बालाघाट: परसवाड़ा से कांग्रेस विधायक मधु भगत डोंगरिया के धान खरीदी केंद्रों पर निरीक्षण करने पहुंचे. विधायक ने 5 खरीदी केंद्रों पर जारी कार्यों को बारीकी से समझा. विधायक ने किसानों से भी बातचीत की. इस दौरान खरीदी केंद्रों की गड़बड़ियों को देखकर विधायक ने जिम्मेदारों को बुलाया और जमकर फटकार लगाई. विधायक ने पाया कि धान खरीदी केंद्रों पर किसानों से ही धान के बोरे की पलटी करवाई जाती है. इस पर विधायक ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा "किसान खुद अपनी धान की पलटी कर समिति द्वारा दिये गए बारदाने में भरकर दे रहा है, ये दुर्भाग्य है."
खरीद केंद्रों पर मनमानी सहन नहीं करेंगे
विधायक मधु भगत ने कहा "धान को बारदाने में भरने के लिए समिति द्वारा मजदूरों की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए. धान के बोरे में भरने से लेकर मार्का लगाने, तौलाई करने सहित स्टेकिंग तक के लिए सरकार के द्वारा अलग से व्यवस्था का प्रावधान है. इसके लिए अलग-अलग कार्यों की दरें हैं. इनका भुगतान होना चाहिए. लेकिन यहां पर किसानों से ही धान पलटी कराई जा रही है." विधायक ने कहा कि इस तरह की मनमानी कतई सहन नहीं की जाएगी. नहीं सुधरे तो जिम्मेदार लोग सजा भुगतने को तैयार रहें.
किसानों से अवैध वसूली, खुल्लमखुल्ला लूट
विधायक निरीक्षण के दौरान पाया कि 5 से 7 रुपये तक प्रति बोरा की दर से किसानों से अवैध वसूली हो रही है. हालांकि धान खरीदी प्रभारियों सहित समिति के प्रबंधक द्वारा इससे इनकार किया गया. विधायक ने कहा "यहां किसानों के साथ इस तरह की लूट बेहद गंभीर और चिंताजनक है." विधायक ने समिति प्रबंधक से कहा "धान खरीदी में जिस तरह की खुल्लमखुल्ला लूटखसोट चल रही है, उसे रोकें अन्यथा इसके परिणाम ठीक नहीं होंगे."
धान के बोरों की सिलाई में भी भ्रष्टाचार
विधायक मधु भगत ने ने पाया "धान के बोरे की सिलाई का कार्य स्थानीय मजदूरों की वजाय बिहार के लोगों से करवाया जा रहा है. आखिर बाहर से मजदूर लाकर कार्य करवाने की जरूरत क्या है, जबकि यहां पर मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. यहां पर अभी ढाई रुपये प्रति बोरा सिलाई का दिया जा रहा है, जबकि इससे कम दर पर स्थानीय मजदूर कार्य करने को तैयार हैं. धान खरीदी के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. इसमें प्रबंधक से लेकर जिला स्तर तक के अमले की संलिप्तता नजर आती है."
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कमीशनखोरी का मुद्दा विधानसभा में उठाएंगे
विधायक मधु भगत ने कहा "यहां पर मजदूर 20 पैसे में मार्का लगा रहा है, जबकि शासन से 80 पैसा दिया जाना है, फिर आखिर बीच का 60 पैसा कहां जा रहा है. धान खरीदी कार्य में कमीशनखोरी का खेल चल रहा है. इस मामले को वह विधानसभा में उठाएगे. आखिर कमीशनखोरी के इस गोरखधंधा को सरकार क्यों रोक नहीं रही है."