सागर। सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र शुरू किया गया है, इसमें कैदी सूती और खादी के कपड़े बनाने का हुनर सीखने के साथ कमाई भी कर रहे हैं. सजा पूरी होने के बाद हथकरघा को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने में भी जेल प्रशासन मदद कर रहा है. कैदियों द्वारा तैयार किए गए सूती और खादी के कपड़े की मांग बड़ी है. जेल में तैयार कपड़ा बाहर भी भेजा जा रहा है. जेल के शोरूम में भी बिक्री के लिए उपलब्ध है. (Gandhi Jayanti 2022)
विद्या सागर की प्रेरणा से शुरुआत: जैन तीर्थ स्थल बीना वारहा में आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से नवम्बर 2015 में हथकरघा केंद्र की शुरुआत की गई थी. केंद्रीय जेल सागर के तत्कालीन और वर्तमान जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने विभागीय स्तर पर समन्वय कर आचार्य विद्यासागर से आग्रह किया था. आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से करीब एक करोड़ की लागत से सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ ने सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र केंद्र की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की. केंद्रीय जेल के भीतर 10250 वर्ग फीट में शेड का निर्माण किया गया. फिलहाल हथकरघा केंद्र में 54 हथकरघा पर 110 बंदी काम कर रहे हैं. जो कमाई के साथ हुनर सीख कर कुशल कारीगर बन गए हैं.
सजा के दौरान रोजगार: केंद्रीय जेल सागर में संचालित हथकरघा केंद्र की संचालिका डॉ. रेखा जैन बताया कि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से शुरू किए गए हथकरघा केंद्र में फिलहाल 54 हथकरघों पर 110 कैदी काम कर रहे हैं. जो रोजाना ढाई से तीन सौ रुपये कमा रहे हैं. सामान्य कपड़ा बनाने पर 50 रुपये मीटर और प्रिटेंड, डिजाइनर कपड़े तैयार करने पर ढाई सौ से तीन सौ रुपये मिलता है.
सजा के बाद पुनर्वास: जेल से रिहा होने पर पुनर्वास के लिए संस्था हथकरघा और धागा उपलब्ध कराने के साथ उनके द्वारा बनाए गए कपड़ा भी खरीदती हैं. 2012 से हत्या के अपराध में सजा काट रहे विजय रैंकवार बताते हैं कि 2019 में उन्होंने हथकरघा केंद्र पर काम सीखा और करना शुरू किया. सभी तरह के कपड़े तैयार करना सीख लिया है. हर महीने 4 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. 60-70 हजार रुपए इकट्ठे हो गए हैं. सजा के बाद घर पर हथकरघा शुरू करूंगा और लोगों को सिखाऊंगा. सजा के वक्त हथकरघा बड़ा सहारा है, समय कट जाता है और मन भी लगा रहता है.
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प्रिटेंड और डिजाइनर कपड़े: हथकरघा केंद्र पर सादे कपड़ों के अलावा प्रिंटेड और डिजाइनर कपड़े भी तैयार किए जाते हैं. सूती की डिजाइनर साड़ियां,सलवार शूट, कुर्ता, शर्ट और पेंट तैयार किए जाते हैं. बाजार के मुकाबले इन कपड़ों कीमत भी कम है. केंद्रीय जेल के कथकरघा केंद्र पर बने कपड़ो की बिक्री के लिए सद्भावना विक्रमय केंद्र नामक शोरूम है. यहां खरीदे गए कपड़ो की कम कीमत सिलाई की सुविधा भी है. इसके अलावा यहां का कपड़ा बाहर भी भेजे जा रहा हैं. इनकी ब्राडिंग होने से डिमांड भी बढ़ी है.(Gandhi Jayanti 2022)