रीवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के विकास के लिए नई योजनाओं का दम भरते हों, लेकिन हकीकत ये है कि उनकी योजनाएं नाकाम साबित हो रही है. ऐसी नाकाम योजनाओं में से एक है सांसद आदर्श ग्राम योजना. इस योजना के तहत सांसदों ने गांव को गोद लेकर विकास के सपने दिखाए थे. ऐसा ही सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के अंबा गांव को सांसद जनार्दन मिश्रा ने गोद लिया था, लेकिन आलम यह है कि इस गांव के लोग पीने के लिए बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. (rewa water crisis)
गांव की रियलिटी चेक: अंबा गांव इन दिनों पानी की समस्या से जूझ रहा है. जिसकी वजह से इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ग्रामीण गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने सांसद के द्वारा गोद लिए गए गांव की रियलिटी चेक की तो यह सारी बातें खुलकर सामने आई. ग्रामीण महिलाओं का आधा दिन पानी की व्यवस्था करने में ही गुजर जाता है. जिसकी वजह से मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले परिवारों के सामने अब आर्थिक संकट भी पैदा हो रहा है.
नल-जल योजना की खुली पोल: सीएम शिवराज द्वारा चलाई जा रही जल जीवन मिशन योजना हो या फिर नल-जल योजना हो हर तरह की योजनाओं के पोल खोलती तस्वीरें अंबा गांव से सामने आई हैं. इस योजना के तहत पाइपलाइन भी बिछाई गई थी, लेकिन शासन स्तर पर इसका कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ. इसकी वजह से अब जलस्तर घट रहा है, और ग्रामीण इससे परेशान हैं. इसके साथ ही गांव में स्थित विद्यालय में भी पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. (village adopted by mp Janardan Mishra strugging for water)
कई सालों से हैंडपंप सूखे पड़े: इस गांव में सरकार द्वारा किए जा रहे वादे और दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सांसद जनार्दन मिश्रा के गांव को गोद लेने के बावजूद इस गांव में अब तक पानी की समस्या का निराकरण नहीं हो सका. जिसके कारण ग्रामीणों को पानी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. यहां सालों से लगे हैंडपंप सूखे पड़े हैं. आज आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद लोग कुएं से पानी भरने को मजबूर हैं.
सांसद का गांव: नकुलनाथ ने लिया था गोद, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग
सांसद के गोद लेने के बाद नहीं हुआ कोई बदलाव: साल 2014 में रीवा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होकर जब पहली बार जनार्दन मिश्रा सांसद बने तो उन्होंने अंबा गांव को गोद लिया था. इस दौरान उन्होंने कहा कहा था कि इस गांव की तमाम समस्याओं को हल करेंगे. लेकिन गांव में जीवन की मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है.
कोसो दूर जाकर पानी लाते है ग्रामीण: अंबा गांव के ग्रामीणों का कहना है की गांव में लगभग 100 से ज्यादा हैंडपंप है, जिसमें से 50 से अधिक खराब पड़े हुए हैं. वहीं बचे हुए हैंडपंप से पानी तो आता है लेकिन उसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. साथ ही इन सब हैंडपंप से खारा पानी आता है, जो पीने के लायक नहीं रहता. पीने का पानी लाने के लिए ग्रामीणों को इस भीषण गर्मी में कोसो दूर तक का सफर करना पड़ता है.