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Fathers day Special: पिता के संघर्ष से तपकर 'कुंदन' बनी बेटियां, मध्यप्रदेश खेल अकादमी में मिला प्रवेश

संतान का ऐसा श्रेष्ठ सुख बहुत कम लोगों को ही मिल पाता है. मजदूर पिता ने कड़ी मेहनत की कमाई से अपनी बेटियों को पाला, उन्हें पढ़ाया-लिखाया, उनके सपनों को पूरा किया. अभावों में पली बेटियों ने भी कैरियर बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी और मध्य प्रदेश खेल अकादमी में प्रवेश लेकर अपने पिता के संघर्ष को सार्थक कर दिया. मजदूर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर देनेवाली यह कहानी सागर जिले के करौंदा गांव के विनोद रजक की है. आज फादर्स डे पर (Fathers Day Special) हम उनके संघर्ष की कहानी लेकर आए हैं.(Special story on fathers day from Sagar

Sagar Vinod Rajak struggle for daughters
पिता के संघर्ष से तपकर कुंदन बनी बेटियां
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Published : Jun 19, 2022, 7:03 AM IST

Updated : Jun 19, 2022, 9:56 AM IST

सागर। अगर इरादे बुलंद हों तो गरीबी और लाचारी जैसे मुश्किलें पार करके भी अपना लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही कुछ कहानी है जिले के बीना तहसील के करौंदा गांव के रहने वाले विनोद रजक की. जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उनके परिवार का पालन पोषण मजदूरी करके होता था. विनोद रजक को बचपन से दौड़ने का शौक था और स्पोर्ट्स में कैरियर बनाना चाहते थे. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उनका सपना पूरा नहीं हो सका. विनोद अपने सपने को तो पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने अपनी दो बेटियों को खेल के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए काफी संघर्ष किया और आज उनकी बेटियां मध्य प्रदेश सरकार के टैलेंट सर्च के माध्यम से मध्य प्रदेश खेल अकादमी का हिस्सा बन गयीं है और एथलेटिक्स में प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं.

मजदूर की बेटियों को खेल अकादमी में मिला प्रवेश

जिंदगी भर किया संघर्ष: विनोद रजक की पहचान दौड़ने के कारण थी. लेकिन परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि खेल के क्षेत्र में विनोद रजक कैरियर बना सकें. परिवार में तीन भाई थे और 1 एकड़ खेती परिवार की रोजी-रोटी का जरिया था. परिवार की सभी जरूरतें पूरी करने के लिए घर के सभी लोगों को मजदूरी करनी पड़ती थी. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते विनोद रजक अपना सपना पूरा नहीं कर सके और अपने पिता की तरह खेती और मजदूरी कर जीवन यापन करने लगे.

Aastha and Kajal Rajak selected in sports academy
आस्था और काजल रजक का खेल अकादमी में चयन

खेल के प्रति बेटियों में देखा उत्साह, तो फिर जागी उमंग: विनोद रजक भले ही अपना सपना पूरा नहीं कर सके. लेकिन उनके मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी हुई थी. शादी के बाद विनोद रजक की तीन बेटियां और एक बेटा हुआ. जब वह अपने गांव में अपने बच्चों को घुमाने ले जाते और स्पोर्ट्स के बारे में बातचीत करते, तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में काफी रुचि लेती हैं. विनोद रजक को लगा कि भले ही वह खेल के क्षेत्र में कैरियर नहीं बना पाए. लेकिन उनकी बेटियां अगर क्षेत्र में आगे बढ़ जाएं, तो उनका सपना एक तरह से पूरा हो जाएगा. विनोद ने सपने को पूरा करने की ठान ली और सीमित संसाधनों में खुद ही बेटियों के लिए दौड़ के लिए प्रशिक्षित करने लगे.

Aastha and Kajal Rajak selected in sports academy
पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं आस्था और काजल

खेत में ही बना दिया रनिंग ट्रैक: विनोद रजक को अंदाजा था कि जो सपना अपनी बेटियों को लेकर देख रहे हैं, उसको साकार करना आसान नहीं हैं. आज के समय में खेल के क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ भरपूर डाइट की भी महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने अपनी दूसरे नंबर की बेटी आस्था और तीसरे नंबर की बेटी काजल में जब खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने की ललक देखी तो अपने एक एकड़ के खेत के चारों तरफ रनिंग ट्रेक तैयार कर लिया. उसी पर बेटियां दिन-रात प्रैक्टिस करने लगी. लगातार प्रैक्टिस के बाद बेटियों को भरपूर डाइट की आवश्यकता भी महसूस होती थी. लेकिन सीमित संसाधनों और गरीबी के चलते विनोद अपने घर की गाय का दूध और चने से बेटियों की डाइट की कमी को पूरा करते थे.

संसाधन जुटाने के लिए परिवार ने लिया मैराथन में हिस्सा: अपनी बेटियों की प्रतिभा को पहचान दिलाने और संसाधन जुटाने के लिए विनोद रजक ने मैराथन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. विनोद अकेले ही नहीं उनकी पत्नी और चारों बेटे बेटियां मैराथन दौड़ में हिस्सा लेते थे. इन प्रतियोगिताओं में जो भी इनामी राशि हासिल होती थी, उससे बेटियों के लिए स्पोर्ट्स किट और डाइट की व्यवस्था करते थे. बेटियों की प्रतिभा पर सामाजिक संस्था समन्वय मंडपम की नजर पड़ी और उन्होंने विनोद रजक और उनकी बेटियों की मदद करने की पहल की. बीना में स्थित भारत-ओमान रिफाइनरी लिमिटेड ने मैराथन दौड़ कराई, जिसमें विनोद रजक के पूरे परिवार ने कोई ना कोई पुरस्कार जीता. इसका असर यह हुआ कि बीना रिफायनरी प्रबंधन द्वारा बेटियों को स्पोर्ट्स किट, शूज और डाइट वगैरह में मदद की जाने लगी.

Fathers Day Special: बच्चों को कामयाब बनाकर खुद के सपने पूरे किए...पिता ने दूध बेचकर बेटी को बनाया जज

रंग लाई मेहनत, बेटियों को मिल गया मध्यप्रदेश खेल अकादमी में प्रवेश: विनोद रजक की मेहनत रंग लाई और उनकी दूसरे नंबर की बेटी आस्था रजक ने 800 और 3000 मीटर दौड़ में नेशनल स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया. इसी तरह तीसरे नंबर की बेटी काजल रजक ने 5000 मीटर की दौड़ में नेशनल स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया. खेल की प्रतिस्पर्धा और आधुनिक सुविधाओं का अभाव देखते हुए विनोद रजक चाहते थे कि उनकी बेटियों को सरकारी अकादमी में प्रवेश मिल जाए. पिछले साल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में टैलेंट सर्च का आयोजन किया गया. जिसमें विनोद रजक की दोनों बेटियों ने जबलपुर, सागर और भोपाल तीनों जगह हिस्सा लिया. आखिरकार एक पिता की मेहनत रंग लाई और 28 मई 2022 को विनोद रजक की दोनों बेटी आस्था और काजल के लिए मध्य प्रदेश खेल अकादमी में प्रवेश मिल गया. फिलहाल दोनों बेटियां बेहतर प्रशिक्षण के साथ दिन-रात मेहनत करती हैं.

(Fathers day Special) (Labor father struggle in sagar) (Daughters got admission in Madhya Pradesh Sports Academy) (Special story on fathers day from sagar) (Sagar Vinod Rajak struggle for daughters)

सागर। अगर इरादे बुलंद हों तो गरीबी और लाचारी जैसे मुश्किलें पार करके भी अपना लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही कुछ कहानी है जिले के बीना तहसील के करौंदा गांव के रहने वाले विनोद रजक की. जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उनके परिवार का पालन पोषण मजदूरी करके होता था. विनोद रजक को बचपन से दौड़ने का शौक था और स्पोर्ट्स में कैरियर बनाना चाहते थे. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उनका सपना पूरा नहीं हो सका. विनोद अपने सपने को तो पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने अपनी दो बेटियों को खेल के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए काफी संघर्ष किया और आज उनकी बेटियां मध्य प्रदेश सरकार के टैलेंट सर्च के माध्यम से मध्य प्रदेश खेल अकादमी का हिस्सा बन गयीं है और एथलेटिक्स में प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं.

मजदूर की बेटियों को खेल अकादमी में मिला प्रवेश

जिंदगी भर किया संघर्ष: विनोद रजक की पहचान दौड़ने के कारण थी. लेकिन परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि खेल के क्षेत्र में विनोद रजक कैरियर बना सकें. परिवार में तीन भाई थे और 1 एकड़ खेती परिवार की रोजी-रोटी का जरिया था. परिवार की सभी जरूरतें पूरी करने के लिए घर के सभी लोगों को मजदूरी करनी पड़ती थी. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते विनोद रजक अपना सपना पूरा नहीं कर सके और अपने पिता की तरह खेती और मजदूरी कर जीवन यापन करने लगे.

Aastha and Kajal Rajak selected in sports academy
आस्था और काजल रजक का खेल अकादमी में चयन

खेल के प्रति बेटियों में देखा उत्साह, तो फिर जागी उमंग: विनोद रजक भले ही अपना सपना पूरा नहीं कर सके. लेकिन उनके मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी हुई थी. शादी के बाद विनोद रजक की तीन बेटियां और एक बेटा हुआ. जब वह अपने गांव में अपने बच्चों को घुमाने ले जाते और स्पोर्ट्स के बारे में बातचीत करते, तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में काफी रुचि लेती हैं. विनोद रजक को लगा कि भले ही वह खेल के क्षेत्र में कैरियर नहीं बना पाए. लेकिन उनकी बेटियां अगर क्षेत्र में आगे बढ़ जाएं, तो उनका सपना एक तरह से पूरा हो जाएगा. विनोद ने सपने को पूरा करने की ठान ली और सीमित संसाधनों में खुद ही बेटियों के लिए दौड़ के लिए प्रशिक्षित करने लगे.

Aastha and Kajal Rajak selected in sports academy
पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं आस्था और काजल

खेत में ही बना दिया रनिंग ट्रैक: विनोद रजक को अंदाजा था कि जो सपना अपनी बेटियों को लेकर देख रहे हैं, उसको साकार करना आसान नहीं हैं. आज के समय में खेल के क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ भरपूर डाइट की भी महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने अपनी दूसरे नंबर की बेटी आस्था और तीसरे नंबर की बेटी काजल में जब खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने की ललक देखी तो अपने एक एकड़ के खेत के चारों तरफ रनिंग ट्रेक तैयार कर लिया. उसी पर बेटियां दिन-रात प्रैक्टिस करने लगी. लगातार प्रैक्टिस के बाद बेटियों को भरपूर डाइट की आवश्यकता भी महसूस होती थी. लेकिन सीमित संसाधनों और गरीबी के चलते विनोद अपने घर की गाय का दूध और चने से बेटियों की डाइट की कमी को पूरा करते थे.

संसाधन जुटाने के लिए परिवार ने लिया मैराथन में हिस्सा: अपनी बेटियों की प्रतिभा को पहचान दिलाने और संसाधन जुटाने के लिए विनोद रजक ने मैराथन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. विनोद अकेले ही नहीं उनकी पत्नी और चारों बेटे बेटियां मैराथन दौड़ में हिस्सा लेते थे. इन प्रतियोगिताओं में जो भी इनामी राशि हासिल होती थी, उससे बेटियों के लिए स्पोर्ट्स किट और डाइट की व्यवस्था करते थे. बेटियों की प्रतिभा पर सामाजिक संस्था समन्वय मंडपम की नजर पड़ी और उन्होंने विनोद रजक और उनकी बेटियों की मदद करने की पहल की. बीना में स्थित भारत-ओमान रिफाइनरी लिमिटेड ने मैराथन दौड़ कराई, जिसमें विनोद रजक के पूरे परिवार ने कोई ना कोई पुरस्कार जीता. इसका असर यह हुआ कि बीना रिफायनरी प्रबंधन द्वारा बेटियों को स्पोर्ट्स किट, शूज और डाइट वगैरह में मदद की जाने लगी.

Fathers Day Special: बच्चों को कामयाब बनाकर खुद के सपने पूरे किए...पिता ने दूध बेचकर बेटी को बनाया जज

रंग लाई मेहनत, बेटियों को मिल गया मध्यप्रदेश खेल अकादमी में प्रवेश: विनोद रजक की मेहनत रंग लाई और उनकी दूसरे नंबर की बेटी आस्था रजक ने 800 और 3000 मीटर दौड़ में नेशनल स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया. इसी तरह तीसरे नंबर की बेटी काजल रजक ने 5000 मीटर की दौड़ में नेशनल स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया. खेल की प्रतिस्पर्धा और आधुनिक सुविधाओं का अभाव देखते हुए विनोद रजक चाहते थे कि उनकी बेटियों को सरकारी अकादमी में प्रवेश मिल जाए. पिछले साल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में टैलेंट सर्च का आयोजन किया गया. जिसमें विनोद रजक की दोनों बेटियों ने जबलपुर, सागर और भोपाल तीनों जगह हिस्सा लिया. आखिरकार एक पिता की मेहनत रंग लाई और 28 मई 2022 को विनोद रजक की दोनों बेटी आस्था और काजल के लिए मध्य प्रदेश खेल अकादमी में प्रवेश मिल गया. फिलहाल दोनों बेटियां बेहतर प्रशिक्षण के साथ दिन-रात मेहनत करती हैं.

(Fathers day Special) (Labor father struggle in sagar) (Daughters got admission in Madhya Pradesh Sports Academy) (Special story on fathers day from sagar) (Sagar Vinod Rajak struggle for daughters)

Last Updated : Jun 19, 2022, 9:56 AM IST
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