने चिता की भस्म का वर्णन करते हुए बताया कि बाबा का निवास शमशान में है. बाबा शमशान में होते है तो ही चिता की भस्म अर्पित की जाती है. यहां पर बाबा वन में विराजमान हैं इसलिए गाय के गौबर की राख से बाबा का श्रृंगार किया जाता है.

उज्जैन। मध्यप्रदेश में रोजाना आ रहे कोरोना के नए मामलों को लेकर सरकार चिंतित है, संभावित खतरे को देखते हुए रात 11 से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. कोविड संक्रमण Mahakal Bhasmarti Entry Ban) का महाकाल के भक्तों पर भी असर पड़ा है, अब शिव भक्तों को भस्म आरती में प्रवेश नहीं मिलेगा. सभी परमिशन निरस्त कर दी गई हैं जोकि भक्तों लिए दूसरी बार निराशाजनक खबर है.

आज से सभी बुकिंग निरस्त

उज्जैन महाकाल मंदिर में आगामी आदेश तक अब श्रद्धालू भस्म आरती में प्रवेश नही कर सकेंगे. आज से जो भी बुकिंग हैं वो कोरोना कर्फ्यू के कारण निरस्त की जाएंगी. मंदिर के प्राशासक गणेश धाकड ने कहा श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह बड़ा निर्णय लिया गया है. विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल की ही भस्म आरती होती है. यहां हजारों की संख्या में भक्त रोजाना रात 2 बजे से लाइन में लगकर बाबा महाकाल के दर्शन लाभ के लिए आते हैं.

भस्म आरती प्रवेश पर दोबारा रोक

उज्जैन महाकाल मंदिर में कोविड के कारण करीब 17 माह से बंद श्रद्धालुओं को 11 सितम्बर से प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जिसके बाद अब दौबारा भस्म आरती में प्रवेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है.

भस्म आरती के बारे में जानिये

मंदिर के मुख्य पुजारी आशीष गुरु बताते हैं कि भस्ममार्ति का एक और नाम मंगला आरती भी दिया गया है. मंगला आरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते हैं. बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते है, नाशवान का संदेश देने के लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते हैं, गाय के गौबर का जो उबला होता है, उसकी भस्म बाबा को अर्पण की जाती है. बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो 5 मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाती है, ये 5 मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं. इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पुजारी ने चिता की भस्म का वर्णन करते हुए बताया कि बाबा का निवास शमशान में है. बाबा शमशान में होते है तो ही चिता की भस्म अर्पित की जाती है. यहां पर बाबा वन में विराजमान हैं इसलिए गाय के गौबर की राख से बाबा का श्रृंगार किया जाता है.

Last Updated : Dec 24, 2021, 6:04 PM IST
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