रीवा। त्योंथर तहसील क्षेत्र में दर्जन भर हितग्राही प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त का लाभ लेने के लिए बाट जोह रहे हैं. प्रशासनिक अनदेखी के चलते आज भी उन्हें छप्पर-पन्नी के नीचे रहकर अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है. इसके लिए कई वर्षों से हितग्राहियों के द्वारा प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर भी लगाए जा रहे हैं. आवास मिलने का उनका इंतजार खत्म नहीं हो रहा. इन हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ तो मिल गया. अफसरों की हीलाहवाली के चलते किस्तों को मंजूरी नहीं मिल पा रही है. इससे आवास का कार्य अधूरा ही पड़ा है. कड़कड़ाती ठंड में ग्रामीण बिना छत के आवास में रहने को मजबूर हैं. (villagers living under foil in Rewa)
पन्नी के नीचे जीवन गुजार रहे ग्रमीण
'कहां तो तय था चिरागा हर एक घर के लिए, कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए' यह पंक्तियां रीवा के त्योंथर तहसील क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए बिल्कुल सही साबित हो रही हैं. वह इसलिए कि सरकार समूचे देश और प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने के दावे और वादे कर रही है. मगर जमीनी हकीकत कुछ अलग ही तस्वीरें बयां करती है. आज भी त्योंथर तहसील क्षेत्र में रह रहे लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.
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एक वर्ष बीत गया, नहीं मिली दूसरी किस्त
त्योंथर तहसील क्षेत्र के दर्जन भर लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना (Rewa pm awas yojana) के लाभ दिए जाने वाले हितग्राहियों में शामिल किया गया. परंतु सूची में नाम होने के बावजूद अब उन्हें आवास के लिए मिलने वाली राशि के लिए पिछले एक साल से भटकना पड़ रहा है. नगर परिषद वार्ड क्रमांक 7, 8 और 9 में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ तो दिया जा चुका है. मगर आवास को पूरा करने के लिए राशि की दूसरी किस्त नहीं मिल पा रही है.
प्रशासनिक अनदेखी के चलते ग्रमीण हो रहे परेशान
ग्रामीणों का कहना है कि एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री आवास का सपना देखकर उन्होंने अपना कच्चा आशियाना उजाड़ दिया. आवास योजना के तहत मिली पहली किस्त से उन्होंने घर की दीवार तो खड़ी कर ली, लेकिन छत बनवाने के लिए उन्हें दूसरी किस्त के लिए कार्यालय के लगातार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.