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लॉकडाउन के बाद से ही डाउन चल रहा प्रॉपर्टी बिजनेस, शहरों में दुकानें और मकान पड़े हैं खाली

कोरोना संकटकाल में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रॉपर्टी व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के बाद भले ही देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरु हो गई. लेकिन अभी भी शहरों में भी बड़ी संख्या में किराए के मकान और दुकानें खाली पड़ी हैं. जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यमवर्ग हुआ है.

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रतलाम न्यूज
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Published : Jul 23, 2020, 7:31 PM IST

रतलाम। भारत में कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. लॉकडाउन में प्रॉपर्टी व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ. आलम यह है किराए पर दिए जाने वाले मकान और दुकानें इस वक्त खाली पड़ी है. जिसकी एक बड़ी वजह शहरों से लोगों के पलायन को भी बताया जा रहा है.

लॉकडाउन के बाद प्रॉपर्टी बिजनेस को हुआ नुकसान

बात अगर रतलाम की जाए तो शहर के रिहायशी और कमर्शियल इलाकों में इन दिनों बड़ी संख्या में दुकानें और मकान खाली हुए हैं. आलम यह है कि जगह-जगह टू लेट के बोर्ड लगे हैं. प्रॉपर्टी विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आई मंदी की वजह से किराएदार मकान और दुकान का महंगा किराया देने में सक्षम नहीं हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी अब बाजार में किराए पर उपलब्ध है.

दुकानें पड़ी है खाली
दुकानें पड़ी है खाली

मध्यमवर्गीय परिवार को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

लॉकडाउन के दौरान छोटे-मोटे उद्योग धंधे बंद होने का सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्गीय लोगों पर पड़ा. प्राइवेट सेक्टर में बहुत सी नौकरियां जाने से किराए के मकानों में रहने वाले लोग उन्हें खाली करके चलए गए. वही किराए की दुकानों में व्यवसाय करने वाले रेस्टोरेंट संचालक, कैफे संचालक, कपड़ा व्यवसायी, फोटोग्राफर, कोचिंग क्लासेस और कंप्यूटर इंस्टीट्यूट के संचालकों का व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया. लिहाजा उन्होंने भी मकानों को खाली कर दिया.

किराए मकान भी हो गए खाली
किराए मकान भी हो गए खाली

रतलाम के स्थानीय निवासी नीतेश सोनी कहते हैं कि उद्योग धंधों में मंदी की वजह से बड़ी संख्या में किराए की प्रॉपर्टी खाली हुई है. रेजिडेंशियल के मुकाबले कमर्शियल प्रॉपर्टी अधिक संख्या में खाली हो गई. जिसका एक कारण लॉकडाउन के दौरान व्यापारी का दुकानों का मंहगा किराया नहीं चुका पाना भी रहा.

यही वजह है कि मकान खाली पड़े हैं. यानि लॉकडाउन के बाद से ही प्रॉपर्टी व्यवसाय भी डाउन चल रहा है. यही वजह है कि खाली पड़े मकानों और दुकानों के लिए किराएदार नहीं मिल रहे. मतलब जब तक कोरोना काल खत्म नहीं हो जाता. तब तक प्रॉपर्टी व्यवसाय की रफ्तार पकड़ने के चांस भी कम नजर आते हैं. लिहाजा स्थितियां कब तक सुधरेगी कुछ कहा नहीं जा सकता.

रतलाम। भारत में कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. लॉकडाउन में प्रॉपर्टी व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ. आलम यह है किराए पर दिए जाने वाले मकान और दुकानें इस वक्त खाली पड़ी है. जिसकी एक बड़ी वजह शहरों से लोगों के पलायन को भी बताया जा रहा है.

लॉकडाउन के बाद प्रॉपर्टी बिजनेस को हुआ नुकसान

बात अगर रतलाम की जाए तो शहर के रिहायशी और कमर्शियल इलाकों में इन दिनों बड़ी संख्या में दुकानें और मकान खाली हुए हैं. आलम यह है कि जगह-जगह टू लेट के बोर्ड लगे हैं. प्रॉपर्टी विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आई मंदी की वजह से किराएदार मकान और दुकान का महंगा किराया देने में सक्षम नहीं हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी अब बाजार में किराए पर उपलब्ध है.

दुकानें पड़ी है खाली
दुकानें पड़ी है खाली

मध्यमवर्गीय परिवार को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

लॉकडाउन के दौरान छोटे-मोटे उद्योग धंधे बंद होने का सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्गीय लोगों पर पड़ा. प्राइवेट सेक्टर में बहुत सी नौकरियां जाने से किराए के मकानों में रहने वाले लोग उन्हें खाली करके चलए गए. वही किराए की दुकानों में व्यवसाय करने वाले रेस्टोरेंट संचालक, कैफे संचालक, कपड़ा व्यवसायी, फोटोग्राफर, कोचिंग क्लासेस और कंप्यूटर इंस्टीट्यूट के संचालकों का व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया. लिहाजा उन्होंने भी मकानों को खाली कर दिया.

किराए मकान भी हो गए खाली
किराए मकान भी हो गए खाली

रतलाम के स्थानीय निवासी नीतेश सोनी कहते हैं कि उद्योग धंधों में मंदी की वजह से बड़ी संख्या में किराए की प्रॉपर्टी खाली हुई है. रेजिडेंशियल के मुकाबले कमर्शियल प्रॉपर्टी अधिक संख्या में खाली हो गई. जिसका एक कारण लॉकडाउन के दौरान व्यापारी का दुकानों का मंहगा किराया नहीं चुका पाना भी रहा.

यही वजह है कि मकान खाली पड़े हैं. यानि लॉकडाउन के बाद से ही प्रॉपर्टी व्यवसाय भी डाउन चल रहा है. यही वजह है कि खाली पड़े मकानों और दुकानों के लिए किराएदार नहीं मिल रहे. मतलब जब तक कोरोना काल खत्म नहीं हो जाता. तब तक प्रॉपर्टी व्यवसाय की रफ्तार पकड़ने के चांस भी कम नजर आते हैं. लिहाजा स्थितियां कब तक सुधरेगी कुछ कहा नहीं जा सकता.

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