शहडोल। हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, और यह व्रत करना सबके बस की बात भी नहीं है. इस बार 30 अगस्त को हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाएगा और इसकी तैयारियों में महिलाएं लगी हुई हैं. सुबह से ही बाजारों में भीड़ लगी हुई है, ऐसे में तीजा के इस त्यौहार को लेकर ज्योतिष शास्त्र क्या कहता है, शुभ मुहूर्त कब है, चार प्रहर की पूजा कैसे होती है, और इस चार प्रहर की पूजा में क्या-क्या भोग लगाए जाते हैं, इस सबसे कठिन व्रत की पूरी जानकारी बताई है ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने- Hartalika Teej 2022
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक हरतालिका तीज का यह त्यौहार 30 तारीख, दिन मंगलवार को है, इसे हरतालिका तीज भी कहते हैं. इसमें तृतीया तिथि 2:30 बजे तक है, पर धर्म शास्त्र के अनुसार जो तिथि प्रातः कालीन सूर्योदय के समय रहता है वह पूरे दिन रात्रि से सुबह तक माना जाता है. इसलिए मंगलवार 30 अगस्त को तीज का व्रत है, तीज का व्रत मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुत ही प्रसिद्ध है. Hartalika Teej 2022 Vrat
हरतालिका तीज पूजन का विशेष मुहूर्त: पूजन सायं कालीन 6:00 बजे से लेकर के रात्रिकालीन 2:00 बजे तक तीज के पूजन का विशेष मुहूर्त है.
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सबसे कठिन व्रतों में से एक है हरतालिका तीज: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि हरतालिका तीज के इस त्यौहार में महिलाएं एक दिन पहले हल्का भोजन करती हैं, 30 तारीख को निर्जला रहेंगी. किसी भी प्रकार का कोई भोजन पेय पदार्थ नहीं लेंगी न ही फल-फूल का सेवन करेंगी. रात्रि जागरण करती हैं, चार प्रहर की पूजा होती है और फिर प्रातः कालीन मूर्तियों को विसर्जित करके तब हल्का फुल्का सुबह 7 से 8 बजे के बीच में भोजन करती हैं. इसके बाद संपूर्ण भोजन 12 बजे के बीच में करती हैं. Hartalika Teej Puja Vidhi
कौन-कौन कर सकता है हरतालिका तीज का व्रत: ये हरतालिका तीज का कठिन व्रत महिलाएं इसलिए करती है, जिससे वे हमेशा सौभाग्यवती रहें. सुयोग्य वर चाहिए तो ऐसी लड़कियां भी तीजा का व्रत करें, रात्रि में पूजन करें, रात्रि को जागरण करें और जो महिलाएं वृद्ध हो चुकी हैं और पूजा करने में असमर्थ है तो वह फल और दूध लेकर के व्रत करें. कथा सुने और सुबह विसर्जन करके किसी ब्राह्मण को कुछ दान दें और व्रत की समाप्ति करें. हरतालिका तीज का व्रत करने से अविवाहित लड़कियों को सभी युवतियों, माताओं और वृद्ध महिलाओं को लाभ मिलता है, घर में सुख सौभाग्य बना रहता है. Hartalika Vrat Ke Niyam
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हरतालिका तीज के चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व: हरतालिका तीज के इस कठिन व्रत को जो भी करता है उसके लिए चार प्रहर की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, उसे महिलाएं खुशी के साथ करती हैं. हालांकि यह चार प्रहर की पूजा भी इतनी आसान नहीं होती, क्योंकि रात्रि कालीन होती है, इसमें महिलाओं को पूरी रात जगना होता है फिर भी महिलाएं इस कठिन पूजा को करती हैं. hartalika teej worship method
हरतालिका तीज व्रत का पूजन: ज्योतिष आचार्य के मुताबिक चार पहर की जो पूजा होती है वह शाम को 6:00 बजे से लेकर के प्रातः कालीन 6:00 के बीच में बांट देते हैं. मतलब शाम 6 से 9 के बीच में प्रथम प्रहर की पूजा, इसमें फल का भोग लगता है, फिर 9 से 12 के बीच में दूसरे प्रहर की पूजा होती है, इसमें जो पकवान बनाये जाते हैं उसका भोग लगाते हैं, हवन करते हैं. फिर 12 से 3 के बीच में तीसरे प्रहर की पूजा मध्य रात्रि में होती है, उस समय जो जल, दूध, या शरबत से भोग लगाते हैं. आखिरी में प्रातः कालीन 3 से 6 के बीच में फल, मीठा, पकवान या जो भी घर में बना है, उसका भोग लगा कर हवन करते हैं. बाद में महिलाएं एक साथ गीत गाती हैं, ताली बजाती हैं और सामान उठाकर विसर्जित करतीं हैं, यह चार प्रहर की पूजा होती है इस तिथि में शिव और पार्वती जी की विशेष तौर पर पूजा की जाती है.