सागर। जिले के सेमरा लहरिया हत्याकांड (semra lahariya murder)ने एमपी और यूपी की राजनीति में बवाल मचा रखा है. वैसे भी जब जाति और राजनीति का घालमेल होता है तो समाज में आग लगती ही है. दोनों राज्यों में चुनाव हैं तो जाति के नाम पर हंगामा होना तय था और हुआ भी वही.
क्या है सेमरा लहरिया हत्याकांड ?
पहले जानते हैं कि सेमरा लहरिया हत्याकांड है (semra lahariya murder) क्या. फिर बात करेंगे इस पर हो रही राजनाति की. 17 सितंबर की सुबह खबर मिली की जिले के नरयावली थाना क्षेत्र के सेमरा लहरिया गांव में राहुल यादव नाम का युवक शर्मा परिवार के घर में जली हुई अवस्था में मिला. युवक को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई. मरने से पहले दिए अपने बयान में युवक ने कहा कि शर्मा परिवार की युवती से उसका प्रेम प्रसंग था, उसकी शादी हो चुकी थी लेकिन दोनों में बातचीत होती थी. युवकी ने 16 सितंबर को फोन कर उसे मिलने बुलाया था. जैसे ही उसके घर पहुंची उसके पिता समेत 3 अन्य लोगों ने हाथ-पैर बांधकर पेट्रोल डालकर आग लगा दी.
जाति के नाम पर नेता अपने काम पर
कुछ लोगों का आरोप है कि मामले को ऐसे उछाला जा रहा है कि एक समुदाय के साथ (semra lahariya murder) नाइंसाफी हो रही है. दूसरा समुदाय उसे दबा रहा है. दरअसल यहां है पृथ्वीपुरा विधानसाभ सीट. यहां होने हैं उपचुनाव. चुनावी मौसम में नेताओं को ऐसा मुद्दा मिल जाए तो फिर और क्या चाहिए. राजनीति चमकाने का मौका भी मिल गया और वोट बटोरने का मुद्दा भी. लग रहा है कि यहां ओबीसी और सवर्ण वोटरों का ध्रुवीकरण (polarisation of voters) करने की कोशिश की जा रही है. नेताओं को भरोसा है कि जाति की आग फैलाकर सीट पर कब्जा करना आसान है. क्योंकि विकास के काम की गिनती वो करा नहीं पाएंगे.
मंत्री भूपेन्द्र सिंह की एंट्री से आग को मिली हवा
राहुल यादव की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने सागर खुरई मार्ग को (semra lahariya murder) जाम कर दिया था. चक्का जाम की जानकारी मिलने पर मंत्री भूपेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे. उन्होंने पीड़ित यादव परिवार को एक लाख रूपए की सहायता देने की वकालत की. साथ ही यादव परिवार की मांग पर ब्राह्मण परिवार के मकान को गिराने की मांग पर सहमति भी दे दी. शायद भूपेन्द्र सिंह यादव वोटों (polarisation of voters)को अपनी ओर करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस एक तरफा एक्शन से ब्राह्मण समाज गुस्से में है. ब्राह्मणों की नाराजगी बीजेपी नहीं झेल पाएगी.
ब्राह्मणों ने दी थी आंदोलन की चेतावनी
मंत्री भूपेन्द्र सिंह के यादनों के पलड़े में झुकने से ब्राह्मण समाज के लोग गुस्से में थे. वे गुरुवार को आंदोलन करने वाले थे. मामला ब्राह्मण और यादव के बीच जातीय संघर्ष में तब्दील होता दिखाई देने लगा. ब्राह्मण समाज का मकान गिराए जाने से (semra lahariya murder)नाराज लोगों ने 30 सितंबर को विशाल आंदोलन का ऐलान किया था. आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रदेश भर(polarisation of voters) से लोग सागर पहुंचे. हालांकि आंदोलन के पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिला का निःशुल्क इलाज कराने और घटना की सीबीआई जांच के लिए केंद्र से सिफारिश कर दी.
यूपी के ब्राह्मण नेता सर्वेश पांडे की एंट्री
ब्राह्मण सम्मेलन में बुंदेलखंड के अलावा प्रदेश के अन्य इलाकों के ब्राह्मण तो इकट्ठा हुए थे. इसके अलावा यूपी के बुंदेलखंड और अन्य जिलों से भी ब्राह्मण नेता और ब्राह्मण लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचे. (semra lahariya murder) यूपी के बहराइच के ब्राह्मण नेता सर्वेश पांडे ने सम्मेलन को संबोधित कर ब्राह्मणों में जोश भर दिया. उन्होंने ब्राह्मण परिवार के गिराए गए मकान को फिर से बनाने और मंत्री भूपेंद्र सिंह के इस्तीफे की पुरजोर मांग की.
सेमरा लहरिया हत्याकांड ने क्यों मचाया यूपी-एमपी में बवाल
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड यानि सागर संभाग के 6 जिलों में विधानसभा की 26 सीटें हैं. सबसे ज्यादा 8 विधानसभा सीटें सागर जिले में हैं, तो सबसे कम 3 विधानसभा सीट पन्ना जिले में हैं. मोटे तौर पर सियासी समीकरण देखें, तो बुंदेलखंड इलाके में ओबीसी और सवर्ण ध्रुवीकरण(polarisation of voters) सियासत के लिए फायदे का सौदा हो सकता है. ओबीसी में लोधी और यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है.
यूपी के करीब 10 जिले होते हैं प्रभावित
जानकारों के मुताबिक बुंदेलखंड के आसपास यूपी के करीब 10 जिले ऐसे हैं (semra lahariya murder)जहां ब्राह्मण और ओबीसी वोटर्स किसी को भी हराने और जिताने की क्षमता रखते हैं. यही कारण है कि इन जिलों से ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय के नेताओ की भी सेमरा लहरिया कांड में एंट्री हो रही है. दोनों समुदाय के नेता मानते हैं कि जितनी ज्यादा जाति की आग लगेगी, उतने ज्यादा वोटरों को डराकर या छलाकर अपनी ओर किया जा सकता है. चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर जैसे जिले आते हैं. करीब 30 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इन जिलो में करीब सवा करोड़ (polarisation of voters)लोग रहते हैं. जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स इधर उधर होने से सत्ता तक हिल सकती है.
किसी की लाश जली, नेता के लिए जली उम्मीद की किरण
सागर में हुए ब्राह्मण समाज के विशाल प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के बहराइच के ब्राह्मण नेता सर्वेश पांडे ने सीधे तौर पर बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने चेतावनी दे डाली कि इस घटनाक्रम को सियासी मोड़ देने का असर उत्तर प्रदेश पर (polarisation of voters) भी होगा. सागर जिले की खुरई विधानसभा उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले से लगी हुई है. छतरपुर जिले की चंदला और महाराजपुर विधानसभा उत्तर प्रदेश से लगी हुई है. इसके साथ ही टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा भी उत्तर प्रदेश से लगी हुई है. यूपी और एमपी के बुंदेलखंड में समानताएं होने के कारण आपसी रिश्तेदारी के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य (semra lahariya murder) के मामले में एक दूसरे पर निर्भरता भी है. इन्हीं परिस्थितियों में सेमरा लहरिया कांड की आंच यूपी तक पहुंची है. यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं को उम्मीद की नजर से देख रही बीजेपी के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
बुंदेलखंड के प्रभावी ओबीसी और सवर्ण नेता
जहां तक सत्ताधारी दल बीजेपी में ओबीसी के सबसे प्रभावी नेता की बात करें, तो पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लोधी समुदाय से आती हैं. उमा भारती बुंदेलखंड के टीकमगढ़ के जिले की हैं. यूपी से लगे होने के कारण उन्होंने यूपी की राजनीति में सक्रिय भागीदारी भी निभाई है. इसके अलावा आरक्षण मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने करीबी भूपेंद्र सिंह को ओबीसी नेता के तौर पर पेश करना चाहते हैं. बीजेपी में मंत्री गोपाल भार्गव (semra lahariya murder) एक मजबूत सवर्ण नेता के तौर पर सामने हैं. कांग्रेस में पूर्व मंत्री हर्ष यादव, यादव समाज के बड़े नेता के तौर पर देखे जाते हैं. इसके अलावा पूर्व मंत्री कांग्रेस के मुकेश नायक ब्राह्मण नेता के तौर पर देखे जाते हैं.
एमपी में ब्राह्मण और ओबीसी वोटर्स का क्या है गणित
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड यानि सागर संभाग के 6 जिलों में विधानसभा की 26 सीटें हैं. सबसे ज्यादा 8 विधानसभा सीटें सागर जिले में हैं, तो सबसे कम 3 विधानसभा सीट पन्ना जिले में हैं. मोटे तौर पर सियासी समीकरण देखें, तो बुंदेलखंड इलाके में ओबीसी और सवर्ण ध्रुवीकरण (polarisation of voters) सियासत के लिए फायदे का (semra lahariya murder) सौदा हो सकता है. ओबीसी में लोधी और यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है.
पृथ्वीपुर में कुशवाहा और यादवों के पास जीत की चाबी
निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा कांग्रेस विधायक विजेंद्र सिंह राठोर के निधन के बाद खाली हुई है. 30 अक्टूबर को पृथ्वीपुर में मतदान होना है. इसी दौरान घटी इस घटना को भाजपा वोटों के ध्रुवीकरण के लिए प्रयोग के तौर पर देख रही है. पृथ्वीपुर विधानसभा की बात करें,तो यहां पर 1,97,250 मतदाता हैं. (semra lahariya murder) यहां पर ओबीसी मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं. कुशवाहा और यादव समाज का अगर(polarisation of voters) गठजोड़ किसी एक दल के लिए वोट करता है, तो जीत सुनिश्चित है. इसी बात को याद रख कर सेमरा लहरिया कांड को हवा दी जा रही है. सेमरा लहरिया हत्याकांड को सियासी रंग देने के सूत्रधार रहे भूपेंद्र सिंह को पृथ्वीपुर उपचुनाव की कमान बीजेपी ने सौंपी है.
सागर जिले का जातीय समीकरण
- सागर - ब्राह्मण, जैन और अनुसूचित जाति बाहुल्य
- नरयावली (एससी) - अनुसूचित जाति और ओबीसी बाहुल्य
- सुरखी - ओबीसी ( कुशवाहा और यादव) बाहुल्य
- रेहली - ब्राह्मण और ओबीसी ( कुर्मी ) बाहुल्य।
- देवरी - सवर्ण (ब्राह्मण-राजपूत) ओबीसी ( कुशवाहा - कुर्मी )
- खुरई - ब्राह्मण और ओबीसी
- बीना (एससी) - अनुसूचित जाति और ओबीसी
8.बंडा - ओबीसी ( लोधी बाहुल्य)
दमोह जिले का जातीय समीकरण
- दमोह - सवर्ण और ओबीसी ( लोधी ) बाहुल्य
- पथरिया - कुर्मी और सवर्ण
- जबेरा - लोधी बाहुल्य
- हटा (एससी) - सवर्ण और अनुसूचित जाति
पन्ना जिले का जातीय समीकरण
- पन्ना - लोधी ( ओबीसी) बाहुल्य
- पवई - ब्राह्मण बाहुल्य
- .गुन्नौर (एससी) - अनुसूचित जाति और ब्राह्मण बाहुल्य
छतरपुर जिले का जातीय समीकरण
- छतरपुर - सवर्ण (ब्राह्मण-राजपूत) और ओबीसी
- बड़ा मलहरा - लोधी और यादव बाहुल्य
- चंदला ( एससी ) - अनुसूचित जाति बाहुल्य
- महाराजपुर( एससी ) - अनुसूचित जाति और ओबीसी
- राजनगर - ओबीसी (कुर्मी) - सवर्ण
6.बिजावर - लोधी और सवर्ण
टीकमगढ़ का जातीय समीकरण
- पृथ्वीपुर - ओबीसी (लोधी, यादव,कुशवाहा) ब्राह्मण
- टीकमगढ़ - अनुसूचित जाति, सवर्ण, ओबीसी
- निवाड़ी - ओबीसी बाहुल्य
- जतारा (एससी) - अनुसूचित जाति और ब्राह्मण
- खरगापुर - ओबीसी (लोधी) और सवर्ण (राजपूत)
2018 विधानसभा चुनाव में यह रहे चुनाव परिणाम
2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो सागर जिले की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. दमोह जिले की 4 विधानसभा सीटों में 2 पर बीजेपी एक पर कांग्रेस और एक पर बीएसपी ने जीत हासिल की थी. पन्ना जिला की 3 विधानसभा सीटों पर दो पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. तत्कालीन टीकमगढ़ जिले की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. छतरपुर जिले में 2018 में 4 सीटों पर कांग्रेस एक पर बीजेपी और एक पर सपा ने जीत हासिल की थी. लेकिन सिंधिया खेमे के टूटने के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर उपचुनाव में बीजेपी के टिकट से जीत गए थे. मौजूदा स्थिति में बीजेपी के पास 16 सीट और कांग्रेस के पास 8, बीएसपी के पास एक और सपा के पास एक सीट है. पृथ्वीपुर विधानसभा सीट फिलहाल खाली है.